सीधे स्टॉक में निवेश से बेहतर है म्यूचुअल फंड का रास्ता, समझिए एक्सपर्ट से
निवेश की दुनिया में शुरुआती कदम रख रहे निवेशक के लिए निसंदेह म्यूचुअल फंड ही श्रेष्ठ तरीका है
नई दिल्ली (धीरेंद्र कुमार)। निवेश की दुनिया में कदम रख रहे लोगों के सामने बड़ा सवाल होता है कि शुरुआत कैसे की जाए? कुछ लोग सीधे स्टॉक में निवेश की सलाह देते हैं, तो कुछ लोग इक्विटी म्यूचुअल फंड के रास्ते को बेहतर बताते हैं। हालांकि यदि व्यापक रूप से लाभ-हानि के पलड़े पर देखा जाए तो म्यूचुअल फंड के रास्ते इक्विटी में निवेश अच्छा विकल्प माना जा सकता है। इससे टैक्स में बचत से लेकर बेहतर रिटर्न पाने तक के कई फायदे हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश का बड़ा फायदा यह भी है कि आपका पैसा किसी बड़े झटके से प्राय: बचा रहता है।
मेरे अब तक के कई लेख यह स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर लंबी अवधि के लिए निवेश करना है, तो इक्विटी सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। अब सवाल उठता है कि शुरुआत कैसे हो? जिसने कभी इक्विटी में निवेश नहीं किया हो, उसके सामने यह बड़ी समस्या होती है।
आमतौर पर सभी को पता है कि इक्विटी में निवेश के दो तरीके हैं। पहला तरीका है कि स्टॉक चुनिए और उसमें खरीद-बिक्री कीजिए। दूसरा तरीका है म्यूचुअल फंड के जरिये इक्विटी में निवेश कीजिए। दोनों तरीके एक-दूसरे से बिलकुल अलग हैं, लेकिन दोनों का अंतिम लक्ष्य एक ही है, अच्छा रिटर्न पाना। अगर आप निवेश के मामले में विशेषज्ञ नहीं हैं, या आपके पास अध्ययन के लिए पर्याप्त समय नहीं है, तो इक्विटी में सीधे निवेश का कोई कारण नहीं बनता है। निवेश की दुनिया में शुरुआती कदम रख रहे निवेशक के लिए निसंदेह म्यूचुअल फंड ही श्रेष्ठ तरीका है। मैं यह नहीं कहना चाहता हूं कि सीधे स्टॉक में निवेश करने वाला सफल नहीं हो सकता।
ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां इस तरह के निवेशकों को शानदार सफलता मिली है। लेकिन इस रास्ते में मुश्किलें बहुत हैं। इस रास्ते पर चलने वाले 100 में से करीब पांच से 10 लोग सफल हो पाते हैं। जो सफल हुए हैं, संभव है कि उन्होंने भी पहले असफलता देखी हो। हो सकता है कि हर असफलता से उन्हें नुकसान भी हुआ हो। हम सब में से ज्यादातर लोग, जो निवेश से एक अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं, उनके लिए सफलता-असफलता से सीखने की यह प्रक्रिया भारी पड़ सकती है। इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड इन सभी समस्याओं का आसान हल देता है। म्यूचुअल फंड के रास्ते इक्विटी में निवेश के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा है संतुलित डायवर्सिफिकेशन। फंड मैनेजर एक फ्रेमवर्क में काम करते हैं, जहां निवेश के कुछ निश्चित नियमों का पालन किया जाता है। इस फ्रेमवर्क में निवेश का फायदा यह होता है कि निवेशक का पैसा काफी हद तक सुरक्षित रहता है। निवेश के नियम निवेशक को झटकों से बचाने में भी मदद करते हैं। सीधे स्टॉक में निवेश करने वालों के लिए ऐसे झटकों से बचना मुश्किल हो जाता है।
इसका दूसरा बड़ा फायदा है कि आप थोड़े पैसे का भी निवेश बेहतर तरीके से कर सकते हैं। यदि आप अपने स्तर पर स्टॉक चुनकर एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाना चाहेंगे, तो निश्चित रूप से बड़ी राशि की जरूरत होगी। ऐसे पोर्टफोलियो के लिए आपको शुरुआत में ही कुछ लाख रुपये लगाने होंगे। म्यूचुअल फंड के माध्यम से आप यही काम कुछ हजार रुपयों में भी कर सकते हैं। आप नियमित रूप से हर महीने कुछ राशि का निवेश करते रह सकते हैं और इक्विटी म्यूचुअल फंड में सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर में छूट भी पा सकते हैं।
इन सबके अलावा एक बड़ा फायदा है लंबे समय में इससे मिलने वाला शानदार रिटर्न। सभी इक्विटी पोर्टफोलियो में नियमित रूप से खरीद-बिक्री करते रहने की जरूरत होती है। अगर आप अपने स्तर पर ही स्टॉक में निवेश कर रहे होते हैं, तो यह लेनदेन कर के दायरे में आ जाता है। वहीं म्यूचुअल फंड में यह काम फंड मैनेजर करते हैं। आपके पोर्टफोलियो में इस तरह की खरीद-बिक्री नहीं होने के कारण आप पर कर देनदारी नहीं बनती है। इससे भी आपको मिलने वाले रिटर्न में बढ़ोतरी होती है। लंबी अवधि के निवेश में इससे बड़ा अंतर पड़ता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो ऐसे कई कारण हैं, जो स्टॉक में निवेश के मुकाबले इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश को बेहतर साबित करते हैं। निसंदेह, इसके बाद भी अगर आप संतुष्ट नहीं हैं, तो आपके सामने स्टॉक में सीधे निवेश का रास्ता खुला है। यह मुश्किल तो होगा, लेकिन हो सकता है आपका नाम सफल लोगों की सूची में लिखा जाए।
(इस लेख के लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार हैं।)