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कैसे भरें सही आइटी रिटर्न

अब भी हम आयकर कानून की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले इसकी जटिलता का ख्याल आता है। आयकर विभाग ने आम जनता के लिए कर कानूनों को आसान बनाने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसी बाते हैं, जिनका ज्ञान आम जनता को

By Edited By: Published: Mon, 11 May 2015 02:01 AM (IST)Updated: Mon, 11 May 2015 06:06 AM (IST)

अब भी हम आयकर कानून की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले इसकी जटिलता का ख्याल आता है। आयकर विभाग ने आम जनता के लिए कर कानूनों को आसान बनाने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसी बाते हैं, जिनका ज्ञान आम जनता को नहीं होता। या फिर इन प्रावधानों को गलत समझा जाता है। आयकर रिटर्न भरने से पहले ऐसी ही कुछ बातों को जानना जरूरी है ताकि आप सही तरीके से रिटर्न भर सकें।

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-यह एक गलतफहमी है कि यदि नियोक्ता टीडीएस काटता है तो रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है। आपकी तरफ से चुकाए गए कर को नियोक्ता आयकर विभाग में जमा कराता है इसका यह कदापि मतलब नहीं है कि आपको टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करना। इसका आसान सा नियम यही है कि अगर 2014-15 में आपकी सालाना आमदनी ढाई लाख रुपये से अधिक है तो आपके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है।

-अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि कर अदाकर्ता द्वारा एफडी पर ब्याज, किराये की आमदनी वगैरह जैसी अन्य आय अर्जित की जाती है जिस पर कोई कर नहीं लगता। अथवा इस आय पर वास्तविक दर से निचली दरों पर टैक्स वसूला जाता है। इन सभी मामलों में कर चुकाने वाले व्यक्ति को अपने रिटर्न में सभी बातों का उल्लेख करना चाहिए। इस पर करदाता को अतिरिक्त आयकर अदा करना पड़ सकता है।

-यदि आप अपने खुद के घर में रहते हैं तो आप हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) पर किसी भी छूट का दावा नहीं कर सकते। लेकिन अगर आप किराये के मकान में रहते हैं तो आप एचआरए पर 80 जी के तहत टैक्स छूट के हकदार हैं। लेकिन अधिकतम कटौती 24 हजार रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती।

-बचत खाते में अर्जित दस हजार रुपये तक के ब्याज को आयकर से मुक्त रखा गया है, लेकिन एफडी से प्राप्त ब्याज को आयकर कानून के तहत कर योग्य माना गया है। अलबत्ता राष्ट्रीय बचत पत्र में निवेश पर होने वाली ब्याज आय कर मुक्त है।

-आम धारणा है कि सभी तरह के दान पर कर छूट मिलती है। लेकिन यह सच नहीं है। निजी धर्मार्थ संगठनों को किए गए अधिकांश मामलों में दान की गई राशि में 50 फीसद पर ही छूट मिलती है।

-मित्रों से उपहार स्वरूप मिले नकद और प्रॉपर्टी पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है। लेकिन किसी भी वित्त वर्ष में यह राशि 50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने पर पूरी राशि पर कर लगेगा।
साकार यादव
एमडी, माईआइटीरिटर्न डॉट काम

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