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वित्तीय क्षेत्र की अहम उपलब्धियों और चूक को लेकर 2021 का समग्र परिदृश्य

वर्ष 2020 तक वित्तीय क्षेत्र मजबूत और स्थिर बना हुआ था। लेकिन कोरोना वायरस आने के बाद स्थिति बदल गई। एक दूसरे से अलग रहना इस घातक वायरस के खिलाफ मानवता की लड़ाई में महत्वपूर्ण कारक बन गया। इससे कई कार्य क्षेत्रों में कर्मचारियों की अनुपलब्धता का खामियाजा भुगतना पड़ा।

By Lakshya KumarEdited By: Fri, 07 Jan 2022 07:47 AM (IST)
वित्तीय क्षेत्र की अहम उपलब्धियों और चूक को लेकर 2021 का समग्र परिदृश्य
बजट 2021 की उपलब्धियां और विफलताएं, ये है विशेषज्ञ की समीक्षा

नई दिल्‍ली, मिलिंद गोवर्धन । वर्ष 2020 तक वित्तीय क्षेत्र मजबूत और स्थिर बना हुआ था। लेकिन, कोरोना वायरस आने के बाद स्थिति बदल गई। एक दूसरे से अलग रहना इस घातक वायरस के खिलाफ मानवता की लड़ाई में महत्वपूर्ण कारक बन गया। इससे कई कार्य क्षेत्रों में कर्मचारियों की अनुपलब्धता का खामियाजा भुगतना पड़ा। स्वतंत्रता के बाद देश के सकल घरेलू उत्पाद ने सबसे खराब प्रदर्शन किया और वित्त वर्ष 2020-21 में इसकी दर (-) 7.3% तक लुढ़क गई और इस स्थिति ने वित्तीय क्षेत्र में मौजूद कमजोरियों को ठीक करने के लिए 2021 में एक पुनर्गठित बजट की आवश्यकता की जमीन तैयार की।

सरकार ने महामारी के पहले के स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया है। लॉकडाउन-प्रेरित प्रतिबंधों का खामियाजा भुगत रही स्थिर अर्थव्यवस्था को ताकत देने की विभिन्न पहलों का असर भी दिखा है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में 22 हाई फ्रीक्‍वेंसी इंडीकेटर्स (एचएफआई) में से 19 ने 2019 के इसी महीनों में अपने महामारी-पूर्व के स्तर को पार कर लिया। तेज टीकाकरण अभियान, समृद्ध त्योहारी मौसम और उपभोक्ता उत्साह में आए उछाल की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आई। एक ठोस बजट योजना ने अर्थव्यवस्था के इस पुनरुद्धार में सहायता की।

तेजी को बढ़ावा देने वाला बजट 2021 की उपलब्धियां

बुनियादी ढांचा उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है, जो बजट के एक बड़े हिस्से का निर्माण करता है। इसके खर्च में 35% का इजाफा हुआ, जो करीब 5.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस क्षेत्र में उप-समूहों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें बिजली, सड़कें, बंदरगाह, रेलवे, दूरसंचार, अन्य शामिल है। यह निवेश सुनिश्चित करता है कि उद्योग अधिक नौकरियों का सृजन करे।

बैंकिंग क्षेत्र से किए गए वादे को पूरा करने और उनके भार को कम करने के लिए, बजट में परिसंपत्ति पुनर्निर्माण और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों की स्थापना की भी घोषणा की गई। इन संस्थाओं का उद्देश्य गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) से निपटना और खराब ऋणों (बैड लोन) को संभालना है.

बजट 2021 की कुछ मुख्य बातें

  • 75 वर्ष से अधिक आयु के पेंशन पाने वालों को आयकर रिटर्न दाखिल करने से छूट दी गई।
  • लेह में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रस्तावित किया गया है।
  • देश में और अधिक विमान पट्टे पर देने को प्रोत्साहित करने के लिए कर प्रोत्साहन की घोषणा की गई।
  • सरकार की सबसे अच्छी सार्वजनिक-उत्साही परियोजनाओं में से एक रही उज्ज्वला योजना का विस्तार कर परिणामस्वरूप इसकी सूची में एक करोड़ लाभार्थियों को जोड़ने का ऐलान किया गया।
  • 5 प्रमुख मछली पकड़ने के बंदरगाहों को आर्थिक गतिविधियों के लिए हब में परिवर्तित करने की कवायद की गई।

बजट के आंकड़े

  • राजकोषीय घाटे की दर 9.5% आंकी गई है और इसके वित्त वर्ष 22 में कम होकर 6.8% होने की उम्मीद है।
  • परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के निर्माण के माध्यम से बैंकों पर लगी देनदारियों से भार को कम करने के अलावा, सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण की भी घोषणा की। इससे बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को खत्म करने का उद्देश्य था, जिससे बैंकों की स्थिति में सुधार आए।
  • एलआईसी का आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक पेशकश) वित्त वर्ष 22 में आएगा, जिससे बहुत सारे निजी निवेशकों के लिए धन सृजन का अवसर पैदा होगा।
  • स्वास्थ्य व्यय में 2,23,8466 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 137% अधिक है।

पिछले कुछ वर्षों में राजकोषीय घाटे और विनिवेश के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि महामारी की वजह से इन पर मामूली प्रभाव पड़ा है। वित्त मंत्री ने 2021 से 2022 के लिए 6.8% राजकोषीय घाटे के लक्ष्य की घोषणा की। हालांकि, घाटा एक समय सकल घरेलू उत्पाद के 9.5% तक पहुंच गया, जो 3.5% की अपेक्षित सीमा से काफी ऊपर था। निर्मला सीतारमण ने 2025-26 तक घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% तक कम करने का वादा किया है। कर अनुपालन और परिसंपत्ति मुद्रीकरण में वृद्धि के माध्यम से समय के साथ कर राजस्व में वृद्धि करके इसे पूरा किया जाएगा। सीतारमण ने “मेड इन इंडिया’’ की घोषणा की। डिजिटलीकरण को और अधिक गहरा करते हुए उसकी पहुंच को मजबूत करने और प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती देने पर जोर दिया गया। डिजिटल टैबलेट ने पारंपरिक 'बही खाता' की जगह ले ली है।

रियल एस्टेट बाजार बना सबसे बड़ा लाभार्थी

बजट की घोषणा के साथ बाजार में सबसे बड़ा लाभार्थी रियल एस्टेट उद्योग बना। किफायती आवास के लिए बाजार काफी संभावनाएं पेश कर रहा है, और सरकार किफायती आवास खंड के लिए कर राहत देकर इसे मदद कर रही है। बजट आवास के लिए समर्थन की शुरुआत वर्ष 2019 में 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज कटौती की घोषणा के साथ हुई। एक किफायती घर खरीदने के हेतु लिए गए होम लोन पर इस प्रावधान को मार्च 2022 तक एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया था। यह कई इच्छुक घर खरीदारों के लिए अपने सपनों का घर पाने का सबसे अच्छा अवसर पेश करता है। विशिष्‍ट फिनटेक कंपनियां बाजार में विभिन्‍न ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर रही हैं, खासतौर से उन लोगों की जिनके पास अनौपचारिक आय है। वे देशभर में किफायमी हाउसिंग समाधानों को तेजी देने में सहयोग कर रही हैं। इसके अलावा, जहां साल भर में कई लाभ हुए, वहीं कुछ क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां बजट में बाधा उत्पन्न हुई।

2021 की वित्तीय चूक

मेडिकल इंश्योरेंस की गड़बड़ी: उम्मीद थी कि मेडिकल इंश्योरेंस का प्रीमियम जनता की जेब पर थोड़ा हल्का होगा, लेकिन जीएसटी की दर अपरिवर्तित रही। स्वास्थ्य और कल्याण के महत्व पर बजट के जोर को देखते हुए, जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने से बीमा उद्योग को लाभ हो सकता था।

तरलता स्थिति में कोई बदलाव नहीं: न्यूनतम 100 करोड़ रुपये वाले संपत्ति आकार के एनबीएफसी के लिए कुछ सुधार मौजूद थे, लेकिन एनबीएफसी के लिए तरलता की स्थिति का सीधा संज्ञान नहीं लिया गया। अधिक ध्यान देकर इस मुद्दे को प्राथमिकता देने में मदद की जा सकती थी।

विदेशी बैंक अभी भी दूसरे पायदान की भूमिका निभाते हैं: भारत में विदेशी बैंक शाखाएं सक्रिय रूप से अपनी कर दरों को कम करने के उपाय कर रही थीं। यदि घरेलू बैंकों पर लागू होने वाले 40% की वर्तमान डिफॉल्ट दर को घटाया जाता, तो इससे एक महत्वपूर्ण अंतर देखने को मिल सकता था। भारत में काम करने वाले विदेशी बैंकों की बड़ी संख्या को देखते हुए, इस बदलाव का बैंकिंग प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

रियल एस्टेट की वास्तविक उम्मीदें: रियल एस्टेट क्षेत्र को 'उद्योग' की स्थिति से लाभ होता क्योंकि इससे इक्विटी निवेश आकर्षित होता और रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए अपने कर्जों का पुनर्गठन करना तथा कम-ब्याज वाले ऋण प्राप्त करने में आसानी होती। यह लंबे समय से चली आ रही सेक्टर की मांग थी, जिसे केंद्रीय बजट 2021-22 में जगह नहीं दी गई।

(लेखक लीफ फिनटेक के मैनेजिंग डायरेक्‍टर एवं सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)