समय सीमा के बाद फाइल कर रहे हैं ITR तो ये बातें जानना आपके लिए हैं बेहद जरूरी
आयकर अधिकारियों के अनुसार इस साल एक अप्रैल से 31 अगस्त तक कुल दाखिल आईटीआर की संख्या पिछले साल की अपेक्षा बढ़कर 5.65 करोड़ हो गई है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त वर्ष 2018-19 या असेसमेंट इयर 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त थी, जो की निकल चुकी है। जो करदाता अंतिम तिथि तक आईटीआर दाखिल करने से चूक गए हैं, वे अब भी रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए 10,000 रुपये तक विलंब शुल्क चुकाना होगा। इसके अलावा आयकर विभाग की वेबसाइट के अनुसार, विलंब से आईटीआर दाखिल करने वालों को ब्याज भी चुकाना होता है।
कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसकी आय 2.5 लाख या अधिक है, उसके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है। वहीं, 60 से 80 साल तक के सीनियर सिटिजंस के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये और 80 साल से ऊपर के सीनियर सिटिजंस के लिए यह सीमा 5 लाख रुपये है।
विलंब से आईटीआर भरने वाले इन बातों का रखें ध्यान
1. तय समयसीमा में आयकर रिटर्न नहीं भरने पर आयकर अधिनियम की धारा 234ए के अंतर्गत ब्याज लगता है। करदाता को एक फीसद प्रतिमाह के हिसाब से ब्याज देना होता है।
2. यदि विलंब से फाइल किया जाने वाला आयकर रिटर्न असेसमेंट इयर की 31 दिसंबर को या उससे पहले दाखिल होत है, तो उस पर 5,000 रुपये का शुल्क लगता है। विलंब से फाइल किये गए आइटीआर रिटर्न पर आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के तहत विलंब शुल्क लगता है।
3. आयकर विभाग की वेबसाइट के अनुसार, अगर असेसी अगले साल यानी एक जनवरी से मार्च के बीच रिटर्न फाइल करता है, तो उसे विलंब शुल्क के रूप में 10,000 रुपये अदा करने होते हैं।
4. आयकर नियमों के अनुसार, अगर करदाता की कुल आय 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है, तो विलंब शुल्क 1,000 रुपये से ज्यादा नहीं लगता है।
5. यदि आयकर रिटर्न तय समय सीमा में नहीं भरा जाए, तो करदाता को किसी भी नुकसान को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं होती। हालांकि, आयकर नियमों के अनुसार, हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को आगे बढ़ाया जा सकता है।
आयकर अधिकारियों के अनुसार, इस साल एक अप्रैल से 31 अगस्त तक कुल दाखिल आईटीआर की संख्या पिछले साल की अपेक्षा बढ़कर 5.65 करोड़ हो गई है।