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अब भी कम नहीं लघु बचत स्कीमों पर ब्याज दर

पीपीएफ पर 8.1 फीसद की संशोधित ब्याज दर अभी बेहतर है। वजह यह है कि पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह करमुक्त है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 28 Mar 2016 03:01 PM (IST)Updated: Mon, 28 Mar 2016 03:10 PM (IST)
अब भी कम नहीं लघु बचत स्कीमों पर ब्याज दर

पहली अप्रैल, 2016 से कुछ लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कमी की घोषणा के बाद से काफी बवाल मचा हुआ है। हालांकि इसका कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि हकीकत में देखा जाए तो अब भी लघु बचत स्कीमों पर ब्याज की दर काफी बेहतर है। इसे समझने के लिए हमें कुछ तथ्यों पर गौर करने की जरूरत है।

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सुनिश्चित आय के लिए किए जाने वाले किसी निवेश से कितना रिटर्न प्राप्त होगा, इसका आकलन करने के लिए हमें पूर्ण ब्याज दर के बजाय वास्तविक ब्याज दर पर ध्यान देना होगा। पूर्ण ब्याज दर घोषित ब्याज दर है। जबकि वास्तविक ब्याज दर का मतलब उस दर से है जो उसमें से महंगाई की दर को घटाने के बाद प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए यदि मुद्रास्फीति की दर पांच फीसद है और पूर्ण ब्याज दर आठ फीसद तो वास्तविक ब्याज दर केवल तीन फीसद होगी। इसी तरह यदि पूर्ण ब्याज दर नौ फीसद और मुद्रास्फीति की दर सात फीसद हुई तो वास्तविक ब्याज दर केवल दो फीसद रह जाएगी। इस तरह हमें केवल ब्याज दर पर ध्यान देने के बजाय महंगाई दर का भी ख्याल रखना होगा।

ऊंची महंगाई दर होने पर अधिक ब्याज दर का भी कोई लाभ नहीं। जबकि महंगाई दर नीचे होने पर कम ब्याज दर भी फायदेमंद हो सकती है। इस उदाहरण में दो फीसद ऊंची महंगाई दर के कारण आठ फीसद की ब्याज दर नौ फीसद के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है।

इस तर्क के मद्देनजर देखा जाए तो एक अप्रैल, 2016 से कमी के बावजूद लघु बचत स्कीमों पर मिलने वाली विभिन्न ब्याज दरें अब भी आकर्षक हैं, क्योंकि इन दिनों मुद्रास्फीति की जो दर है वह पहले के मुकाबले काफी कम है। हमारे नीति निर्माताओं की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने मुद्रास्फीति की दर को कम करने में सफलता प्राप्त की है।

जहां एक साल पहले महंगाई की यह दर 8-10 फीसद थी, वहीं अब यह घटकर 5-6 फीसद के दायरे में है। वस्तुत: हमारी राय में तो सरकार ने ब्याज दरों में कमी करने में देर की है। उसे यह काम कुछ महीने पहले कर देना चाहिए था। ध्यान रखिए कि मुद्रास्फीति दर में कमी अर्थव्यवस्था में सुधार का लक्षण है।

चूंकि बैंक अब ज्यादा लचीला रुख अपना रहे हैं। वे ब्याज दरों में परिवर्तन के लिए कहीं ज्यादा स्वतंत्र हैं। लिहाजा ज्यादातर बैंकों ने कुछ महीने पहले ही फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी पर ब्याज दरों में कमी कर दी थी।

पीपीएफ पर 8.1 फीसद की संशोधित ब्याज दर अभी बेहतर है। वजह यह है कि पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह करमुक्त है। 8.1 फीसद ब्याज दर हडको, नाबार्ड, आइआरएफसी जैसे पीएसयू द्वारा दीर्घकालिक

इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण के लिए जारी किए जाने वाले करमुक्त बांडों पर दी जा रही ब्याज दर के मुकाबले भी काफी अधिक है। इन करमुक्त बांडों पर अब तक केवल 7.35 फीसद की दर से ब्याज दिया जा रहा था।

हमारी राय में केवल दो स्कीमों में ब्याज दरें कम नहीं की जानी चाहिए।

ये हैं : पंचवर्षीय वरिष्ठ नागरिक बचत योजना तथा सुकन्या समृद्धि योजना। ये दोनों स्कीमें समाज के

खास वर्गों के लिए अर्थात बुजुर्गों तथा बालिकाओं के लिए हैं।

हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि सरकार ने लघु बचत योजनाओं में ब्याज दरें घटाने के साथ ही स्पष्ट किया है कि हर तिमाही पर इनकी समीक्षा होगी। इस तरह ये दरें केवल 30 जून, 2016 तक के लिए वैध हैं और मुद्रास्फीति दर के अनुसार इनमें भविष्य में कमी-बेशी संभव है। यानी इनमें और कमी के साथ ही वृद्धि भी हो सकती है। इसी तरह यह भी संभव है कि दरें अपरिवर्तित रहें। यह नई हकीकत है। हमें शिकायत करने के बजाय इस हकीकत के साथ जीना सीखना होगा। आखिरकार जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तब तो कोई शिकायत नहीं करता।

अनिल चोपड़ा

सीईओ एवं डायरेक्टर बजाज कैपिटल


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