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क्या गोल्ड स्कीम से वाकई पडे़गा फर्क

बीते हफ्ते सरकार की गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के नए और उन्नत संस्करण का मसौदा विवरण जारी हुआ। प्रस्तावित नियमों में कुछ चौंकाने वाली बातें हैं, जो ज्यादातर सुखद हैं। ब्याज दर के अधिक रहने के आसार हैं। वैसे, वास्तविक दर अब तक नहीं पता हैं। पुरानी स्कीम के मुकाबले न्यूनतम

By Edited By: Published: Mon, 01 Jun 2015 03:31 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2015 03:39 AM (IST)
क्या गोल्ड स्कीम से वाकई पडे़गा फर्क

बीते हफ्ते सरकार की गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के नए और उन्नत संस्करण का मसौदा विवरण जारी हुआ। प्रस्तावित नियमों में कुछ चौंकाने वाली बातें हैं, जो ज्यादातर सुखद हैं। ब्याज दर के अधिक रहने के आसार हैं। वैसे, वास्तविक दर अब तक नहीं पता हैं। पुरानी स्कीम के मुकाबले न्यूनतम सीमा को आधा किलो से घटाकर अब महज 30 ग्राम किया गया है। सबसे ज्यादा हैरत में डालने वाली बात यह है कि ब्याज आय पर कोई टैक्स नहीं होगा। न तो कैपिटल गेन्स टैक्स न ही इनकम टैक्स।

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हालांकि, (टैक्स मामलों में हमेशा एक हालांकि रहता है) ऐसा प्रतीत होता है कि टैक्स छूट को लेकर अभी बात पूरी नहीं हुई है। राजस्व विभाग इन छूटों को लेकर अब तब एकराय नहीं है। खैर, जो भी हो, अखबारों में शुरुआती उत्साह ने कुछ छोटे निवेशकों को जरूर उत्साहित किया है। अखबारों की हेडलाइंस पढ़कर पहली नजर में लगता है कि आपको बस अपनी तिजोरी में रखे जेवरातों को बैंक में रखना है और फिर इस पर आपको दो या तीन फीसद ब्याज मिलने लगेगा। लेकिन, ऐसा संभव नहीं है। वजह यह है कि बैंकों को यह धन कहीं और से कमाना होगा। यह तभी हो सकता है जब वे आपके सोने को इस्तेमाल के लिए किसी और को देंगे। ठीक वैसे ही जैसे बैंक पैसों के साथ करते हैं।

सोने को आगे उपयोग की खातिर देने के लिए, उसे टेस्ट और सर्टिफाइड करना होगा। गलाकर उसे मानकीकृत सिक्कों या बट्टियों में तब्दील करना होगा। इससे पहले कि उसे बैंकों के पास जमा किया जाए। एक व्यक्तिगत आभूषण स्वामी की दृष्टि से देखें तो जाहिर है कि ज्वैलरी को नष्ट करना होगा। सच यह है कि उसका सिर्फ मौद्रिक मूल्य ही शेष रहेगा। आमतौर पर ज्वैलरी की संदिग्ध शुद्धता और कीमती रत्नों की खराब रीसेल संभावनाओं को देखते हुए, मुझे नहीं लगता कि छोटे ज्वैलरी होल्डर स्कीम को लेकर बहुत उत्साहित होंगे जब एक बार उनके सामने अधिक ब्योरा आएगा।

लिहाजा कुछ निवेशकों की शुरुआती धारणा के उलट इस स्कीम की तिजोरी में बंद सोने को ब्याज-अर्जक निवेश में तब्दील करने में कोई भूमिका नहीं होगी। सोने को निवेश के तौर पर लेने के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू यथावत रहने वाले हैं।
फंड का फंडा, धीरेंद्र कुमार

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