Health Insurance Portability: स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी से नहीं हैं संतुष्ट तो बदल सकते हैं कंपनी, जानें कैसे करवाएं अपनी बीमा पॉलिसी को पोर्ट
अब ग्राहक के पास पोर्टेबिलिटी का विकल्प मौजूद है। वह अपनी मौजूदा पॉलिसी को नई पॉलिसी में पोर्ट करा सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का कॉन्सेप्ट IRDAI द्वारा 2011 में पेश किया गया था। पोर्टेबिलिटी की मदद से ग्राहक दूसरी बीमा कंपनियों में अपनी पॉलिसी पोर्ट करा सकते हैं।
नई दिल्ली, डॉ. भबतोष मिश्रा। कई बार ऐसा होता है जब किसी ग्राहक को किसी बीमा कंपनी की कोई पॉलिसी पसंद आ जाती है और वह उसे खरीद लेता है। मगर समस्या तब उत्पन्न होती है जब उसे किसी दूसरी बीमा कंपनी के नए उत्पाद के बारे में पता चलता है, जो लाभ, सर्विसिंग, या मूल्य निर्धारण के संदर्भ में उसकी जरूरतों के लिए अधिक अनुकूल दिखता है। पहले जब ऐसी स्थिति आती थी, तब ग्राहक के पास मन मसोस कर रह जाने के सिवाए कोई दूसरा विकल्प नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब ग्राहक के पास पोर्टेबिलिटी का विकल्प मौजूद है।
यानी वह अपनी मौजूदा पॉलिसी को नई पॉलिसी में पोर्ट करा सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का कॉन्सेप्ट सबसे पहली बार बीमा नियामक द्वारा 2011 में पेश किया गया था। पोर्टेबिलिटी की मदद से ग्राहक दूसरी बीमा कंपनियों में अपनी पॉलिसी पोर्ट करा सकते हैं और इससे उन्हें पिछली पॉलिसी की अवधि के दौरान पूरे किए गए वेटिंग पीरियड का क्रेडिट भी मिलता है।
यदि आप गौर करेंगे तो लगभग सभी इनडेम्निटी प्लान्स (क्षतिपूर्ति योजनाएं) कुछ प्रतिबंधों के साथ आते हैं जिनमें कुछ निश्चित बीमारियों या पहले से मौजूद स्थितियों को 4 साल तक के वेटिंग पीरियड के बाद कवर किया जाता है। अब पोर्टेबिलिटी के फायदे की बात करें तो इससे ग्राहक मौजूदा बीमा कंपनी की जगह नई बीमा कंपनी को चुन सकता है और इसके लिए उसे पिछली पॉलिसी में पूरे किए गए वेटिंग पीरियड को भी नहीं छोड़ना होगा।
मसलन, एक व्यक्ति दमा से पीड़ित है, जो कि बीमा पॉलिसी में पहले से मौजूद एक स्थिति है, ऐसी सूरत में यदि वह नई बीमा कंपनी का रुख करना चाहता/चाहती है, तो उसे इस बात की चिंता करने की कतई जरूरत नहीं है कि भावी बीमा कंपनी पहले से मौजूद स्थिति के लिए पॉलिसी पर फिर से वेटिंग पीरियड लागू करेगी। पोर्टेबिलिटी पिछली पॉलिसी में पूरे किए गए वेटिंग पीरियड के लिए मुहैया कराये गए क्रेडिट्स के साथ नई पॉलिसी लेने की अनुमति देती है। पोर्टेबिलिटी बेनिफिट पिछली बीमित राशि (सम इंश्योर्ड) और उपार्जित बोनस (बेस सम इंश्योर्ड के हिस्से के तौर पर) पर प्रदान किए जाते हैं। पोर्टेबिलिटी बेनिफिट किसी दूसरे अतिरिक्त बढ़ाए गए सम इंश्योर्ड पर लागू नहीं होंगे।
पोर्टेबिलिटी की प्रक्रिया
जब कोई ग्राहक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को पोर्ट करना चाहता है, तो उसे मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी समाप्त होने से कम से कम 30 दिन पहले नई स्वास्थ्य बीमा कंपनी से संपर्क करना होगा। इसके बाद, उसे पोर्टेबिलिटी के लिए एक प्रपोज़ल फॉर्म भरना होगा, पिछली पॉलिसी का विवरण देना होगा और फिर पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करना होगा। ग्राहक से आवेदन मिलने के बाद, नई स्वास्थ्य बीमा कंपनी ग्राहक के मेडिकल एवं क्लेम्स संबंधी इतिहास को जानने के लिए मौजूदा बीमा कंपनी से संपर्क कर सकती है। इस स्थिति को समझते हुए, नई स्वास्थ्य बीमा कंपनी प्राप्त सूचनाओं और अंडरराइटिंग दिशानिर्देशों के आधार पर प्रपोज़ल को स्वीकार कर सकती है या उसे खारिज किया जा सकता है।
मैं आपको यहां पर एक महत्वपूर्ण बात बताना चाहूंगा कि नई बीमा कंपनी पॉलिसी पोर्ट कराने के अनुरोध को नए आवेदन के तौर पर लेगी और उसका संपूर्ण मूल्यांकन किया जाएगा। इसलिए, पॉलिसी पोर्ट कराने वाले ग्राहक के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि वह इस बात का पूरा ध्यान रखे कि पोर्टेबिलिटी फॉर्म जमा करने के दौरान मेडिकल इतिहास साझा करने में कोई विसंगति नहीं हो। अन्यथा उसका फॉर्म खारिज हो सकता है। यदि यह पाया जाता है कि ग्राहक को पहले से कोई बीमारी है या वह किसी ऐसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है, जिसमें उसे बार-बार अस्पताल जाने की आवश्यकता हो सकती है, तो नई स्वास्थ्य बीमा कंपनी पोर्टेबिलिटी के अनुरोध को अस्वीकार कर सकती है।
ग्राहकों को पोर्टेबिलिटी का विकल्प क्यों चुनना चाहिए
ग्राहक को पोर्टेबिलिटी का विकल्प अपनाने के दौरान बहुत सावधान रहना चाहिए और यह विकल्प तभी चुनना चाहिए जब कंपनी द्वारा प्रदान किए जा रहे तरह-तरह के लाभ आकर्षक हों और परिवार की लंबे समय की हेल्थकेयर जरूरतों के संबंध में अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करते हों। उदाहरण के तौर पर, बीमा कंपनी का अस्पतालों का ज्यादा बड़ा नेटवर्क हो या फिर वह कोई ऐसा प्लान पेश कर रहा हो, जिसे परिवार के किसी सदस्य की किसी पुरानी बीमारी से मेल खाने के लिए कस्टमाइज किया गया हो।
कुछ अन्य कारण भी होते हैं, जिनकी वजह से ग्राहक का ध्यान नई बीमा कंपनी का रुख करने पर चला जाता है। इनमें शामिल हैं - खराब सेवा, अपर्याप्त कवरेज, असंतोषजनक दावे/प्रतिपूर्ति अनुभव, कोई मूल्यवर्द्धित लाभ न होना, समान या अधिक फीचर्स के लिए पॉलिसी प्रीमियम कम होना, कमरे के किराए पर सीमाएं, को-पेमेंट के नियम आदि।
इसलिए, जहां एक नई पॉलिसी में पोर्ट करने के कई लाभ हो सकते हैं, वहीं उचित निर्णय लेने से पहले विभिन्न बीमाकर्ताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न प्रकार की खूबियों और सेवाओं के बारे में पता होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भले ही पॉलिसी पोर्ट कराने के दौरान पहले से मौजूद स्थितियों और समयबद्ध एक्सक्लूजंस के लिए प्राप्त क्रेडिट को स्थानांतरित कर दिया जाता है। फिर भी, पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करने से पहले हमारे लिए विभिन्न स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के पॉलिसी दस्तावेजों का विश्लेषण करना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
(लेखक डॉ. भबतोष मिश्रा मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस में डायरेक्टर अंडराइटिंग, प्रोडक्ट्स एवं क्लेम्स हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)