सिंगल हैं फिर भी करवाइए जीवन बीमा
बदलते जीवन स्तर से क्या जीवन बीमा में भी बदलाव आना चाहिए? हमारे देश में युवा आबादी की संख्या बड़ी है। इस वजह से लोगों के जीवन स्तर में भी काफी बदलाव आ रहा है। आज का युवा ज्यादा जिम्मेदार है, स्वतंत्र है और आर्थिक तौर पर ज्यादा संपन्न है। यह अच्छी बात है, लेकिन इससे यह भावना
-बदलते जीवन स्तर से क्या जीवन बीमा में भी बदलाव आना चाहिए?
हमारे देश में युवा आबादी की संख्या बड़ी है। इस वजह से लोगों के जीवन स्तर में भी काफी बदलाव आ रहा है। आज का युवा ज्यादा जिम्मेदार है, स्वतंत्र है और आर्थिक तौर पर ज्यादा संपन्न है। यह अच्छी बात है, लेकिन इससे यह भावना भी कई बार बन जाती है कि जब मैं स्वतंत्र हूं, कोई आश्रित नहीं है तो फिर मुझे जीवन बीमा की क्या दरकार है। लेकिन युवाओं को यह समझना जरूरी है कि जीवन बीमा पॉलिसी से कई अन्य फायदे हैं, जो किसी और निवेश विकल्प में मौजूद नहीं है। मसलन, यह बचत की एक आदत डाल देती है। अब आप देखिए आजकल लोग 50 या 55 वर्ष में रिटायर होना चाहते हैं, लेकिन लोग अमूमन 75 वर्ष तक जिंदा रह रहे हैं। यानी 25 या 30 वर्ष के लिए आपके पास बचत होनी चाहिए। ऐसे में युवा उम्र में जीवन बीमा पॉलिसी करवाना और भी जरूरी है, क्योंकि यही निवेश का एक ऐसा विकल्प है, जो आपको ज्यादा उम्र में बेहतर सुरक्षा दे सकता है। तो मैं यह कहना चाहता हूं कि जीवन स्तर में जिस तरह से बदलाव आ रहा है, उसे देखते हुए जीवन बीमा की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
-कई लोग यह सोचते हैं कि जब परिवार की जिम्मेदारी हो, तभी जीवन बीमा करवाना चाहिए?
यह कुछ लोगों की सोच हो सकती है, लेकिन आपके पास परिवार हो या नहीं जीवन बीमा हमेशा अनिवार्य रहता है। अब आप देखिए बीमा पॉलिसियों की जो लागत एक युवा के लिए होती है, वह एक उम्र दराज व्यक्ति के लिए नहीं होती। उम्र बढ़ने के साथ ही जीवन बीमा पॉलिसियां भी महंगी हो जाती है। उदाहरण के तौर पर एक 30 साल का युवा व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी का बीमा करवाता है तो उसकी लागत बहुत ही कम आएगी, लेकिन 40 वर्ष के बाद उसका प्रीमियम काफी ज्यादा हो जाता है। कम उम्र में इस तरह का कवरेज लेने पर न आपकी लागत कम आएगी, बल्कि ज्यादा लंबे समय तक आप कवेरज भी ले सकेंगे। साथ ही, अगर 55 साल की उम्र में आपके पास कोई परिवार नहीं है, तब भी जो पॉलिसियां आपने युवा अवस्था में ली है उसका कुल जोड़ इतना आकर्षक होगा कि रिटायरमेंट के बाद आपकी उम्र आराम से कटेगी।
-भारत में जरूरत से कम बीमा करवाने की समस्या कितनी गंभीर है?
यह तो एक आम भारतीय बीमारी है। हर पांच में से एक भारतीय परिवार में माता-पिता में से किसी एक की आकस्मिक मृत्यु या गंभीर बीमारी होने का खतरा है। कई लोग अपनी वार्षिक आमदनी की दोगुनी राशि के बराबर बीमा ले लेते हैं और समझते हैं कि उनकी सुरक्षा हो गई। एक अनुमान के मुताबिक 95 फीसद भारतीय परिवारों के पास पर्याप्त बीमा सुरक्षा नहीं है।
हकीकत में बीमा करवाने के समय हम बात सही तरीके से आकलन कर ही नहीं पाते कि हमें कितनी राशि की पॉलिसी करवानी चाहिए। मेरा सुझाव है कि अगर आप पर्याप्त बीमा करवाना चाहते हैं तो निम्न सवाल अपने आप से पूछें। इस बात का आकलन करें कि आप पर कितना कर्ज है। आपके आश्रितों को जीवन यापन के लिए कितनी राशि चाहिए। बच्चों की शिक्षा के लिए कितनी राशि चाहिए और उसका इंतजाम कैसे होगा। आपके बगैर इसी जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए पत्नी व बच्चों को कितनी राशि की जरूरत पड़ेगी।
अगर कोई गंभीर बीमारी होती है तो उसके इलाज के लिए कितनी राशि चाहिए। निश्चित तौर पर इनमें से कुछ सवाल आपको विचलित कर सकते हैं। लेकिन एक बेहतरीन सुरक्षा योजना के लिए जरूरी है कि इन सवालों का इमानदारी से जवाब खुद से पूछें।
अमित कुमार राय
चीफ एजेंसी ऑफिसर
एगॉन रेलिगेयर लाइफ इंश्योरेंस