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कोरोना ने दुनिया को परेशान किया लेकिन बीमा उद्योग को दी 'सांसें', व्यापार में आया तेज उछाल

कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर के भिन्न देशों में आर्थिक गतिविधियों को काफी बाधित किया है। नतीजतन ज़्यदातर कारोबार में भारी नुकसान हुआ है। हालांकि महामारी ने भारतीय बीमा उद्योग को आगे बढ़ाया है। पहले भारत के स्वास्थ्य बीमा बाजार में पहुंच काफी कम थी।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 02:03 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 02:40 PM (IST)
कोरोना ने दुनिया को परेशान किया लेकिन बीमा उद्योग को दी 'सांसें', व्यापार में आया तेज उछाल
महामारी ने भारतीय बीमा उद्योग को आगे बढ़ाया है।

नई दिल्‍ली, श्रीराज देशपांडे। कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर के विभिन्न देशों में आर्थिक गतिविधियों को काफी बाधित किया है। नतीजतन ज़्यदातर कारोबार में भारी नुकसान हुआ है। हालांकि, महामारी ने भारतीय बीमा उद्योग को आगे बढ़ाया है। पहले भारत के स्वास्थ्य बीमा बाजार में पहुंच काफी कम थी। आबादी के करीब 4% ने ही रिटेल स्वास्थ्य बीमा कराया था। वित्‍त वर्ष 2022 के लिए अब तक जनरल इंश्योरेंस कौंसिल के डाटा के मुताबिक, भारतीय जीआई उद्योग ने सालाना आधार पर 12.3% का जीडीपीआई विकास दर्ज किया है।

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वैसे तो कोविड-19, स्वास्थ्य बीमा वर्ग के लिए भारी क्लेम में वृद्धि के लिहाज से नुकसानदेह था। लेकिन, इससे इस वर्ग के लिए विकास की संभावना बनी। इसके अलावा, इनोवेटिव बीमा उत्पादों में वृद्धि जैसे कारणों, आसान प्रक्रिया और महामारी से प्रेरित जागरूकता से कॉम्प्रिहेंसिव स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की मांग में तेजी आई और इस तरह स्वास्थ्य बीमा इस साल एक महत्वपूर्ण वित्तीय टूल बन गया।

वित्‍त वर्ष 2022 के लिए अब तक ग्रुप स्वास्थ्य वर्ग में 36.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई जबकि रिटेल हेल्थ में सालाना 17.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिटेल और ग्रुप हेल्थ में भी स्वास्थ्य बीमा कराने के मामले बढ़ने जैसे कारणों से अल्प अवधि के कोविड-19 कवर की मांग बढ़ गई। इसके साथ क्लेम भी बढ़े और मौजूदा पॉलिसीधारकों के बीच बेहतर कवरेज की मांग में भी बड़ोतरी देखी गई। इन सब का नतीजा यह रहा कि 2021 का अंत होते-होते बीमा प्रीमियम में बेहद मजबूत वृद्धि हुई है।

इस ट्रेंड से साफ पता चलता है कि गुजरे वर्ष के दौरान स्वास्थ्य बीमा व्यक्तियों के लिए महज कर बचत रणनीति से एक समग्र और भरोसे योग्य वित्तीय सुरक्षा विकल्प में बदल गया है।

टेक्‍नोलॉजी को तेज गति से अपनाया जा रहा है

कोविड-19 ने सुचारू केयर डिलीवरी के लिए टेलीहेल्थ और वर्चुअल केयर का उपयोग बढ़ा दिया। टेलीहेल्थ का उपयोग कोविड-19 महामारी के शुरू में काफी बढ़ गया था क्योंकि उपयोगकर्ता और प्रदाता, दोनों ही उपचार पाने और मुहैया कराने के सुरक्षित तरीके अपनाने लगें थे। हेल्थकेयर सिस्टम पर महामारी के बढ़े हुए प्रभाव के नतीज़तन रिमोट केयर की मांग में काफी तेज़ी आई है। आमने-सामने की प्रतिबंधित चर्चा के कारण स्वास्थ्य बीमाकर्ता वर्चुअल केयर प्रदाताओं और ऑनलाइन हेल्थ प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी कर रहे हैं ताकि टेलीहेल्थ सुविधाओं का विकास हो और उपभोक्ताओं को दक्ष तथा सुविधाजनक चेकअप और केयर डिलीवर किया जा सके।

यह तथ्य है कि महामारी ने कारोबारों में बदलाव लाने के लिए काफी प्रेरित किया है। चाहे जो भी हो, उत्पाद, वितरण चैनल या सेवा सभी कार्यों में तेजी से बदलाव हो रहा है और इसे तकनीक के इस्तेमाल से बढ़ावा मिल रहा है। भविष्य में बीमाकर्ता उत्पाद में अंतर करने के मुकाबले सेवा की विशिष्टता को ज्यादा महत्व देंगे।

क्लेम प्रोसेसिंग और फ्रॉड पकड़ने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए बीमाकर्ता बिग डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) आधारित समाधान का उपयोग कर रहे हैं। अग्रिम तकनीकों ने सूचना प्रणाली के क्षेत्र को पूरी तरह बदलकर रख दिया है, जिससे बिमा उपभोताओं के लिए इसका उपयोग करना और भी आसान हो गया है। यह सब समृद्ध डाटा विश्लेषण से होता है और इसमें क्लेम के परिमाण का अनुमान पहले ही लग जाता है।

उपयोगकर्ता केंद्रित डिजिटल वितरण चैनल का उभरना

निकट भविष्य में बीमा कवरेज जिस सुविधा और सहूलियत से ऑनलाइन खरीदे जा सकेंगे, वह सबसे महत्वपूर्ण होगा। स्वास्थ्य बीमाकर्ता अपने डिजिटल वितरण मॉडल का विस्तार कर रहे हैं ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और एडवांस मशीन लर्निंग की मदद से कस्टमाइज़ इंश्योरेंस मुहैया करा सकेंगे।

इसके अलावा, बीमाकर्ताओं ने ओमनी चैनल कस्टमर कम्युनिकेशन सिस्टम लागू करना शुरू कर दिया है। इससे नए ग्राहक तो बनाए ही जा रहे हैं, और साथ ही उपभोक्ताओं को व्हाट्सऐप्प, वॉयस मेल, ई मेल और एसएमएस से सहायता भी मिल रही है। सीधी सरल भाषा में कहा जाए तो ऑनलाइन और ऑफलाइन रीटेल की दुनिया का पहले के मुकाबले तेजी से विलय हो रहा है तथा अब किसी भी ब्रांड के लिए भविष्य में सफल बने रहने के लिए ठोस क्रॉस चैनल रणनीति आवश्यक होगी।

(लेखक एसबीआई जेनरल इंश्योरेंस के हेल्‍थ बिजनेसेस विंग के हेड हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)


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