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गोल्ड बांड सोने से रहेगा बेहतर

सरकार ने हाल में सोने की तीन नई योजनाएं लांच की हैं। ये सोने के आयात को घटाने की सरकार की रणनीति का हिस्सा हैं। वास्तव में भारत बड़ी मात्रा में सोने का आयात करता है। अक्सर आप सुनते हैं कि किसी साल में कितने टन या कितने करोड़ डॉलर

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2015 11:41 AM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2015 12:32 PM (IST)

सरकार ने हाल में सोने की तीन नई योजनाएं लांच की हैं। ये सोने के आयात को घटाने की सरकार की रणनीति का हिस्सा हैं। वास्तव में भारत बड़ी मात्रा में सोने का आयात करता है। अक्सर आप सुनते हैं कि किसी साल में कितने टन या कितने करोड़ डॉलर का सोना आयात किया गया।

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वर्ष 2001 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने भारत के शेयर बाजारों में 157 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसी अवधि में भारत में आयात हुए सोने का मूल्य 269 अरब डॉलर रहा। जरा सोचिए। जिस विदेशी निवेश की बदौलत हमारे शेयर बाजार में उछाल आई है, वह हमारे सोना आयात पर खर्च की गई विदेशी मुद्रा का लगभग आधा है। तकरीबन 18 लाख करोड़ रुपये सोना आयात के रूप मेंं देश से बाहर गए हैं। यह सब आम लोगों ने अपनी बचतों से खरीदा है। इसे वे अपने घर में रखें या फिर किसी धार्मिक प्रतिष्ठान को दे दें।

कल्पना कीजिए कि अगर इस विशाल धनराशि का निवेश अनुपयोगी व अनुत्पादक सोने के बजाय आर्थिक तंत्र में किया गया होता, अर्थव्यवस्था की तस्वीर कैसी होती। हमें इतना सोना आयात करने की जरूरत भी नहीं पड़ती। सरकार ने नई योजनाओं के जरिये सोना आयात घटाने की कोशिश की है। भौतिक रूप से सोना खरीदने की तुलना में सॉवरेन गोल्ड बांड खरीदना बेहतर विकल्प है। कुछ माह पहले जब इस योजना का विचार आया था, उसके मुकाबले तुलना करें तो लांच स्कीम और भी अच्छा विकल्प है। उस समय कहा गया था कि गोल्ड बांड पर कुछ प्रतिशत ब्याज मिलेगा और इसे न्यूनतम पांच ग्राम की मात्रा में खरीदा जा सकेगा। योजना लांच होने के बाद साफ हो गया है कि यह बांड दो ग्राम सोने के मूल्य के बराबर के निवेश की तुलना में बेहतर हैं। आपको सोने के बढ़े हुए मूल्य के साथ 2.75 प्रतिशत सालाना ब्याज मिलेगा।

यूं समझें निवेश और रिटर्न का गणित

गोल्ड बांड में निवेश को समझना बेहद आसान है। अगर आप 10 ग्राम सोना खरीदने के बजाय उतना ही निवेश करना चाहते हैं तो दस ग्राम का गोल्ड बांड खरीदिए, जो आपको डाकघरों, बैंकों और अन्य स्थानों पर उपलब्ध होगा। इस बांड की अवधि आठ वर्ष है। आठ साल के बाद आप इसे भुना सकते हैं। आपको उस समय सोने की जो कीमत रहेगी, उसके हिसाब से पैसा मिल जाएगा। सोना खरीदने और गोल्ड बांड खरीदने में अंतर यह है कि आपको निवेश के तौर पर सालाना पौने तीन फीसद ब्याज मिलेगा। आठ साल की चक्रवृद्धि ब्याज जोड़ने पर इससे लगभग 25 प्रतिशत लाभ होगा।

उदाहरण के लिए अगर आपने इस तरह के बांड में 26,800 रुपये का निवेश किया। आठ साल में सोने की कीमत डेढ़ गुना हो गई तो आपको 42,200 रुपये मिलेंगे। इसमें सोने का बढ़ा हुआ भाव (13,400 रुपये) और अतिरिक्त 6,493 रुपये शामिल हैं। इस तरह यह मूलधन पर 2.75 प्रतिशत की सालाना आय है। यह अतिरिक्त रिटर्न मूलधन पर है, न कि परिवर्तनशील सोने के निवेश पर। अधिकांश विश्लेषकों का कहना है कि यह एक प्रतिकूल पक्ष है। हालांकि यह तब होगा जब आप मान लें कि सोने के मूल्य में गिरावट नहीं आ सकती। वास्तव में सोने के दाम गिर या स्थिर भी रह सकते हैं। ऐसे में भौतिक रूप से सोना खरीदने के मुकाबले गोल्ड पर आठ साल मेंं 25 प्रतिशत रिटर्न बड़ी गारंटी है।

गोल्ड डिपॉजिट स्कीम में कम फायदा

हालांकि गोल्ड डिपॉजिट स्कीम में अपेक्षाकृत कम फायदा है। जिन लोगों के पास सोना है और वे इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, वे इसे बैंकों में जमा कर सकते हैं और इस पर 2.25 से 2.50 प्रतिशत तक वार्षिक ब्याज कमा सकते हैं। यह रिटर्न भौतिक रूप से सोना खरीदने पर रिटर्न की तुलना में बेहतर होगा।

वास्तव में सरकार की इन योजनाओं का उन लोगों के लिए कोई मतलब नहीं है जो सोना खरीदकर काली कमाई जमा करते हैं। हालांकि जो लोग वैधानिक तौर पर टैक्स चुकाते हैं, उनको इन योजनाओं से बेहतर रिटर्न प्राप्त हो सकता है। साथ ही उन्हें सोने की भौतिक सुरक्षा और शुद्धता करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। वास्तव में इन सबके बावजूद सोने में निवेश करना उपयुक्त नहीं है। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड के मुकाबले इससे कम निवेश प्राप्त होता है। फिर भी आप सोने पर निवेश करना चाहते हैं, तो यह अच्छा विकल्प है।

धीरेंद्र कुमार


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