Move to Jagran APP

इक्विटी निवेशकों की एक पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं राकेश झुनझनवाला, लीजेंड के तरीकों से सीखने वाले सबक

सही कारणों से स्टाक में निवेश करें। अगर आप सही साबित होते हैं तो अपने निवेश में और जोड़ते रहें और उसे कई साल या दशकों तक होल्ड करके रखें। तब तक जब तक आपके निवेश का मूल कारण कायम रहता है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Sun, 04 Sep 2022 10:17 PM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2022 10:17 PM (IST)
इक्विटी निवेशकों की एक पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं राकेश झुनझनवाला, लीजेंड के तरीकों से सीखने वाले सबक
Rakesh Jhunjhunwala an inspiration to a generation of equity investor

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। निवेश की दुनिया के प्रसिद्ध नाम राकेश झुनझुनवाला इक्विटी निवेशकों की एक पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। सोशल और पारंपरिक मीडिया में उन पर तमाम बातें लिखी जा रही हैं। इनमें उनके मार्केट से पैसा बनाने पर ज्यादा और निवेश के अलग तरीके पर कम लिखा जा रहा है। इस बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने मार्केट से कितना पैसा कमाया है। असल बात बिल्कुल अलग है।

loksabha election banner

झुनझुनवाला के निवेश का तरीका अच्छे निवेश की पहचान करना और फिर बड़े और बहुत बड़े स्तर पर ले जाने का रहा है। समय और संख्या दोनों के लिहाज से 'बड़ा' निवेश। निष्पक्षता से कहूं तो ऐसे बहुत से लोग हैं, जो झुनझुनवाला की तरह निवेश करते हैं। मगर, ये उनकी सफलता का पैमाना और शख्सियत की खूबी रही, जो उन्हें एक शानदार मिसाल बना देती है जिसका अनुसरण किया जाए। झुनझुनवाला ने अपने अच्छे निवेशों को दशकों तक होल्ड किया। इतना ही नहीं, वो उनमें और निवेश करते रहे। यही वजह रही कि वो टाइटन और क्रिसिल जैसी कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी बना पाए। ये भारतीय इक्विटी निवेशकों के चलन से ठीक उलट है। उनसे भी जो खुद को बुनियादी तौर पर लंबी-अवधि का निवेशक मानते हैं।

अपने नुकसान से बाहर निकल जाना और अपने अच्छे निवेश में ज्यादा से ज्यादा जोड़ते जाना, एक मामूली निवेश की सलाह लगती है। मगर यही असली इक्विटी निवेश है। यह प्राफिट बुक करने के चलन के ठीक उल्टा है। ज्यादातर लोगों को जैसे ही लगता है कि उन्होंने किसी स्टाक में काफी पैसा बना लिया है, वो अपना निवेश बेच देते हैं। ये प्राफिट बुक करना कहलाता है। इक्विटी निवेशकों के बीच अक्सर कहा जाता है कि प्राफिट बुक करने से कभी किसी को नुकसान नहीं हुआ। ये बात एकदम समझ में आती है, और प्राफिट बुकिंग को समझना सरल कर देती है। दूसरी कई बातों की तरह, इस व्यवहार की जड़ें भी मनोविज्ञान में हैं, तर्क में नहीं। लोग डरते हैं कि उनका मुनाफा या तो हाथ से फिसल जाएगा या घट जाएगा। इस किस्म के पछतावे और शर्मिंदगी की कोई जगह नहीं है। फायदे का ऊंचा स्तर पाने की सफलता का एहसास बेशकीमती है।

असल में, एक निवेशक के नजरिये से प्राफिट बुक करना मार्केट में 'टाइम' करने का ही एक तरीका है, जो शायद ही कभी काम करता है। अगर करता भी है तो सिर्फ संयोग से। जैसा चार्ली मंगर ने कहा है, मार्केट टाइम करने के नजरिये से बेचना असल में निवेशक को दो तरह से गलत होने के तरीके देता है- गिरावट और ज्यादा हो सकती है या नहीं भी हो सकती। अगर होती है, तो उन्हें ये पता करना होगा कि वापस निवेश में उतरने का सही समय क्या होगा। इस आत्मघाती मानसिकता का सबसे अच्छा तोड़ है झुनझुनवाला जैसी मिसाल की तरफ देखना। सही कारणों से स्टाक में निवेश करें। अगर आप सही साबित होते हैं तो अपने निवेश में और जोड़ते रहें और उसे कई साल या दशकों तक होल्ड करके रखें। तब तक, जब तक आपके निवेश का मूल कारण कायम रहता है।

स्टाक से जुड़ी सलाह देने वाले लोगों से अधिकांश निवेशक लगातार 'टार्गेट प्राइस' जानने पर जोर देते रहते हैं। लोगों में ये आइडिया बड़े गहरे से समाया हुआ है कि स्टाक होल्ड करना, ट्रेन का ऐसा सफर है जहां आपको अपनी मंजिल का पहले से पता होना ही चाहिए। अगर राकेश झुनझुनवाला ने इस तरह से निवेश किया होता, तो भी वो बेहद सफल निवेशक होते, मगर आज आपने उनका नाम नहीं सुना होता।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डॉट काम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.