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ई-रिपॉजिटरी यानी कागज संभालने का झंझट खत्म

शर्मा जी के पास एक पारंपरिक बीमा पॉलिसी है। यह पॉलिसी उन्हें अगले 15 वर्षो तक हर तीन वर्षो पर एक सुनिश्चित राशि का भुगतान करती है। शर्मा जी के मामले में थोड़ा पेंच फंस गया है। पहले तीन वर्ष पर तो उन्हें बीमा कंपनी ने वादे के मुताबिक 75 हजार रुपये का भुगतान कर दिय

By Edited By: Published: Sun, 27 Apr 2014 08:56 PM (IST)Updated: Mon, 28 Apr 2014 09:53 AM (IST)
ई-रिपॉजिटरी यानी कागज संभालने का झंझट खत्म

शर्मा जी के पास एक पारंपरिक बीमा पॉलिसी है। यह पॉलिसी उन्हें अगले 15 वर्षो तक हर तीन वर्षो पर एक सुनिश्चित राशि का भुगतान करती है। शर्मा जी के मामले में थोड़ा पेंच फंस गया है। पहले तीन वर्ष पर तो उन्हें बीमा कंपनी ने वादे के मुताबिक 75 हजार रुपये का भुगतान कर दिया। लेकिन दूसरी किस्त लेने के समय गड़बड़ हो गई। उनका एक कागज कहीं गुम हो गया। कागज नहीं होने से बीमा कंपनी ने पहले भुगतान से मना कर दिया। फिर काफी भाग-दौड़ और कागजी कार्रवाई के बाद उन्हें एक साल बाद जाकर राशि मिल पाई।

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बताने की जरूरत नहीं है कि बीमा संबंधित कागजात संभाल कर रखना कितना जरूरी है। पॉलिसी संबंधी भुगतान प्राप्त करने के लिए हर तरह के कागजात का होना बेहद जरूरी है। एक भी कागज गुम होने का मतलब है कि आपको कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा। कई बार तो ऐसी लापरवाही वर्षो की मेहनत व निवेशित राशि पर पानी फेर सकती है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। पिछले वर्ष बीमा नियामक इरडा ने ई-रिपॉजिटरीज के गठन का एलान किया है। इसके जरिये निवेशक अपने सारे कागजात ई-फॉर्म यानी कंप्यूटर (डिजिटल प्रारूप) में सुरक्षित रख सकते हैं। इस तरह से कागजों के गुम होने का डर अब खत्म हो सकता है।

ई-रिपॉजिटरीज ग्राहकों को कई तरह से कई तरह के कागजों को संभालने व उन्हें सुरक्षित रखने के झंझट से आजादी दे देंगी। इसके तहत निवेशकों का ई-अकाउंट खोला जाएगा। इस खाते में हर बीमा कंपनी से मिले सारे कागजात सुरक्षित रखे जा सकते हैं। मतलब अगर आपके पास किसी साधारण बीमा कंपनी की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, और जीवन बीमा कंपनी की टर्म पॉलिसी है तो आपको दो अलग खाते खोलने की जरूरत नहीं है। उन्हें एक ही खाते में सुरक्षित रखा जा सकता है। निवेशक अपने पोर्टफोलियो पर नजर भी रख सकेंगे। साथ ही, हर बार केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) करवाने का झंझट भी नहीं रहेगा। क्लेम लेते समय ग्राहकों के साथ ही बीमा कंपनियों के लिए भी सूचनाओं तक पहुंचना आसान होगा। क्लेम मिलना भी आसान हो जाएगा।

ई-रिपॉजिटरीज से ई-केवाईसी का प्रचलन बढ़ेगा। इससे न सिर्फ दावे को निपटाना आसान होगा, बल्कि कई तरह की गड़बड़ी को दूर करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे के नाम से दावे की रकम हथियाने जैसे फ्रॉड नहीं हो सकेंगे। बीमा कंपनियों को एक विशेष फायदा यह होगा कि उन्हें यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि अमुक ग्राहक को किस तरह की पॉलिसियों की दरकार है। हर बार ग्राहकों को प्रमाणपत्रों की असली कॉपी के साथ बीमा कंपनियों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। कागज रखने का झंझट बीमा कंपनियों का भी नहीं रहेगा और उनकी लागत कम होगी। ई-रिपॉजिटरीज की सुविधा हर ग्राहक को मुफ्त में दी जाएगी।

इरडा ने पांच कंपनियों का चयन किया है, जो ई-रिपॉजिटरीज की सुविधा देंगी। ये बीमा कंपनियों के एजेंट के तौर पर काम करेंगी। ग्राहक अपनी सुविधा के मुताबिक ई-रिपॉजिटरी चुन सकते हैं। चयनित ई-रिपॉजिटरी को उन्हें अपनी बीमा पॉलिसियों के बारे में सभी सूचनाएं देनी होगी। ग्राहकों के बारे में जो भी डाटा है, उसे कंपनियों की तरफ से लगातार अपडेट किया जाएगा। ई-रिपॉजिटरी की तरफ से ग्राहकों को एक लिंक दिया जाएगा, जिसके जरिये वे अपनी पॉलिसियों पर नजर रख सकेंगे। मसलन, प्रीमियम का भुगतान कब करना है, फंड का वैल्यू कितना है, परिपक्वता अवधि कब है, आदि की जानकारी इससे मिलती रहेगी।

स्नेहिल गंभीर

सीओओ,

अवीवा लाइफ इंश्योरेंस

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