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इंवेस्टमेंट से जुड़ा मंत्र फिर वही है, बुनियादी सिद्धांतों से भटकने की नहीं है गुंजाइश

शेयर बाजारों को खासियत यही है कि वे इन घटनाओं में इन घटनाओं में आम आदमी के मुकाबले कहीं ज्यादा सकारात्मकता खोज लेते हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2020 10:29 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 07:34 AM (IST)
इंवेस्टमेंट से जुड़ा मंत्र फिर वही है, बुनियादी सिद्धांतों से भटकने की नहीं है गुंजाइश
इंवेस्टमेंट से जुड़ा मंत्र फिर वही है, बुनियादी सिद्धांतों से भटकने की नहीं है गुंजाइश

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। क्या आपने कभी रिवेंज शॉपिंग, शाब्दिक अर्थों में कहें तो बदले की भावना से किए गए शॉपिंग के बारे में सुना है? मुझे पक्का यकीन है आपने नहीं सुना होगा। लेकिन हाल के दिनों में यह अद्भुत मुहावरा लोगों की जुबान पर खासा चढ़ा है और यह मुहावरा चीन से निकलकर आया है। रिवेंज शॉपिंग यानी बहुत दिनों तक शॉपिंग से वंचित रखे गए ग्राहक द्वारा जमकर खरीदारी करना। हाल ही में हांगकांग स्थित एक समाचारपत्र साउथ चाइना मॉनिर्ंग पोस्ट में एक आलेख छपा है। इसमें कहा गया है कि चीन के शहरों में कोरोना के बाद खुले बाजारों में रिवेंज शॉपिंग हो रही है। खासतौर पर लक्जरी स्टोर्स में ग्राहक ऐसी खरीदारी के लिए टूट पड़े दिखते हैं। आलम यह है कि स्टोर्स खुलने के पहले ही दिन फ्रांस की रिटेल चेन हर्मिस के एक स्टोर में 29 लाख डॉलर यानी करीब 22 करोड़ रुपये मूल्य की बिक्री हुई। अब लोग इसका अंदाजा लगाना चाह रहे हैं कि क्या यह रिवेंज शॉपिंग अन्य शहरों में भी दिखाई देगी? या यह कि क्या इस तरह की शॉपिंग सिर्फ धनी ग्राहक वर्गों तक सीमित रहेगी या मध्यम-वर्गीय ग्राहक भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा? 

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बहरहाल, दुनिया के बाकी हिस्सों में शॉपिंग की सुविधा शुरू होने के लिहाज से यह नौबत आने में अभी कुछ महीने लगेंगे। फिलहाल सूरत यह है कि लोग लॉकडाउन खत्म होने के संकेतों का इंतजार कर रहे हैं। अभी इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि कारोबार, अर्थव्यवस्था और लोगों की खुद की बचत और निवेश का कोविड-19 के बाद की दुनिया में क्या हश्र होने वाला है। अभी बहुत से संकेत दिख रहे हैं जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हैं। यह पूरी तरह आपकी तात्कालिक मनोदशा पर निर्भर करता है कि आप सकारात्मक संकेतों की ओर देखते हैं या आपके चारों तरफ नकारात्मकता हावी है। 

रिवेंज शॉपिंग अभी तक सिर्फ चीन में नजर आई है और उसमें भी जनसंख्या का बहुत छोटा हिस्सा इसमें सक्रिय दिखा है। लेकिन शेयर बाजारों को खासियत यही है कि वे इन घटनाओं में इन घटनाओं में आम आदमी के मुकाबले कहीं ज्यादा सकारात्मकता खोज लेते हैं। जिस वक्त मैं यह कॉलम लिख रहा हूं, उस वक्त की अच्छी बात यह है कि पिछले दो हफ्तों से घरेलू शेयर बाजारों ने कोई बहुत बुरा दिन नहीं देखा है। हालांकि बाजार कोविड-19 से पहले के दौर के मुकाबले अभी निचले स्तर पर हैं, लेकिन बेहद अस्थिरता वाला दौर अब खत्म हो गया दिखता है। अगर अतीत सच में कोई संकेत देता है, तो यह भी संभव है कि अगले कुछ दिनों में शेयर बाजारों में अगले दिनों फिर एक बार तेज गिरावट दिखे। हालांकि उन गिरावटों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता। 

इन सभी परिस्थितियों में महामारी हो या नही हो, निवेशकों के लिए यही बेहतर है कि वे उन्हीं परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करें जो उनके नियंत्रण में हों। आपका नियंत्रण इन चीजों पर है कि आप कब निवेश करते हैं, कहां निवेश करते हैं और किन दामों पर निवेश करते हैं। आपका नियंत्रण इन चीजों पर है कि जब बाजार में सबकुछ अच्छा-अच्छा दिख रहा हो तब आप भावावेश में निवेश करते या नहीं करते हैं, अथवा जब बाजार में अफरातफरी हो तो आप घबराकर निवेश बंद कर देते हैं। जो रकम आप निवेश करना चाहते हैं, उस पर भी आपका पूरा नियंत्रण है। आपका नियंत्रण इन बातों पर भी है कि आपकी वित्तीय जरूरतों में निवेश करने लायक रकम का महत्व क्या है, आप कितने दिनों तक निवेश में बने रह सकते हैं और यह एक सुनियोजित निवेश है या नहीं। यही वो चीजें हैं जिन पर आपका पूरा नियंत्रण है या जिनके बारे में आपको पूरी जानकारी है। अपनी वित्तीय स्थिति और निवेश करने लायक रकम को लेकर जितनी समझ आपको है उतनी किसी और को नहीं हो सकती, लिहाजा उसकी गुणवत्ता भी बेहद अधिक है। सही मायनों में कोविड-19 का असर क्या होगा या उसके बाद इकोनॉमी का क्या होगा, इससे ज्यादा जानकारी आपके पास आपकी वित्तीय स्थिति की है। 

कुछ पाठक कह सकते हैं कि जबसे कोविड-19 का संकट सामने आया है, मैं नियमित अंतराल पर उनसे यही आग्रह कर रहा हूं कि वे निवेश के बुनियादी सिद्धांतों को पकड़े रहें। अगर वे ऐसा सोचते हैं तो पूरी तरह गलत हैं। सच तो यह है कि मैं पिछले 25 वषों से यही मंत्र रट रहा हूं। मेरे इस मंत्र का कोविड या उससे उपजी परिस्थितियों से कोई लेना-देना नहीं है। और मुझे लगता है कि दशकों तक मैं यही मंत्र दोहराता रहूंगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे लिखने और आपके पढ़ने से अधिक जरूरी यह है कि हम सब इसे कार्यरूप में अपनाएं। 

जब भी अत्यंत वाला वक्त आता है - चाहे वह अत्यंत अच्छा हो, अत्यंत बुरा हो या अत्यंत अनिश्चित हो - तो उन दिनों बुनियादी सिद्धांतों को छोड़ने की भी इच्छा उसी ‘अत्यंत’ रूप में पैदा होती है। ऐसे वक्त में ही खुद को सतर्क रखना होता है। ऐसे में सुनिश्चित करें कि आप टर्म इंश्योरेंस और आपात खर्च जैसे मोर्चे पर एकदम सुरक्षित हैं। सुनिश्चित करें कि आपके पास पूंजी के सटीक निवेश की योजना है। अगर आपकी यह योजना ठीक है, तो मेरी समझ में इसके साथ छेड़छाड़ नहीं करने में ही आपकी भलाई है। 

चीन में लॉकडाउन खुलने के बाद एक नया ट्रेंड दिखा है - रिवेंज शॉपिंग का। भारत में अभी लॉकडाउन खुलने और उसके बाद की स्थितियों के बारे में ठीक से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। लेकिन इतना तय है कि शेयर बाजारों ने पिछले कुछ दिनों के दौरान अपेक्षाकृत स्थिरता दिखाई है। इसके बावजूद अगले कुछ दिनों के दौरान बड़ी गिरावट से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इन सबके बीच मैं एक बार फिर कहूंगा कि आपकी अपनी वित्तीय स्थिति और उसकी जानकारी को छोड़कर और कुछ भी आपके नियंत्रण में नहीं है। ऐसे में आपके लिए बेहतर वही है जो मैं पिछले 25 वषों से कह रहा हूं - ‘अत्यंत’ वाली स्थिति ललचाती जरूर है, लेकिन आप लालच में मत पड़ें और बुनियादी सिद्धांत पकड़कर चलें। 

(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीइओ हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)


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