किसानों की जिंदगी पर कितना असर डालेगी बढ़ी हुई MSP?
सरकार ने सभी खरीफ फसलों के एमएसपी में उत्पादन की लागत के 15 गुना तक बढ़ोतरी को मंजूरी दी है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय बजट में किए गए वादे को निभाते हुए मोदी सरकार ने खरीफ की सभी फसलों के न्यूनमत समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफे के साथ किसानों को एक बड़ी राहत देने का काम किया है। धान की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये प्रति क्विटल का इजाफा किया गया है। गौरतलब है कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार के वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी ने वादा किया था कि एमएसपी को तय करने में स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले का पालन किया जाएगा। लेकिन इस बीच बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि चुनाव से पहले किसानों को दिया गया एमएसपी का यह तोहफा उनके कितने काम आता है।
एमएसपी बढ़ने से क्या होगा?
एमओएसएल रिटेल रिसर्च के प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने बताया कि सरकार ने सभी खरीफ फसलों के एमएसपी में उत्पादन की लागत के 1.5 गुना तक बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। एमएसपी में वृद्धि 3.7% (उरद के लिए) से लेकर 52.5% (रागी के लिए) के बीच की गई है, जिसका मतलब यह हुआ कि उत्पादन-भारित औसत वृद्धि वित्त-वर्ष 2017-18 के 7.1% की तुलना में वित्त-वर्ष 2018-19 में 15.8% हो गई (पिछले चार वर्षों में 4.3% की औसत वृद्धि)। यह पिछले दो दशकों के दौरान एमएसपी में यह चौथी सबसे बड़ी वृद्धि है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी अथवा नहीं, यह बात पूरी तरह से केंद्र एवं राज्य सरकारों की विभिन्न एजेंसियों की बेहतर पहुंच एवं उच्चतम खरीदारी पर निर्भर होगी। हालांकि भावनात्मक दृष्टि से यह ग्रामीण उपभोग की दिशा में किया गया एक सकारात्मक प्रयास है।
कैसा रहेगा ग्रामीण उपभोग?
खेमका ने बताया कि एमएसपी में इजाफे के साथ-साथ लगातार तीसरे वर्ष सामान्य मानसून के पूर्वानुमान के चलते, उपभोग के बेहतर होने के संकेत मिलते हैं। इसके अलावा, नोटबंदी और जीएसटी का असर काफी हद तक कम हो चुका है। साथ ही फिलहाल इस दिशा में कोई बड़ी बाधा मौजूद नहीं है जिससे उपभोग के रुझानों को मजबूती मिलेगी। सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, अगले साल कई चुनाव होने वाले हैं तथा मौजूदा सत्ताधारी दल को हालिया उपचुनावों में राजनीतिक झटकों का सामना करना पड़ा है, जिसे देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि सरकार उपभोग, विशेष तौर पर ग्रामीण उपभोग का समर्थन करेगी। ग्रामीण उपभोग के प्रोत्साहन के साथ उम्मीद की जा सकती है कि उपभोग पर भी ध्यान दिया जाएगा।