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आया गारंटीशुदा एमआइपी का दौर

मासिक आय योजनाएं मूलत: ऐसे ग्राहकों के लिए होती हैं जो या तो नियमित आय के साथ पूरक आमदनी चाहते हैं, अथवा जिन्हें रिटायरमेंट के बाद आय के नियमित स्रोत की जरूरत होती है। भारत में ऐतिहासिक रूप से जीवन बीमा उत्पाद परंपरागत ढंग के रहे हैं। मसलन एन्डोमेंट व मनीब

By Edited By: Published: Sun, 19 Jan 2014 07:20 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2014 07:20 PM (IST)
आया गारंटीशुदा एमआइपी का दौर

मासिक आय योजनाएं मूलत: ऐसे ग्राहकों के लिए होती हैं जो या तो नियमित आय के साथ पूरक आमदनी चाहते हैं, अथवा जिन्हें रिटायरमेंट के बाद आय के नियमित स्रोत की जरूरत होती है।

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भारत में ऐतिहासिक रूप से जीवन बीमा उत्पाद परंपरागत ढंग के रहे हैं। मसलन एन्डोमेंट व मनीबैक प्लान। बीमा क्षेत्र में उदारीकरण के बाद यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएं (यूलिप) केंद्र में आ गई थीं। ये बाजार व ग्राहकों की पसंद बनकर उभरी थीं। 2008 में जब तक वैश्विक मंदी नहीं छाई थी, तब तक ग्राहक इक्विटी बाजार में उछाल से रोमांचित थे और अपनी पॉलिसियों से अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर रहे थे। मगर शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के शिकार ग्राहकों ने वापस वैकल्पिक योजनाओं की मांग शुरू कर दी, ताकि रिटर्न पर कुछ गारंटी मिल सके। ठीक-ठाक रिटर्न देने वाले परंपरागत उत्पादों के लिए ग्राहकों की बढ़ती मांग के मद्देनजर कंपनियों ने एन्डोमेंट व मनीबैक योजनाओं में विकल्पों की शुरुआत कर दी।

विभिन्न शोधों से पता चलता कि दीर्घकाल की योजना बनाते हुए अनेक ग्राहक जोखिम नहीं लेना चाहते और गारंटीशुदा रिटर्न को वरीयता देते हैं। वे यूलिप के बजाय परंपरागत उत्पादों को पसंद करते हैं। एक प्रतिष्ठित रिसर्च संस्था के साथ केनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा कराए गए शोध से पता चलता है कि बड़ी संख्या में ग्राहक एकमुश्त भुगतान के बजाय नियमित आय को पसंद करते हैं। और यही वजह है कि गारंटीशुदा मासिक आय योजनाएं (एमआइपी) बाजार में आई हैं। एमआइपी मूलत: ऐसे ग्राहकों के लिए हैं जो या तो नियमित आय के साथ पूरक आमदनी चाहते हैं, अथवा जिन्हें रिटायरमेंट बाद नियमित आय की जरूरत होती है। बाजार में इसके लिए कई उत्पाद उपलब्ध हैं। आइए इनके गुण-दोषों पर विचार करते हैं।

एमआइपी कैसे काम करते हैं?

आम तौर पर एमआइपी 10-15 साल के लिए नियमित मासिक अंतराल पर भुगतान की सुविधा प्रदान करते हैं। मगर कुछ कंपनियां वार्षिक भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध कराती हैं। दूसरे, इनमें प्रीमियम भुगतान की अवधि के दौरान जीवन बीमा कवरेज की सहूलियत भी मिलती है। हालांकि कुछ कंपनियां संपूर्ण भुगतान अवधि तक जीवन बीमा सुरक्षा देती हैं। फिक्स्ड अथवा रिकरिंग डिपॉजिट जैसे पैसा बनाने वाले सामान्य उत्पादों के मुकाबले एमआइपी में यह अनोखी सुविधा है क्योंकि इससे असमय मृत्यु की स्थिति में सुरक्षा प्राप्त होती है। इससे मानसिक शांति के अलावा परिजनों को भविष्य की निश्चिंतता हासिल होती है। चूंकि प्रत्येक प्लान में जीवन सुरक्षा का कवरेज अलग-अलग हो सकता है। इसलिए यह देखना जरूरी है कि कौन सा प्लान आपके लिए उपयुक्त है। यदि सुरक्षा आपके लिए खासी जरूरी है तो आपको ऐसा एमआइपी चुनना चाहिए, जिसमें प्रीमियम भुगतान के अलावा आय प्राप्ति की अवधि के दौरान भी जीवन बीमा कवरेज मिल रहा हो। आप चाहें तो ऐसा प्लान भी चुन सकते हैं, जो नामित को प्राप्त होने वाले मृत्यु लाभ से अदा किए जा चुके प्रीमियम को घटाए बगैर संपूर्ण राशि पर जीवन बीमा कवरेज प्रदान करता हो। इस बारे में पक्का होने के लिए अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।

सबसे पहले आप अपने निवेश से हासिल होने वाले लक्ष्य का निर्धारण करें। यदि आपका लक्ष्य एक निश्चित जरूरत पूरी करने के लिए एकमुश्त राशि प्राप्त करना है, जैसे कि घर खरीदना, बच्चों की शादी आदि, तो एकमुश्त राशि प्रदान करने वाला एन्डोमेंट प्लान ठीक रहेगा। इससे आपको जरूरत के वक्त एकमुश्त राशि प्राप्त हो जाएगी। यदि अपनी जीवनशैली को बरकरार रखने अथवा अपने आश्रितों की जरूरतें पूरी करने के लिए (मसलन बच्चे के छात्रावास की अतिरिक्त जरूरतों अथवा बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल के खर्च) नियमित आय के अलावा अतिरिक्त आमदनी की ख्वाहिश रखते हैं तो एमआइपी ज्यादा उपयुक्त रहेगा। अपने लक्ष्य की अवधि पर विचार करना भी उतना ही जरूरी है। यदि आप जीवन भर आय की कामना करते हैं तो एन्युटी प्लान ठीक रहेगा, क्योंकि इसमें ताजिंदगी निश्चित भुगतान मिलता है। अगर आपको खास अवधि मसलन, 10-15 साल के लिए नियमित आय के जरूरत है तो एमआइपी ज्यादा मुफीद रहेगा। कम अवधि तक भुगतान के कारण एन्युटी प्लान के मुकाबले उसी तरह के एमआइपी से ज्यादा आय प्राप्त होती है। इसके अलावा, मौजूदा नियमों के तहत एन्युटी प्लान से प्राप्त होने वाले आय पर टैक्स लगता है, जबकि एमआइपी की आय करमुक्त है।

किस तरह का एमआइपी खरीदें?

अपने पैसे का निवेश करने से पहले आपको उससे जुड़े जोखिम का आकलन कर लेना चाहिए। बाजार में दो तरह के एमआइपी उपलब्ध हैं: पार्टीसिपेटिंग और नॉन-पार्टीसिपेटिंग। नॉन पार्टीसिपेटिंग प्लान आपको ज्यादा रिटर्न तो नहीं देते, मगर मिलने वाले लाभों की गारंटी प्रदान करते हैं। जबकि पार्टीसिपेटिंग प्लान अपेक्षाकृत कम गारंटी के बावजूद बोनस के जरिये ज्यादा संभावित रिटर्न प्रदान करते हैं। इसलिए प्लान चुनते वक्त आपको उत्पाद से संबंधित लेनदेन का ब्योरा ठीक से पढ़ना चाहिए। यानी कितना आपको अदा करना है और बदले में कितना आपको प्राप्त होना है, वगैरह।

एमआइपी खरीदने के बाद क्या करें?

आपको अपने खरीदे गए प्लान की प्रगति पर नजर रखनी चाहिए, ताकि पता रहे कि यह आपके वांछित लक्ष्यों के अनुरूप रिटर्न प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि आप अपनी पॉलिसी के सभी प्रीमियमों का भुगतान करें, ताकि प्लान का मूल्य अधिकतम हो सके। प्रीमियम भुगतान बंद करने या पॉलिसी को समय से पहले सरेंडर करने से प्लान के लाभ सीमित हो जाते हैं। कुल मिलाकर यदि समझबूझ कर चुनें तो एमआइपी न केवल नियमित आमदनी के अलावा करमुक्त आय प्रदान करते हैं, बल्कि साथ में जीवन बीमा की सुरक्षा भी मुहैया कराते हैं।

चिराग राठौर,

डायरेक्टर-एक्चुरियल, प्रोडक्ट्स एंड स्ट्रेटजी, केनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ


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