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शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में कैसे मिलेगा ज्यादा रिटर्न? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

जो लोग शेयर बाजार में निवेश करना शुरू करते हैं वो इस बात को लेकर काफी कन्फ्यूज रहते हैं कि उन्हें शार्ट टर्म में ज्यादा मुनाफा मिलेगा या लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि इस पर एक्सपर्ट का क्या कहना है।

By Sarveshwar PathakEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 02:15 PM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 02:23 PM (IST)
How to get higher returns in short term and long term Know by expert Dhirendra Kumar

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। जैसे किसी दोस्त के धोखा देने का दु:ख होता है, ठीक उसी तरह की फीलिंग तब आती है, जब कोई स्टाक अच्छा नहीं रह जाता है। कुछ समय पहले मैं एक व्यक्ति से मिला, जिनका कैस्ट्राल के स्टाक से रिश्ता काफी पुराना और भरोसे वाला था। ये स्टाक उनके लिए एक ऐसे दोस्त की तरह था, जिसने जिंदगी के हर मोड़ पर मदद की। मगर कुछ साल पहले सब कुछ बदल गया। यह ठीक उसी तरह था, जैसे कोई पुराना दोस्त धोखा दे जाए।

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ये कोई अजीब बात नहीं है। जिस तरह से दूसरी तमाम चीजें फेवरेट होती है ठीक उसी तरह से कई इक्विटी निवेशकों के लिए कुछ स्टाक फेवरेट होते हैं। आमतौर पर ये तब होता है, जब कोई व्यक्ति निवेश की शुरुआत में स्टाक खरीदता है और वह उसको बड़ा रिटर्न देता है। जो लोग सही समय पर निवेश की शुरुआत करते हैं और उतार-चढ़ाव के मुश्किल दौर में भी किसी एक स्टाक के साथ बने रहते हैं, उसी के जरिये बड़ी दौलत जमा कर लेते हैं, ऐसे में उस स्टाक को लेकर उनमें गहरा भरोसा पैदा हो जाता है।

कुछ दिन पहले मैं एक वीडियो यू-ट्यूब पर खोज रहा था। मुझे तलाश थी वारेन बफेट के बर्कशायर हैथवे की सालाना शेयर होल्डर मीटिंग के वीडियो की। इसी दौरान मुझे जानेमाने कंट्री सिंगर जिमी बफेट का एक वीडियो मिला। करीब 25 साल पहले जिमी बफेट ने बर्कशायर हैथवे के स्टाक खरीदे थे। ये स्टाक उन्होंने कभी नहीं बेचे और इससे उनकी दौलत में जबरदस्त इजाफा हुआ। जिमी बफेट की कहानी ये साबित करती है कि किसी खास स्टाक के प्रति मोह की बात दुनियाभर में देखी जाती है। यही मोह, कुछ निवेशकों में म्यूचुअल फंड को लेकर भी होता है। हालांकि, म्यूचुअल फंड को लेकर मोह थोड़ा कम होता है, क्योंकि इसका आसानी मानवीकरण नहीं हो पाता है, क्योंकि ये एक बिजनेस है।

जिनका कोई फेवरेट स्टाक होता है, वो लोग तकरीबन हर मामले में, उन्हें बेचने से इन्कार कर देते हैं, तब भी जब बिजनेस मुश्किल दौर में हो। ये मुश्किल दौर की बात भी नहीं है। ये तो बस ऐसा है, जैसे गुजरते समय के साथ और कभी बिजनेस के सितारे बदलने की वजह से मुश्किल दौर आ जाए। अब चाहे ये अर्थव्यवस्था के कारण हो या पूरी इंडस्ट्री की वजह से या फिर सेक्टर में आए बदलावों के कारण।

भारत में यूनीलीवर इसका अच्छा उदाहरण है। पिछली सदी में यह खरीदकर रखने के लिए अच्छा स्टाक था। हालांकि, वर्ष 2001 में रुख बदला और करीब एक दशक तक ये स्टाक थम सा गया। इसके बाद इसकी वापसी हुई और बाद का दशक शानदार रहा। ये लंबे समय में बदलाव के ट्रेंड हैं, जिन्हें शार्ट-टर्म में दांव लगाने वाले सटोरिए नजरअंदाज कर देते हैं और ये ठीक भी है।

लांग टर्म का मतलब ये नहीं है कि आप अपने स्टाक पर ध्यान देना ही बंद कर दें। कुछ सप्ताह पहले जब एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक के विलय की घोषणा हुई तो मुझे एक फंड मैनेजर समीर अरोड़ा का एक कमेंट याद आया। उन्होंने कई साल पहले एचडीएफसी बैंक के शेयर लिए थे और अच्छा रिटर्न पाया था। उन्होंने कहा था कि एचडीएफसी बैंक को 20 साल तक होल्ड नहीं किया, बल्कि 80 क्वार्टर तक होल्ड किया।

नोट- यह लेखक धीरेंद्र कुमार, सीईओ, वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के निजी विचार हैं।


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