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...ताकि खारिज न हो बीमा का दावा

हाल में घटी जर्मनविंग्स विमान दुर्घटना में कई लोगों की जान गई। नेपाल व भारत में पिछले दिनों आए भूकंप ने भी तमाम लोगों को असमय काल के ग्रास में ले लिया। इस तरह की आपदाएं हमें याद दिलाती हैं कि जीवन व संपत्ति का बीमा कितना महत्वपूर्ण है। परिवार

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 25 May 2015 10:54 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 11:56 AM (IST)
...ताकि खारिज न हो बीमा का दावा

हाल में घटी जर्मनविंग्स विमान दुर्घटना में कई लोगों की जान गई। नेपाल व भारत में पिछले दिनों आए भूकंप ने भी तमाम लोगों को असमय काल के ग्रास में ले लिया। इस तरह की आपदाएं हमें याद दिलाती हैं कि जीवन व संपत्ति का बीमा कितना महत्वपूर्ण है। परिवार के मुखिया की मृत्यु, खासकर असमय मृत्यु की स्थिति में जीवन बीमा पॉलिसी परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। परंतु यदि जीवन बीमा का दावा अस्वीकार कर दिया जाए तो फिर जीवन बीमा का मकसद ही नाकाम हो जाता है। वैसे ज्यादातर दावे उचित आधारों पर ठुकराए जाते हैं। लिहाजा उन्हें समझ लेना चाहिए, ताकि आपके प्रियजनों के दावे के रद होने की कभी नौबत न आए। यहां हम उन सामान्य कारणों का जिक्र करेंगे जिनकी वजह से जीवन बीमा दावे को ठुकराए जाने की स्थिति पैदा होती है :

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प्रस्ताव पत्र में अपूर्ण सूचनाएं

जीवन बीमा के ग्राहक जो आम गलती करते हैं वह है अपने बीमा एजेंट को फॉर्म भरने की अनुमति देना। इस मामले में हमारी सलाह है कि ग्राहकों को अपना फॉर्म सावधानीपूर्वक खुद भरना चाहिए और इसमें आलस नहीं करना चाहिए। यह प्रक्रिया थोड़ी पेचीदा हो सकती है, लेकिन इसी में भलाई है। यदि जीवन बीमा कंपनी को लगता है कि आपने पूरी सूचनाएं नहीं दी हैं अथवा कोई जानकारी छुपाई है तो इस आधार पर वह आपके दावे को रद कर सकती है। वजह यह है कि कई बार बीमा एजेंट फॉर्म को ठीक से नहीं भरते और अपने बिक्री लक्ष्य पूरे करने की हड़बड़ी में अधूरी या त्रुटिपूर्ण सूचनाओं के साथ फॉर्म जमा करा देते हैं। वैसे भी इन एजेंटों को आपके चिकित्सा इतिहास की पूरी जानकारी हो यह जरूरी नहीं। लिहाजा फॉर्म भरने के मामले में अपने एजेंट पर निर्भर हो जाना बेहतर नहीं है।

सूचनाओं को छुपाना

फॉर्म में भरी जाने वाली सूचनाएं महत्वपूर्ण होती हैं। इन्हीं के आधार पर बीमा कंपनी आपके प्रीमियम का निर्धारण करती है। इन सूचनाओं में आपकी आयु, धूम्रपान व मदिरापान की आदतें, पहले से मौजूद बीमारी, वह बीमारी मां-बाप को भी तो नहीं थी, अन्य पॉलिसियों का ब्योरा आदि शामिल हैं। इन सूचनाओं को किसी भी हालत में छुपाना नहीं चाहिए। वजह यह है कि इससे बीमा कंपनी को दावा अस्वीकार करने का कारण मिल सकता है।

पहले से मौजूद रोग

यदि प्रपोजल फॉर्म में पहले से मौजूद बीमारी का ब्योरा नहीं भरा गया है तो उस बीमारी को लेकर किए जाने वाला दावा अस्वीकार होने की पूरी संभावना है। बीमा नियामक इरडा के अनुसार ऐसी किसी भी बीमारी को पहले से मौजूद बीमारी माना जाएगा, जिसके पॉलिसीधारक में पहले से लक्षण थे अथवा जो जांच में पाई गई थी और जिसका बीमा कंपनी द्वारा पहली पॉलिसी जारी किए जाने के 48 महीने पहले तक कभी भी इलाज कराया गया था। यदि इस तरह की पहले से मौजूद कोई बीमारी या बीमारियां हैं तो उनकी घोषणा फॉर्म में की जानी चाहिए। उन्हें छुपाना ठीक नहीं है। ऐसा न होने पर बीमा कंपनी इसी आधार पर आपका दावा खारिज कर सकती है। कोई भी पॉलिसी लेते समय उसके अंतर्गत कवर होने वाली बीमारियों को समझ लेना चाहिए और पॉलिसी की शर्तों और दशाओं (टम्र्स एंड कंडीशंस) का भी भली-भांति अध्ययन कर लेना चाहिए।

पॉलिसी को लैप्स न होने दें

बीमा कंपनियां केवल उन्हीं दावों का भुगतान करती हैं जो चालू (एक्टिव) हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप समय पर प्रीमियम का भुगतान करें। प्रीमियम न भरे जाने के कारण पॉलिसी निष्क्रिय (लैप्स) होने की दशा में बीमा कंपनी दावे का भुगतान नहीं करेगी। यदि किसी वजह से आप समय पर प्रीमियम नहीं भर पाए हैं तो मोहलत की अवधि के भीतर उसकी अदायगी कर देनी चाहिए। इससे पॉलिसी लैप्स होने से बच जाएगी। और यदि एक बार पॉलिसी लैप्स हो गई तो फिर चाहे आप अगले ही दिन दावा क्यों न कर दें, बीमा कंपनी द्वारा आपके दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

नामित का नाम अपडेट कराएं

नामित के बारे में भरी गई सूचनाओं को अद्यतन (अपडेट) कराते रहना जरूरी है। यदि आपने अविवाहित रहते हुए पॉलिसी ली है तो नामित के रूप में अपने माता-पिता का नाम दर्ज कराना स्वाभाविक है। परंतु शादी होने के बाद उनकी जगह पति या पत्नी का नाम दर्ज कराया जाना बेहतर रहता है। वजह यह है कि आपकी मृत्यु की स्थिति में पत्नी या पति को ही आपके पॉलिसी के पैसे की सबसे ज्यादा जरूरत होने की संभावना है। इसका इस्तेमाल बच्चों का भविष्य संवारने और जीवनशैली को बरकरार रखने के लिए होगा।

इसके अलावा यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि दावे का फॉर्म जमा करने में विलंब भी नुकसानदेह हो सकता है। इससे संदेह पैदा होने के साथ ही दावे के भुगतान की प्रक्रिया में भी विलंब हो सकता है। दावे का आसानी से भुगतान सुनिश्चित करने के लिए ज्यादातर कंपनियां क्लेम ऑफिसर की मदद लेती हैं। लिहाजा अपने प्रियजनों को ली गई जीवन बीमा पॉलिसी या पॉलिसियों के बारे में पूरी जानकारी दे दें। साथ ही एजेंट तथा बीमा कंपनी के कांटैक्ट नंबर के साथ बीमा पॉलिसी के कागजात के बारे में भी पूरी सूचना उपलब्ध करा दें। हालांकि अपने प्रियजनों के साथ अपनी मृत्यु के बारे में चर्चा करना थोड़ा कठिन है। परंतु उनकी खुशी के लिए आपको यह काम जल्द से जल्द कर लेना चाहिए।

वी. विस्वानंद [सीनियर डायरेक्टर व सीओओ, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस]

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