Move to Jagran APP

किसान विकास पत्र पर माथापच्ची

डाकघर अब फिर से किसान विकास पत्र (केवीपी) बेचना शुरू कर देंगे। यह बचत का ऐसा साधन है, जिससे सुनिश्चित रिटर्न प्राप्त होता है। इसमें कोई जोखिम नहीं होता। लेकिन निवेश व व्यवसाय पर टिप्पणी करने वाले अधिकांश लोगों के मुंह से आप यह बात नहीं सुनेंगे।

By Edited By: Published: Sun, 30 Nov 2014 09:11 PM (IST)Updated: Mon, 01 Dec 2014 03:27 PM (IST)
किसान विकास पत्र पर माथापच्ची

डाकघर अब फिर से किसान विकास पत्र (केवीपी) बेचना शुरू कर देंगे। यह बचत का ऐसा साधन है, जिससे सुनिश्चित रिटर्न प्राप्त होता है। इसमें कोई जोखिम नहीं होता। लेकिन निवेश व व्यवसाय पर टिप्पणी करने वाले अधिकांश लोगों के मुंह से आप यह बात नहीं सुनेंगे।

loksabha election banner

निवेश सलाहकारों की आम राय यह है कि केवीपी बेकार की बचत योजना है, क्योंकि इसमें टैक्स छूट की सुविधा नहीं है। इसलिए टैक्स कटने के बाद इस पर बेहद कम रिटर्न प्राप्त होता है। यह भी कि योजना कालेधन को बढ़ावा देती है। टैक्स कटने के बाद केवीपी के रिटर्न को कम साबित करने के लिए ये सभी सलाहकार हमेशा उच्च कर श्रेणी व उच्च आय वर्ग के लोगों का उदाहरण देते हैं।

लोग यह भी बताते हैं कि बैंक या म्यूचुअल फंडों की एफडी योजना कैसे इससे बेहतर है। ऐसा दिखाया जाता है जैसे देश में कोई भी निम्न कर श्रेणी या निम्न आय वर्ग में न हो। केवीपी जैसे सिर्फ उच्च मध्य वर्ग व उससे ऊपर के वर्ग के लिए ही हो।


हमें एक कदम पीछे हटकर यह सोचने की जरूरत है कि जिस समूह के लिए केवीपी है, उसके लिए सुरक्षित व सुनिश्चित रिटर्न देने वाला निवेश का सुविधाजनक माध्यम ढूंढ़ना कितना कठिन है। आप डाकघर जाइए, 1,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच कितने का भी केवीपी खरीदिए। 100 महीने बाद दोगुनी राशि लेकर घर आ जाइए। इस तरह केवीपी समझने व प्राप्त करने में बेहद आसान है।

यह डाकघर में बेचा जाता है, इसलिए इसकी सुरक्षा भी आसानी से समझ आ जाती है। इस पर 100 महीने में दोगुना रिटर्न मिलता है, यही बड़ी बात है। विश्लेषकों को केवीपी पर मिलने वाले रिटर्न का आकलन 8.67 प्रतिशत सालाना ब्याज दर से एफडी के साथ तुलना करते देखना पर्याप्त नहीं है।

अगर तुलना करनी है तो इससे करें कि फिक्स्ड डिपॉजिट में धन दोगुना होने में कितना वक्त लगेगा। एफडी से धन दोगुना होने में 99 महीने लगेंगे। अगर धनराशि दोगुनी होने में लगने वाले महीनों के आधार पर तुलना नहीं करते तो शायद आपको मालूम नहीं है कि लोग पैसे के बारे में किस तरह सोचते हैं।

केवीपी के बारे में दूसरी बात यह कही जा रही है कि इससे कालेधन को बढ़ावा मिलेगा। यह संभवत: सत्य है, लेकिन अप्रासंगिक है। हाल के दिनों में कालेधन के बारे में ज्ञान देना एक फैशन बन गया है। हो सकता है कि केवीपी का कुछ हद तक इस्तेमाल काले धन के लिए हो, लेकिन कुछ टिप्पणीकर्ताओं का कहना है कि यह अस्वीकार्य है।

इसे काल्पनिक विचार ही कहा जा सकता है। औपचारिक वित्तीय प्रणाली का कोई ऐसा अंग नहीं है, जिसे पर्याप्त प्रयासों से कालाधन रखने के लिए इस्तेमाल न किया जा सके। कालेधन को पूरी तरह खत्म करने के लिए आपको या तो पैसे को ही खत्म करना होगा या फिर टैक्स को खत्म करना पड़ेगा।


सवाल यह नहीं है कि केवीपी कालेधन को बढ़ावा देने में मदद करेगा या नहीं। सवाल यह है कि केवीपी के वैध और अवैध इस्तेमाल में कितना संतुलन है। जो यह सोचते हैं कि केवीपी 50 हजार रुपये के नोट से अधिक कुछ भी नहीं है, शायद वे उन लोगों की संगत में रहते हैं, जो इसे इस रूप में इस्तेमाल करते हैं।

ये लोग ऐसे लोगों के साथ नहीं हैं, जो केवीपी का इस्तेमाल पांच हजार या दस हजार रुपये का निवेश करने के लिए करते हैं। जब भी मैं अपराध की खबरें पढ़ता हूं तो उससे पता चलता है कि प्रत्येक अपराधी ने कार या सेलफोन का इस्तेमाल किया। क्या मोबाइल फोन व कारों पर रोक लगाने की यह वाजिब वजह हो सकती है?


वास्तव में, वित्त मंत्री जेटली को केवीपी के लिए कड़े केवाइसी (अपने ग्राहक को जानिए) नियमों की वकालत का प्रतिरोध करना चाहिए। अगर आप किसी डाकघर के क्लर्क को किसी गरीब के राशन कार्ड को पहचान का सबूत नहीं मानने का अधिकार देंगे तो वह अपने काम का बोझ घटाने के लिए उसे स्वीकार करने से इन्कार कर देगा।

हमारे देश में जिस तरह काम होता है, उसमें जो व्यक्ति 10 करोड़ रुपये जमा करना चाहता है वह आसानी से 2000 केवीपी जुटा लेगा, लेकिन जो निवेशक 10,000 रुपये अपने भविष्य के लिए बचाना चाहता है, वह केवाइसी के इन नियमों के चलते केवीपी का फायदा लेने से वंचित हो जाएगा। हमने वित्तीय तंत्र के प्रत्येक अंग में ऐसा होते देखा है। उम्मीद है कि केवीपी और जेडीवाइ जैसी योजनाओं को वैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
फंड का फंडा, धीरेंद्र कुमार
पढ़ेंः मोदी सरकार की पहल, नए केवीपी में सौ महीने में दोगुना होगा धन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.