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कोरोना के नाम पर चालू है साइबर ठगी, फर्जीवाड़े से बचने के लिए करें ये उपाय

Cyber Fraud पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने प्रधानमंत्री राहत कोष के नाम पर फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी करने के मामले में एक एफआइआर दर्ज किया।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 09:10 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 08:17 AM (IST)
कोरोना के नाम पर चालू है साइबर ठगी, फर्जीवाड़े से बचने के लिए करें ये उपाय

नई दिल्‍ली, शशांक द्विवेदी। दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार के साथ-साथ साइबर ठगी और साइबर हमलों का खतरा भी बढ़ रहा है। पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने प्रधानमंत्री राहत कोष के नाम पर फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी करने के मामले में एक एफआइआर दर्ज किया। साइबर ठगों ने प्रधानमंत्री राहत कोष की फर्जी यूपीआइ आइडी बनाकर लोगों से पैसा हड़पने की कोशिश की। 

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महाराष्ट्र साइबर सेल के मुताबिक लोगों के मोबाइल और ईमेल पर एक लिंक भेज कर उन्हें धोखाधड़ी का शिकार बनाया रहा है। उस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक खातों से जुड़ी जानकारी उन लोगों तक पहुंच रही है, जो इस साजिश के पीछे हैं। साइबर सेल ने बताया कि हैकर लोगों की इस जानकारी का इस्तेमाल उनके बैंक खातों में सेंध लगाने में कर सकते हैं।इंटरनेट वायरस अथवा हैकिंग के जरिये सेंधमारी वह अपराध है जिसमें आमतौर पर अपराधी घटनास्थल से दूर होता है। कई बार तो वह किसी दूसरे देश में होता है और ज्यादातर मामलों में उसकी पहचान छिपी ही रहती है। 

साइबर सेंधमारी करने वाले तत्वों की पहचान भी मुश्किल है और उन तक पहुंच भी। यह ठीक है कि भारत में साइबर सुरक्षा के प्रति सजगता बढ़ी है, लेकिन इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। साइबर सुरक्षा को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए जैसे तंत्र का निर्माण अब तक हो जाना चाहिए था वह नहीं हो सका है। यह सही है कि साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई संस्थाएं बनाई गई हैं, लेकिन उनके बीच अपेक्षित तालमेल का अभाव अभी भी दिखता है। 

भारत में ही पिछले तीन महीने के दौरान 10,000 स्पैम अटैक किए गए। ऑस्ट्रेलिया में 6,000, तो इंडोनेशिया में 5,000 के करीब साइबर हमले के प्रयास हुए। यही नहीं चेक रिपब्लिक में कोरोना टेस्टिंग की सबसे बड़ी लैब को निशाना बनाते हुए साइबर हमला किया गया है। ईमेल हैकर्स विश्वास बनाए रखने के लिए किसी एनजीओ या विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम पर मेल भेजते हैं, ताकि कोई शक न हो। इसके अलावा ऐसी भाषा का भी प्रयोग करते हैं कि लोग डर के या फिर उत्सुकता में मेल में दिए लिंक को क्लिक करें। 

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस से जुड़ा कोई भी संदेश जब यूजर्स क्लिक करता है तो वायरस मोबाइल में डाउनलोड हो जाता है, जिसके जरिये मोबाइल की पूरी जानकारी हैकर को मिल सकती है। इसके जरिये हैकर आपके पेटीएम, डिजिटल मनी से जुड़े अकाउंट में आसानी से सेंध लगा सकता है। कोरोना की आड़ में साइबर ठगों से बचें, किसी भी तरह के संदेहास्पद लिंक को मोबाइल या मेल से क्लिक न करें। किसी से भी अपने किसी बैंक, सोशल मीडिया अकाउंट या ईमेल अथवा अन्य किसी अकाउंट की जानकारी शेयर न करें।

(लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


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