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भरोसेमंद संबंध बैंकश्योरेंस की सफलता की कुंजी

बीमा क्षेत्र में आप बैंकश्योरेंस के भविष्य को कैसा देखते हैं? -बैंकश्योरेंस को अब सफल मॉडल के तौर पर देखा जाना चाहिए। बीते पांच छह साल में इस क्षेत्र के बिजनेस में काफी प्रगति हुई है। लोगों का भरोसा बढ़ा है। और सबसे बड़ी बात कि बीमा के मामले में यह

By Edited By: Published: Mon, 18 May 2015 01:47 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2015 06:16 AM (IST)
भरोसेमंद संबंध बैंकश्योरेंस की सफलता की कुंजी

बीमा क्षेत्र में आप बैंकश्योरेंस के भविष्य को कैसा देखते हैं?
-बैंकश्योरेंस को अब सफल मॉडल के तौर पर देखा जाना चाहिए। बीते पांच छह साल में इस क्षेत्र के बिजनेस में काफी प्रगति हुई है। लोगों का भरोसा बढ़ा है। और सबसे बड़ी बात कि बीमा के मामले में यह सबसे सस्ता मॉडल है। यानी यह लोगों को एकदम वाजिब कीमत पर बीमा उत्पाद उपलब्ध करा रहा है। साथ ही इस मॉडल में मिससेलिंग का खतरा भी न्यूनतम या एकदम नहीं के बराबर है। इसलिए बीमा क्षेत्र में बैंकश्योरेंस कीमत और ग्राहक दोनों के लिहाज से श्रेष्ठ मॉडल बन कर उभरा है। यही वजह है कि जो बीमा कंपनियां एजेंसी मॉडल में काम कर रही थीं, वे भी अब बैंकश्योरेंस को अपना रही हैैं।

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बैंकश्योरेंस मॉडल की सफलता के पीछे आपको सबसे प्रमुख वजह क्या लगती है?
-इसकी सबसे बड़ी वजह है बैंक और ग्राहक के बीच का संबंध। यह संबंध अस्थायी नहीं है। एजेंसी मॉडल के मुकाबले एकदम अलग संबंध है जहां एक एजेंट आपको बीमा उत्पाद बेचने के लिए ही मिलता है। यहां बैंक ग्र्राहक होने के नाते आपका रिश्ता बैंक से काफी नजदीकी का है। और बैंक अपने ग्राहक को कभी गलत जानकारी देकर कोई उत्पाद बेचना नहीं चाहेगा। क्योंकि यदि वह ऐसा करता है तो अंतत: व्यावसायिक दृष्टि से यह उसके लिए ही घातक होगा। यह संबंध केवल एक बीमा पॉलिसी बेचने तक सीमित नहीं है।

लेकिन इस मॉडल में तो बीमा कंपनी की ग्रोथ पूरी तरह बैंक की ग्रोथ पर निर्भर करेगी। अपने मामले में आपका अनुभव क्या कहता है?
-जी हां....एकदम सही है। हमारे मामले में भी ऐसा ही है। हमारे तीनों बैंकों का ग्राहक आधार निरंतर बढ़ रहा है। सभी बैंक अपनी शाखाओं का विस्तार कर रहे हैं। नए नए क्षेत्रों में जा रहे हैं। बैंकिंग की पैठ बढ़ रही है। एचएसबीसी की शाखा संख्या सीमित है। लेकिन केनरा और ओबीसी अपनी शाखाओं की संख्या लगातार बढ़ा रहे हैं। जिसका फायदा हमें भी मिलता है। इन बैंकों की सभी शाखाएं हमारे उत्पाद बेचती हैं। हां, यह जरूर है कि बड़ी शाखाओं में बीमा उत्पादों की बिक्री पर फोकस कुछ ज्यादा होता है।

किंतु अपने उत्पादों की बिक्री के लिए क्षेत्र के चयन को लेकर आप इन्हीं बैंकों पर निर्भर हैं?
-हां यह तो है। लेकिन तीन बैंकों का हमारा संयुक्त उद्यम है। और यही इसकी खासियत भी है। तीनों बैंकों का सहयोग हमें पूरे देश में पहुंच उपलब्ध कराता है। केनरा बैंक के जरिये अगर हम दक्षिण में अपनी पहुंच बनाते हैं तो ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स हमें उत्तर भारत में पहचान देता है। एचएसबीसी के जरिये हम सभी बड़े शहरों में उपलब्ध हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि इन बैंकों का विस्तार काफी दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों तक है। इसलिए जहां दूसरी बीमा कंपनियों को पहुंचने में दिक्कत हो सकती है इस बैंकश्योरेंस मॉडल के जरिये हम उन स्थानों में भी मौजूद हैैं।

ऑनलाइन बिक्री का चलन इधर बढ़ रहा है। आपकी सोच इस दिशा में क्या है?
-हमारे उत्पाद भी ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। आने वाले सालों में हम इस पर ज्यादा फोकस बढ़ाएंगे। यही भविष्य है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हम बैंकश्योरेंस के जरिये उत्पादों की बिक्री पर ध्यान कम देंगे। यह हमारा बेहद सफल मॉडल है। लेकिन युवा पीढ़ी की सोच और बाजार के ट्रेंड को देखते हुए हम ऑनलाइन बिक्री पर भी ज्यादा ध्यान देंगे। चूंकि ऑनलाइन टर्म प्लान बेचना ज्यादा आसान है इसलिए अभी हम टर्म प्लान ही बेच रहे हैं।
बीमा क्षेत्र में नए नियम आने के बाद आपके पास कितने बीमा उत्पाद बढ़े हैं?
-हमने अभी दो प्रोडक्ट लांच किए हैं। स्मार्ट लाइफलांग और स्मार्ट गोल्स। देखिए हम अपने उत्पाद बीमा ग्राहकों की जरूरत के आधार पर बनाते हैं। ऐसा नहीं है कि बाजार में यूलिप चल रहा है तो हम भी यूलिप उत्पाद निकालें। इसलिए हम लोगों की जरूरत का अध्ययन करते हैं और उसी के आधार पर प्रोडक्ट तैयार करते हैं। कुछ प्रोडक्ट पाइपलाइन में भी हैं। हमारे पास यूनिट लिंक के साथ साथ परंपरागत बीमा उत्पादों की पूरी रेंज हैं।

ग्राहकों की शिकायतों को कैसे डील करते हैं? क्योंकि आपके पास तो बैंक शाखाओं का एक बड़ा जाल है।
-हमारे पास कई स्रोत से शिकायतें आती हैं। शाखाओं से, हमारे कॉल सेंटर में और सीधे हमारे पास। हम सभी शिकायतों को रजिस्टर करते हैं और उसे तुरंत हल करने की कोशिश करते हैं। हम इन शिकायतों का अध्ययन भी करते हैं अगर लगातार एक ही तरह की शिकायतें हैं तो उसमें सुधार की कैसी जरूरत है। यही वजह है कि मिससेलिंग को लेकर हमारी शिकायतें एक फीसद से भी कम हैं क्योंकि हमारा सीनियर मैनेजमेंट भी इन शिकायतों को सुनता है और आगे के लिए कैसे इन्हें कम किया जाए इस पर काम करता है।
अनुज माथुर
सीएफओ, केनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस

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