नए साल में करने जा रहे हैं निवेश, याद रखें एक्सपर्ट की ये बातें
लंबे समय के लक्ष्य वाले सभी निवेश छोटे-छोटे (चार या पांच) डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों और बैलेंस्ड फंडों में किए जाने चाहिए।
क्या आप 2017 के सर्वश्रेष्ठ म्यूचुअल फंड की सूची तैयार करना चाहेंगे? या शायद ऐसे कुछ म्यूचुअल फंड की सूची जो 2018 में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं? सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली कंपनियों की सूची कैसी रहेगी? सर्वश्रेष्ठ सेक्टर? सर्वश्रेष्ठ देश? पिछले साल के सबसे अच्छे ट्रेंड या आने वाले साल के लिए सुझाव? यह साल का वो वक्त है, जब निवेशक खुद को टीवी, समाचार पत्र या वेबसाइटों में व्यस्त रखेंगे और ऊपर लिखे सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। आप इनसे दो तरह की जानकारी जुटा सकते हैं। पहला, आप ये जानने में वक्त लगाइए कि पिछले साल क्या-क्या हुआ। दूसरा तरीका है, इस बारे में जानकारी जुटाना कि इस साल क्या हो सकता है। निश्चित रूप से इस बारे में हर बात केवल एक अनुमान ही होगी।
आप सोच रहे होंगे कि मैं इन भविष्यवाणियों को लेकर इतना संशय में क्यों रहता हूं? वो भी ऐसे वक्त में जबकि केवल यही काम करने के लिए एक पूरा उद्योग खड़ा हो चुका है। कई बार वो सटीक होने का दावा करते हैं और हो सकता है कि कभी उनका दावा सच भी निकले। आप आज भविष्यवाणी सुन सकते हैं कि अगली तिमाही में फलां कंपनी की ईपीएस 10.25 रुपये रहेगी। हो सकता है कि यह अनुमान सही निकले। अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ बड़े आंकड़ों को लेकर भी किसी के अनुमान सही निकल सकते हैं। आप सोचेंगे कि ऐसे में कोई कैसे कह सकता है कि अगले साल के लिए अनुमान बेकार की कवायद है? इसका उत्तर बड़ा ही आसान सा है। इस सवाल में छिपा है कि इन अनुमानों से एक निवेशक के रूप में क्या फायदा होगा?
बीते कल पर दौड़ाएं नजर: इस प्रश्न का उत्तर आपके सामने स्पष्ट हो जाएगा, जब आप बीते कल पर नजर दौड़ाएंगे। आप विचार कीजिए कि बीते कुछ दशकों में ऐसा क्या था, जिसका अनुमान लगाया जा सकता था या जिसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता था। अब यह तुलना कीजिए असल में किसी निवेशक को रिटर्न के लिहाज से ज्यादा फायदा किससे हुआ। इसे कुछ ऐसे समझने की कोशिश कीजिए कि 80 के दशक के आखिर तक भारतीय सॉफ्टवेयर सेवाओं में इतनी तेज बढ़ोतरी का अनुमान कौन लगा पाया होगा? क्या शहरों में लोगों के रहन-सहन में आए बदलाव का कोई पहले अनुमान लगा पाया होगा? क्या 1995 में कोई सोच पाया होगा कि आने वाले दिनों में कर्ज पर ब्याज दरें इतनी कम हो जाएंगी और कर्ज लेना इतना आसान होगा? 1996 में, जब एक बेसिक फोन की कीमत 20,000 रुपये (आज के हिसाब से 1.5 लाख रुपये) थी, तब कोई अनुमान लगा सकता था कि 2017 में भारत में कितने लोगों के पास मोबाइल कनेक्शन होगा?
क्या 2008 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई मंदी का अनुमान कोई कुछ साल पहले लगा सकता था? 2009 में जब शेयर बाजार ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग सरकार की वापसी का जबर्दस्त स्वागत किया था, उस वक्त क्या किसी ने अगले पांच साल शेयर बाजार में रहने वाली नरमी का अंदाजा लगाया था? इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि बहुत कुछ जो छिपा होता है और भविष्य पर गंभीर प्रभाव भी रखता है, जरूरी नहीं कि उसका अनुमान पहले से लगाया जा सके। इसलिए अगर 12 महीनों का हर अनुमान गलत साबित हो, उस स्थिति में इस रीति का विरोध करना ही ठीक है। मैं कहना चाहूंगा आप 2028 का लक्ष्य लेकर चलिए। बताना चाहूंगा कि 2028 तक बचत की चाहत रखने वालों को क्या करना चाहिए। निवेशकों को समय से वित्तीय जरूरतों को तय करना चाहिए। यह इसलिए मुश्किल नहीं है कि बड़े खर्चो का प्राय: अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसा पैसा, जिसकी जरूरत 2028 से 2030 या उसके आसपास पड़ सकती है, उसे फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट के रूप में रखना चाहिए। यह बचत सरकारी स्मॉल सेविंग स्कीम या डेट म्यूचुअल फंड के रूप में हो सकती है।
लंबे समय के लक्ष्य वाले सभी निवेश छोटे-छोटे (चार या पांच) डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों और बैलेंस्ड फंडों में किए जाने चाहिए। इस तरह के निवेश निश्चित रूप से एक ही बार में नहीं किए जाने चाहिए, बल्कि एसआइपी के जरिये होने चाहिए। यह रणनीति आसान और प्रभावी है। इन निवेशों के अलावा आपको आपात स्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। घर के हर सदस्य के पास करीब दस साल के वेतन के बराबर का जीवन बीमा होना चाहिए। अगर आप केवल और केवल जीवन बीमा लेना चाहें तो यह ज्यादा महंगा नहीं पड़ेगा। आपके पास स्वास्थ्य बीमा और करीब आठ से नौ महीने के खर्च के बराबर का पैसा बचत खाते में होना चाहिए। इस पैसे का इस्तेमाल आपात स्थिति में किया जा सकता है।
2028 के लिए बचत या निवेश के बारे में सोचते हुए आपको ये कदम उठाने चाहिए। 2018, 2022 या फिर कोई और अवधि हो, तब भी रणनीति यही होनी चाहिए। इसके अलावा तमाम माध्यमों में पिछले साल, अगले साल की जो भी चर्चाएं हों, उनसे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर आपके पास बचत की ऐसी रणनीति है, जिसे साल दर साल बदलना पड़ता है तो निश्चित तौर पर उसमें कुछ कमी तो है।
(यह लेख धीरेंद्र कुमार ने लिखा है। जो वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं।)