वित्तीय सेहत दुरुस्त रखने के लिए अपनाएं ये पांच टिप्स, नहीं होगी कभी पैसों की किल्लत, बता रहे हैं एक्सपर्ट
Financial Planning एक सटीक बजट आपको अपने आय खर्च और बचत का मोटा-मोटी हिसाब दिखाता है। बजट ऐसा बनाएं जिसमें आपके रोजमर्रा के खर्चे सही तरीके से शामिल किए गए हों। इस दो भागों में विभाजित करिए- जरूरत और चाहत।
नई दिल्ली, राहुल जैन। वित्तीय सेहत चुस्त-दुरुस्त होने का मतलब है आर्थिक सुरक्षा का भाव और इस बात की संतुष्टि होना कि आपके पास जिंदगी के जरूरी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन है। यह अपने रोजमर्रा के खर्चों और वित्तीय आजादी से भी जुड़ी है, ताकि अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जी सकें। बढ़िया वित्तीय सेहत हम सब की प्राथमिकता होती है। यह एक ऐसी कला है जो पैसों से जुड़ा विवेक और सही फैसले सिखाती है। जरूरी खर्चों के लिए पर्याप्त धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ठोस बजट बनाने से लेकर निवेश तक के लिए योजना बनाना जरूरी है। आइए इस संबंध में पांच सबसे अहम बातों पर एक बार गौर करते हैंः
इस तरह तैयार करें ठोस बजट
एक सटीक बजट आपको अपने आय, खर्च और बचत का मोटा-मोटी हिसाब दिखाता है। बजट ऐसा बनाएं, जिसमें आपके रोजमर्रा के खर्चे सही तरीके से शामिल किए गए हों। इस दो भागों में विभाजित करिए- जरूरत और चाहत।
जरूरतों में ऐसे खर्च शामिल होते हैं, जिसमें घर का जरूरती सामान, बिल, स्कूल-कॉलेज की फीस, किराया, मासिक किस्त आदि, जबकि चाहत की श्रेणी में बाहर खाना, नए कपड़े खरीदना, मोबाइल जैसे गैजेट्स शामिल किए जा सकते हैं।
चाहतों के खर्च को कम से कम रखना, जबकि जरूरतों पर अधिक खर्च करना काफी अहम होता है। इससे न सिर्फ आपका वित्तीय आधार मजबूत होगा, बल्कि आप किसी भी अनचाही घटना से जुड़े खर्च के लिए भी पूरी तरह से तैयार होंगे। मुश्किल समय के लिए अलग से पैसा जोड़ना भी काफी अहम होता है।
आप अपनी आमदनी को 50-30-20 के अनुपात में बांट सकते हैं, जिसमें जरूरतों के लिए 50 प्रतिशत आय, चाहतों के लिए 30 प्रतिशत आय और बचत के लिए 20 प्रतिशत आय रख सकते हैं। आजकल ऐसी कई ऐप्स भी उपलब्ध हैं, जिसके जरिए आप खर्च के आधार पर अपने लिए बेहतरीन बजट तैयार कर सकते हैं।
महंगाई से बेहतर रिटर्न के लिए निवेश
आमतौर पर बढ़ती महंगाई को इस बात को नजरअंदाज कर दिया जाता है, मगर यह समय के साथ पैसे की वैल्यू को कम करती जाती है। आज जो रकम पर्याप्त नजर आती है, वह कल निश्चित तौर पर कम पड़ेगी। मसलन, यदि आज आपका मासिक खर्च 30,000 रुपये का है, जो 4 फीसदी की महंगाई होने पर भी 20 साल बाद यह 65,000 रुपये तक पहुंच जाएगा।
महंगाई से निपटने के असरदार तरीकों में से एक है कि ऐसे संसाधनों या एसेट श्रेणियों में निवेश किया जाए, जो महंगाई अनुक्रमित रिटर्न पेश करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जिनका रिटर्न महंगाई दर से बेहतर हो। ऐसे में शेयर बाजार एक बढ़िया विकल्प साबित हो सकते हैं क्योंकि वे दीर्घावधि में महंगाई दर से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
म्यूचुअल फंडों के जरिए इक्विटी बाजार में निवेश करना एक बढ़िया तरीका है क्योंकि इनका प्रबंधन पेशेवर फंड मैनेजर्स द्वारा किया जाता है। साथ ही ये निवेशकों को विविधता भी प्रदान करते हैं।
म्यूचुअल फंडों में एसआईपी के जरिए निवेश करना आपको न सिर्फ बाजार के तमाम उतार-चढ़ाव से बचाता है, बल्कि निवेश से जुड़ा अनुशासन भी लेकर आता है, जो लंबी अवधि में बड़ी रकम जुटाने के लिए अहम होता है। जिन निवेशकों ने मार्च से एसआईपी निवेश किया होगा, उन्हें अब अच्छा फायदा मिल रहा है।
इमरजेंसी फंड की जरूरत
दुनिया भर को झकझोर देने वाली कोरोना वायरस महामारी ने आपातकालीन फंड यानी इमरजेंसी फंड की जरूरत पर जोर दिया है। जिन लोगों ने बुरे वक्त के लिए बचत की, उन पर कोरोना वायरस के चलते वित्तीय बोझ कम पड़ा। मगर जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उन पर इस महामारी की मार अधिक रही।
यह फंड बनाने के लिए बाजार से जुड़े और नियमित आय वाले कई साधन उपलब्ध हैं। इनमें लिक्विड फंड और बैंकों में अवधि जमा यानी फिक्स्ड डिपोजिट (एफडी) भी शामिल हैं। ध्यान रहें को आपातकालीन फंड में रिटर्न से ज्यादा जरूरी है कि उसे कितनी आसानी से निकाला या भुनाया जा सकता है।
जरूरी है कि आप अपने परिवार को इस फंड के बारे में जानकारी दे ताकि जरूरत पड़ने पर आपकी अनुपस्थिति में वे भी इसका उपयोग कर सकें। यह फंड आमतौर पर अगले छह से आठ महीने के खर्च जितना होना चाहिए। मौजूदा हालातों में इस फंड की राशि को एक साल की जरूरतों के हिसाब से भी बढ़ाया जा सकता है।
बीमा है जरूरी
एक ठोस वित्तीय योजना में सबसे अहम है कि आप अपनी, अपने परिवार की और अपनी संपत्ति की बीमा हमेशा करवा कर रखें, ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना के जोखिम से खुद को बचा सकें। एक विशुद्ध टर्म प्लान काफी बढ़िया विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि यह काफी वाजिब प्रीमियम पर बढ़िया बीमा कवर देता है।
किसी दुर्घटना की स्थिति में आपके नॉमिनी को बीमा पॉलिसी के अनुसार निर्धारित राशि मिलती है, जो आपके परिवार को वित्तीय आजादी प्रदान करेगी। जरूरी है कि आप समय-समय पर अपनी बीमा जरूरतों की समीक्षा करते रहें और समयानुसार उसमें बदलाव करते रहें।
जीवन बीमा के साथ स्वास्थ बीमा यानी हेल्थ इंश्योरेंस की भूमिका भी काफी अहम है क्योंकि स्वास्थ से जुड़े खर्च अचानक ही जेब पर काफी अधिक बोझ डाल सकते हैं। पूरे परिवार का स्वास्थ्य बीमा होने से आपको अपने अहम आर्थिक लक्ष्यों से दूर नहीं होंगे।
जीवन के अलग-अलग समय पर आपको अपनी बीमा से जुड़ी जरूरतों का आकलन करते रहना चाहिए और इससे जुड़े बदलाव नियमित रूप से करते रहना चाहिए।
भावनाओं में न बहें
पैसों के मामलें में हम अमूमन भावनात्मक रूप से सोचते हैं। हालांकि, अमूमन इस तरह के फैसले गलत ही साबित होते हैं। इसलिए विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपने जरूरतों के आधार पर फैसला लेना काफी अहम है। उदाहरण के लिए, यदि आपने इक्विटी बाजार में निवेश किया है, तो छोटी अवधि के झटकों के घबरा कर तुरंत ही पैसा नहीं खींच लेना चाहिए।
आपको भेड़चाल से भी बचना चाहिए क्योंकि इस तरह के कदम आपके निवेश को चट कर सकते हैं। कई बार मुफ्त की सलाह और तरकीबें भी घाटे का सौदा साबित होती हैं क्योंकि यह हमारे मन में भ्रामिक संतोष पैदा करती हैं। ध्यान रहे कि हर प्रकार का निवेश हर किसी के लिए नहीं होता और अपने फैसले का तर्क के साथ समर्थन करना जरूरी होता है।
निष्कर्ष
इस तरह की सलाह आपकी वित्तीय सेहतर को बेहतर और स्थिर कर सकती हैं। आपको भी अपने परिवार और जीवनसाथी को वित्तीय मामलों में सक्रिय रूप से शामिल करना चाहिए। उनकी भागीदारी आपकों जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से बचा सकती हैं और वित्तीय स्वतंत्रता का रास्ता आसान हो सकता है।
(लेखक Edelweiss Wealth Management के प्रमुख हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)