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बचत को निवेश में बदलने की जरूरत

बाजार में मौजूदा अस्थिरता की क्या वजह है? - इस अस्थिरता की वैसे तो कई वजहें हैं। लेकिन जो वजह सबसे प्रमुख है, वह है सरकार से बाजार व निवेशक समुदाय की जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं। पिछले वर्ष मई में जब केंद्र सरकार गठित हुई तभी से बाजार को उससे काफी

By Edited By: Published: Tue, 16 Jun 2015 12:43 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2015 12:47 AM (IST)

बाजार में मौजूदा अस्थिरता की क्या वजह है?
- इस अस्थिरता की वैसे तो कई वजहें हैं। लेकिन जो वजह सबसे प्रमुख है, वह है सरकार से बाजार व निवेशक समुदाय की जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं। पिछले वर्ष मई में जब केंद्र सरकार गठित हुई तभी से बाजार को उससे काफी ज्यादा उम्मीदें थी। सरकार छह महीने में सब कुछ तो बदल नहीं सकती। ऐसे में उम्मीदों को थोड़ा धक्का लगा है। लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने कोई गलत संकेत दिया है। सरकार की नीतियां बिल्कुल सही दिशा में है। अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव रखी जा रही है। मगर बाजार अपने ही सिद्धांतों पर काम करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ कुछ भी गलत नहीं हो रहा है। यह तय है कि अगले तीन से सात वर्ष देश की विकास दर काफी अच्छी रहेगी। इसके बावजूद शेयर बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है जो कि पूरी तरह से अस्थायी है।
तो क्या बाजार सरकार से निराश नहीं है?
-नहीं ऐसा भी नहीं है। सरकार की नीतियों को लेकर बाजार या निवेशक समुदाय में कोई शक नहीं रह गया है। एक वर्ष में जितने क्षेत्रों में सुधार के लिए एक साथ कदम उठाए गए हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। अब सरकार ने कोयला ब्लॉक नीलामी से लेकर राज्यों को ज्यादा धन मुहैया कराने तक का जो फैसला है वह तीन वर्ष में भारी असर डालेगा। जीएसटी भी अगर समय के मुताबिक लागू हो जाता है तो यह अर्थव्यवस्था के माहौल बदल सकता है। श्रम सुधार किए गए हैं। कर क्षेत्र में सुधार हो रहा है। काले धन को देश लाने या उस पर रोक लगाने के उपाय किए जा रहे हैं। कारोबार करने के लिए तमाम मंजूरी लेने की बाध्यता खत्म की जा रही है। ये सारे छोटे-छोटे फैसले हैं जो मिलकर पूरी अर्थव्यवस्था को काफी मजबूत कर सकते हैं। यही वजह है कि हर कोई यह मान रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था का भविष्य सुरक्षित है।
ऐसे में नए निवेशकों को क्या करना चाहिए?
- निवेशकों को तो मैं पहली सलाह यह दूंगा कि बाजार की गिरावट से घबराने की बजाय उसका फायदा उठाने की सोचे। क्योंकि गिरावट में जो लोग बाजार से बाहर निकल जाते हैं वे बड़ा मुनाफा कमाने से चूक जाते हैं। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2002 की गिरावट के बाद वर्ष 2008 तक तेजी का माहौल रहा। 2008-09 में वैश्विक मंदी से बाजार में मंदी छाई हुई थी, लेकिन उसके बाद जो तेजी का दौर शुरू हुआ वह 2013 तक चला। इस तरह से जिन लोगों ने वर्ष 2008 की मंदी के बावजूद शेयर बाजार में निवेश बनाए रखा उन्होंंने सबसे ज्यादा पैसे बनाए। निवेशक नया है तो उसे अपने लक्ष्य और जोखिम उठाने की हैसियत के मुताबिक रणनीति बनानी चाहिए। अगर वह ज्यादा जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है तो सिस्टेमिक निवेश का रास्ता चुनना चाहिए। बाजार की मौजूदा हालात से नहीं डरना चाहिए। अगर 10 वर्ष 15 वर्ष या 20 वर्ष का समय है मसलन, बच्चों की शिक्षा या रिटायरमेंट की प्लानिंग तो इक्विटी से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता।
क्या कोई ऐसा फंड भी है अस्थिरिता के बावजूद निवेशकों के हितों की रक्षा करता हो?
-बिल्कुल है। अब उदाहरण के तौर पर एल एंड टी म्यूचुअल फंड के बिजनेस साइकल फंड का उदाहरण ले लीजिए। जब अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक होती है यानी विकास दर तेज होती है तो वह इसका फायदा ग्राहकों को देता है। क्योंकि हम तब उस सेक्टर में पैसा लगाते हैं तो आर्थिक विकास दर से सीधे प्रभावित होते हैं मसलन, कैपिटल गुड्स, ऑटो, सीमेंट क्षेत्र की कंपनियों में निवेश। लेकिन जब बाजार मंदी की गिरफ्त होता है तो हम एफएमसीजी, हेल्थकेयर, बिजली, आइटी जैसे क्षेत्र में अपने फंड को ट्रांसफर कर देते हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैैं जो मंदी के बावजूद 10 से 20 फीसद का रिटर्न दे देते हैं। इसके अलावा हमारा इक्विटी फंड है जो पिछले दस वर्ष में एक लाख रुपये के निवेश को 6.25 लाख रुपये कर चुका है। 20 फीसद सालाना का औसत रिटर्न।
क्या बात है लोग अब भी बैंक में पैसा रखना ज्यादा सुरक्षित समझते हैं?
-यही एक समस्या है जिसे म्यूचुअल फंड उद्योग को दूर करना है। लोगों के पास जानकारी नहीं है। वह फंड या शेयर बाजार से डरते हैं जिसकी कोई वजह नहीं। भारत में बहुत सारा पैसा बैंकों में पड़ा है जिस पर चार फीसद का ब्याज मिलता है। यह महंगाई की दर से भी काफी कम है। अब आप हमारे लिक्विड फंड को देखिए। इसमें आप जिस दिन चाहे उस दिन पैसा निकाल सकते हैं यानी बैंक खाते की तरह। यह पिछले एक वर्ष में आठ फीसद का रिटर्न दे चुका है। एक वर्ष पहले इसने नौ फीसद का रिटर्न दिया था। लोग समझते हैं कि वे बैंक में पैसा रखकर बचत कर रहे हैं, जबकि उन्हें निवेश करना चाहिए। बचत व निवेश अलग-अलग है। बचत को निवेश में बदल कर ही आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है।
कैलाश कुलकर्णी
सीईओ, एल एंड टी म्यूचुअल फंड

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