बैंकिंग सेक्टर की तरह ही इंश्योरेंस सेक्टर को आसान बनाया जाएगा, होगा बड़ा बदलाव
इंश्योरेंस कंपनियों को लोन देने के बिजनेस के साथ म्युचुअल फंड जैसे बिजनेस में भी आने की इजाजत दी जा सकती है ताकि वे वित्तीय रूप से मजबूत हो सके। जल्द ही इंश्योरेंस से जुड़े संशोधित कानून के प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष रखा जा सकता है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वर्ष 2047 तक हर निवासी को इंश्योरेंस के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है और इस दिशा में इंश्योरेंस सेक्टर में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव के लिए इंश्योरेंस सेक्टर के नियमों में बदलाव किए जा रहे हैं और इस सेक्टर को पूरी तरह से उपभोक्ताओं के माकूल बनाया जा रहा है। ताकि उन्हें इंश्योरेंस को खरीदने से लेकर उसके क्लेम तक में कोई दिक्कत नहीं हो।
इन कानूनों में किया जा रहा संशोधन
इन सुविधाओं के लिए इंश्योरेंस और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के कानून में संशोधन किया जा रहा है। प्रस्तावित नियम के तहत निजी औद्योगिक कंपनियां भी अपने कर्मचारियों का खुद ही इंश्योरेंस कर सकेंगी। औद्योगिक कंपनियों को सिर्फ अपने कर्मचारियों के लिए कैप्टिव इंश्योरेंस फर्म बनाने की अनुमित दी जा सकती है। हालांकि ये औद्योगिक कंपनियां किसी अन्य का इंश्योरेंस नहीं कर सकेंगी।
कई और ऐसे बदलाव ला रही है सरकार
सूत्रों के मुताबिक सरकार इस प्रकार से कई और ऐसे बदलाव ला रही है जिससे इंश्योरेंस सेक्टर में प्लेयर्स बढ़ सके और छोटी-छोटी कंपनियों को लाइसेंस दिया जा सके। इस वास्ते लाइसेंस लेने के लिए पूंजी निवेश की सीमा कम करने का प्रस्ताव है। कंपोजिट लाइसेंस देने का भी प्रस्ताव है जिसके तहत कंपनियां जीवन के साथ गैर जीवन सभी प्रकार के इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स बेच सकेंगी। अभी जीवन और गैर जीवन के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेना पड़ता है।
इंश्योरेंस से जुड़े संशोधित कानून
इंश्योरेंस कंपनियों को लोन देने के बिजनेस के साथ म्युचुअल फंड जैसे बिजनेस में भी आने की इजाजत दी जा सकती है ताकि वे वित्तीय रूप से मजबूत हो सके। जल्द ही इंश्योरेंस से जुड़े संशोधित कानून के प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष रखा जा सकता है। सरकार संसद के अगले सत्र में इस संशोधित कानून को संसद में भी पेश करेगी।इसके अलावा इरडा ने उपभोक्ताओं के क्लेम को अविलंब निपटान और उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए ईज को लांच किया है।
इरडा के मुताबिक ईज का मकसद बैंकिंग उद्योग के समान ही इंश्योरेंस संबंधी सेवाओं के वितरण को छोटे से छोटे शहरों तक ले जाना है ताकि पॉलिसीधारक को पॉलिसी खरीदने से लेकर उनके क्लेम या किसी प्रकार की शिकायत दर्ज कराने में कोई दिक्कत नहीं हो।इंश्योरेंस कंपनियों को किसी उत्पाद के लांच के लिए पहले की तरह कई मंजूरी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा और वे उत्पाद लाने के बाद इरडा को सूचित कर सकेंगी। मानसिक बीमारी से लेकर विकलांगों तक के लिए इंश्योरेंस उत्पाद लाने की तैयारी चल रही है।