हेल्थ बीमा जितना जल्दी उतना ही अच्छा
भारत में गैर जीवन बीमा को लेकर अभी भी रुझान क्यों नहीं है? -यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है कि आदमी जरूरत के मुताबिक ही बीमा करवाता है। कुछ समय पहले तक जीवन बीमा करवाने को लेकर भी लोगों में कई तरह की मान्यताएं थीं। ये काफी हद तक
भारत में गैर जीवन बीमा को लेकर अभी भी रुझान क्यों नहीं है?
-यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है कि आदमी जरूरत के मुताबिक ही बीमा करवाता है। कुछ समय पहले तक जीवन बीमा करवाने को लेकर भी लोगों में कई तरह की मान्यताएं थीं। ये काफी हद तक खत्म हो चुकी हैं। स्वास्थ्य बीमा को भी लोग जरूरी नहीं मानते थे। अब ऐसा नहीं है। एक बात और है कि सरकार की तरफ से जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा को तो प्रोत्साहन मिल रहा है, लेकिन गैर जीवन के अन्य क्षेत्रों जैसे अग्नि, चोरी, यात्रा आदि से बचाव करने वाले बीमा को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता। ऐसे में लोग समझते हैं कि इन बीमा पर जो प्रीमियम जाता है वह एक ऐसा खर्च है, जिससे कोई आय नहीं होती। यह अर्थव्यवस्था में विकास व लोगों के रहन-सहन में बदलाव आने से तेजी से बदलेगा। लोग समझेंगे कि साधारण बीमा भी अन्य बीमा पॉलिसियों की तरह ही जरूरी हैं।
स्वास्थ्य बीमा में किस तरह का बदलाव देख रहे हैं?
-स्वास्थ्य बीमा में न सिर्फ बाजार में आने वाली पॉलिसियों में बदलाव आ रहा है, बल्कि इसे खरीदने वाले लोगों की रुचि व पसंद भी तेजी से बदल रही है। अभी तक लोग एक स्वास्थ्य बीमा करवाने के बाद यह मान लेते थे कि उनके पास पर्याप्त बीमा है। अब लोगों को समझ आने लगा है कि स्वास्थ्य बीमा की जरूरत कई तरह की होती है। मसलन, अब जिस तरह से भारत में खतरनाक बीमारियों का प्रचलन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए लोगों के बीच खास बीमारियों पर होने वाले खर्चे की भरपाई करने वाली पॉलिसियों की मांग बढ़ रही है। वैसे भी देखें तो तमाम रिपोर्ट बताती हैं कि भारत जैसे विकासशील देश में क्रिटिकल इलनेस से सुरक्षा देने वाली पॉलिसियों की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस श्रेणी की बीमारियां किसी भी मध्यम वर्ग की आर्थिक कमर तोड़ सकती हैं। हमने हाल के दिनों में देखा है कि 35 से 45 वर्ष के आयु वर्ग में क्रिटिकल इलनेस के कवरेज का प्रचलन बढ़ा है।
स्वास्थ्य बीमा लेने से पहले किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
-स्वास्थ्य बीमा लेने का पहला मूल मंत्र यह है कि जितना जल्दी इसे ले लिया जाए उतना ही फायदा है। किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि अभी कम उम्र है तो उसे हेल्थ बीमा की जरूरत नहीं है। दरअसल, कम उम्र में लेने का फायदा बाद में मिलेगा। कुछ अन्य मूल बातें हैं, जिनका ख्याल रखा जाना चाहिए। मसलन, कितनी राशि का हेल्थ बीमा करवाना चाहिए। अगर पति-पत्नी व दो बच्चे हैं तो सुझाव है कि फ्लोटर फैमिली हेल्थ बीमा अच्छा विकल्प है। कई कंपनियां इस श्रेणी की पॉलिसी दे चुकी हैं। यह व्यक्तिगत कवरेज से थोड़ा सस्ता है और बीमा कंपनियां फ्लोटर कवरेज के तहत अब कई तरह की सुविधाएं देने लगी हैं। दूसरी बात यह ध्यान रखने योग्य है कि पॉलिसी के तहत अतिरिक्त सुविधाएं क्या मिल रही हैं। मसलन, अस्पताल में भर्ती होने पर प्रति दिन के खर्चे की क्या सीमा है, अस्पताल में कमरे के किराये की क्या सीमा है, ओपीडी का खर्च पॉलिसी उठाती है या नहीं। अब कई बीमारियों का इलाज एक दिन में ही संभव है। कई बार ऐसा होता है कि एक दिन में इलाज करवा कर घर लौटने के बाद ग्राहकों को पता चलता है कि चूंकि उनकी पॉलिसी में कम से कम 24 घंटे भर्ती होना जरूरी है इसलिए वह हेल्थ बीमा का फायदा नहीं उठा सकते। यह काफी परेशानी वाला साबित होता है। इसी तरह से क्लेम नहीं लेने पर बोनस की क्या व्यवस्था है। इन बातों के अलावा हर ग्राहक को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह पॉलिसी करवाने के समय अपने बारे में कोई भी जानकारी छिपाए नहीं। ऐसा करना आगे चल कर कई तरह की दिक्कतें पैदा कर सकता हैं।
हेल्थ बीमा में एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस की क्या तैयारी है?
-एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस तीन तरह की हेल्थ बीमा पॉलिसियां बाजार में पेश कर चुकी है। इसमें पहला है आरोग्य प्रीमियर पॉलिसी जो समाज के खाते पीते मध्यम वर्ग के लिए है। इस पॉलिसी के तहत 10 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच का कवरेज लिया जा सकता है। हम 35 से 45 वर्ष के आयु वर्ग में इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं। दूसरी पॉलिसी है आरोग्य टॉप अप। यह उनके लिए है जिनके पास पहले से कोई हेल्थ बीमा तो है, लेकिन उनकी जरूरत इससे ज्यादा की है। कई बार लोगों को नियोक्ताओं की तरफ से हेल्थ बीमा दिया जाता है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं होता। ऐसे वर्ग के लोग इस पॉलिसी के तहत काफी कम कीमत पर अतिरिक्त कवरेज ले सकते हैं। तीसरी पॉलिसी है आरोग्य पल्स। यह उन लोगों के लिए है जो कर बचत के उद्देश्य से हेल्थ बीमा करवाते हैं, लेकिन इसमें सामान्य तौर पर सभी सुविधाएं दी गई हैं। इसमें हमने ओपीडी कवरेज भी दे रखा है।
पुनीत साहनी
एवीपी (प्रोडक्ट डेवलपमेंट)
एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस