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लाइफ इंश्योरेंस क्लेम पर कैसे असर डालता है 3 वर्ष का क्लॉज, जानिए

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसी होल्डर के बीच एक अहम करार होता है जिसमें शुरुआती तीन वर्ष काफी खास होते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 05:22 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 12:54 PM (IST)
लाइफ इंश्योरेंस क्लेम पर कैसे असर डालता है 3 वर्ष का क्लॉज, जानिए
लाइफ इंश्योरेंस क्लेम पर कैसे असर डालता है 3 वर्ष का क्लॉज, जानिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मुश्किल वक्त में खुद को और परिवार को आर्थिक सुरक्षा देने के लिहाज से आमतौर पर लोग इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं। ये पॉलिसियां इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर की जरूरतों के आधार पर अलग-अलग होती हैं। वहीं इस पर लगने वाला प्रीमियम भी होल्डर की उम्र एवं उसके कवर के हिसाब से अलग अलग होता है। आमतौर पर पॉलिसी खरीदते वक्त लोगों को इसके नियमों से जुड़ी जानकारियां नहीं होती हैं। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़े एक अहम क्लॉज के बारे में जानकारी दे रहे हैं। हमने इस विषय पर फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी से बात की है। 

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लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में क्या है 3 वर्ष का क्लॉज?

सोलंकी ने बताया कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसी होल्डर के बीच एक अहम करार होता है जिसमें शुरुआती तीन वर्ष काफी खास होते हैं। इन तीन वर्षों के दौरान अगर पॉलिसी देने वाली कंपनी पॉलिसी होल्डर्स को किसी खामी पर सवाल- नहीं पूछती है तो उसके पास इस अवधि के बीत जाने के बाद पॉलिसी के क्लेम को खारिज करने का कोई आधार नहीं रहता है।

चलिए उदाहरण से समझाते हैं। मान लीजिए आपने किसी कंपनी से इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है। इस पॉलिसी के पेपर्स में होल्डर ने भूलवश कोई जानकारी गलत भर दी या फिर उसने उसे छिपाने की कोशिश की तो कंपनी को इस त्रुटि के संबंध में सवाल पॉलिसी खरीदे जाने के तीन वर्ष के भीतर ही पूछने होते हैं। तीन वर्ष बीत जाने के बाद अगर पॉलिसी होल्डर अपनी पॉलिसी के एवज में क्लेम करता है तो बीमा कंपनी या इंश्योरर किसी भी आधार पर उस क्लेम को खारिज नहीं कर सकता है।

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के कितने प्रकार होते हैं..

  • टर्म इंश्योरेंस (शुद्ध रुप से इंश्योरेंस)
  • एनडाउमेंट पॉलिसी (बचत आधारित पॉलिसी)
  • मनी बैक पॉलिसी (बचत आधारित पॉलिसी)
  • यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप)

क्या होती है टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी?

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि टर्म प्लान इंश्योरेंस पॉलिसी का सबसे विशुद्ध स्वरूप होता है। जीवन बीमा लेने का सबसे सरल तरीका टर्म इंश्योरेंस ही होता है। इसमें बीमा लेने वाला व्यक्ति एक निश्चित समय तक प्रीमियम का भुगतान करता रहता है। यदि निश्चित अवधि के दौरान बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो सम एश्योर्ड या एक मुश्त राशि उसके परिवार या नॉमिनी को दे दी जाती है। टर्म प्लान में हर साल मामूली प्रीमियम देने के बाद आपको कुछ विशेष सालों के लिए कवर उपलब्ध करवाया जाता है। आमतौर पर टर्म पॉलिसी 10 साल,15 साल, 20 साल, 25 साल और 30 सालों के लिए ली जाती हैं।

क्यों जरूरी होता है टर्म इंश्योरेंस?

टर्म इंश्योरेंस परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने के बाद भी परिवार को वित्तीय संकट से सुरक्षित रखता है। घर का मुखिया परिवार में आय का मुख्य स्रोत होता है। उस व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर बीमारी से उसके अक्षम हो जाने के बाद अक्सर परिवार में अन्य सदस्यों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर पर्याप्त राशि का टर्म इंश्योरेंस लिया गया है परिवार की आर्थिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है। साथ ही उन्हें नियमित आय का सहारा रहता है। टर्म इंश्योरेंस के अंतर्गत गंभीर बीमारी, अकस्मात मृत्यु, स्थायी बीमारी जैसी चीजें आती हैं। कई कंपनियां परिवार के सदस्यों को टर्म इंश्योरेंस में नियमित आय का भी विकल्प देती हैं।


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