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अच्‍छे रिटर्न के लिए अपनाइए एसेट एलोकेशन का फॉर्मूला, म्‍युचुअल फंडों के जरिए करें निवेश

सभी निवेशकों को सबसे बड़ी चिंता जो सताती है वह यह कि कहीं ऐसा न हो कि निवेश के बाद बाजार गिर जाए।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 04:25 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 04:25 PM (IST)
अच्‍छे रिटर्न के लिए अपनाइए एसेट एलोकेशन का फॉर्मूला, म्‍युचुअल फंडों के जरिए करें निवेश

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बाजार के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन निवेशकों की प्रतिक्रिया के बारे में ऐसा नहीं है। निवेश की जो यात्रा आशावाद और उत्साह से शुरू होती है, वह डर, चिंता और घबराहट में बदल जाती है। कई सारे निवेशक तो झुंड में चलना पसंद करते हैं। निवेशक जब दूसरों को भयभीत देखते हैं तो खुद भी भयभीत हो जाते हैं और जब दूसरे में लालच देखते हैं तो खुद लालची बन बैठते हैं। यह एक ऐसा व्यवहार है, जो कि उन्हें बिलकुल नहीं करना चाहिए। इसका सबसे सरल तरीका है कि आप एसेट एलोकेशन का फॉर्मूला अपनाइए और फिर आराम कीजिए।

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सभी निवेशकों को सबसे बड़ी चिंता जो सताती है वह यह कि कहीं ऐसा न हो कि निवेश के बाद बाजार गिर जाए। अगर बात लंबे समय तक निवेश की हो तो बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का भी डर बना रहता है। ऐसे में लंबे समय तक फंड का प्रदर्शन अच्छा रहे, इसके लिए जरूरी है कि परिसंपत्तियों के वर्गों में और उनके पोर्टफोलियो में विधिवत तरीके से आवंटन किया जाए।

एक लोकप्रिय और सुविधाजनक उत्पाद म्युचुअल फंडों ने निवेशकों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए एसेट एलोकेशन पर आधारित रणनीति को ही अपना रास्ता चुना है। लेकिन किस तरह से संपत्तियों का बंटवारा या एसेट एलोकेशन किया जाए, यही मॉडल इसे काफी अलग बना देता है।

पिछले कई सालों में डायनामिक एसेट अलोकेटर फंड ने अपने आप को साबित कर दिखाया है। अगर मानवीय भावनाओं को अलग कर दिया जाए तो यह फंड 'कम पर खरीदो, ज्यादा पर बेचो' सिद्धांत का ज्यादा अनुशासित ढंग से पालन करते हैं और यही बात इन्हें विभिन्न बाजार के चक्रों में अच्छा प्रदर्शन करने का मौका प्रदान करती है।

उदाहरण के लिए यहां आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट अलोकेटर फंड का जिक्र कर सकते हैं जो हाइब्रिड बैलेंस फंड कैटेगरी में आता है। इसका उद्देश्य किसी एक परिसंपत्ति वर्ग का दूसरे वर्ग की अपेक्षा उसकी आकर्षकता को लेकर डेट और इक्विटी में बराबर संतुलन बनाकर उनका बंटवारा करना होता है। जरूरत पड़ने पर यह इक्विटी में शून्य से 100 फीसद तक या डेट में शून्य से 100 फीसद तक जा सकता है। यह स्कीम ऐसे फंड प्रबंधकों द्वारा मैनेज किया जाता है, जिनके पास इक्विटी और डेट बाजार, इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंडों की स्कीम में एसेट एलोकेट करने और इन-हाउस मूल्यांकन मॉडल के आधार पर काम करने का अच्छा खासा अनुभव होता है। (यह लेख ग्रोथ माई मनी के निदेशक रजत माहेश्वरी ने लिखा है।) 


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