Union Budget 2019: Harvard University की तर्ज़ पर भारत में बनेंगी यूनिवर्सिटी, उच्च शिक्षा पर ख़र्च होंगे 400 करोड़
Union Budget 2019 वित्त मंत्री ने युवाओं और रोज़गार पर ज़ोर देते हुए कहा कि जल्द ही देश में युवाओं के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जाएगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। उन भारतीय छात्रों के लिए ख़ुशखबरी है जो हार्वर्ड में पढ़ाई करने की ख़्वाहिश रखते हैं। हालांकि लाखों छात्र-छात्राओं का यह सपना अक्सर आर्थिक कठिनाई के कारण धरा रह जाता है, क्योंकि हार्वर्ड समेत दुनिया की प्रख्यात यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का ख़र्च काफ़ी महंगा है। इसे देखते हुए सरकार ने अब उच्च शिक्षा पर अधिक फोकस करने का फ़ैसला किया है और अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की तर्ज़ पर देश में विश्वविद्यालय को डेवलप किया जाएगा। उच्च शिक्षा में सुधार के लिए सरकार 400 करोड़ ख़र्च करेगी।
देश में शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मोदी सरकार संजीदा क़दम उठा रही है। इसी मंशा के तहत वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट में एलान किया कि देश में उच्च शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव किये जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि जल्द देश में एक नई शिक्षा नीति का एलान किया जाएगा। देश में उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार किये जाएंगे, ताकि बड़ा बदलाव लाया जा सके।
उन्होंने कहा कि साल 2019-20 में रिवाइज़्ड एस्टीमेट की तुलना में शिक्षा के लिए तीन गुने से अधिक बजट निर्धारित किया गया है। इस बात पर ज़ोर दिया जाएगा कि विदेशी विद्यार्थी इंडिया प्लान के तहत देश में पढ़ने आएं। वित्त मंत्री ने युवाओं और रोज़गार पर ज़ोर देते हुए कहा कि जल्द ही देश में युवाओं के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जाएगा। सरकार देश में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए नये सिरे से कोशिशें करेगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि भारतीय स्कूलों को भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाएगा, जिनमें रिसर्च, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे नए स्किल्स पर फोकस किया जाएगा। बताते चलें कि इस साल फरवरी में अंतरिम बजट पेश करते हुए कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शिक्षा क्षेत्र के लिए किसी बड़ी घोषणा का एलान नहीं किया था।
एक अनुमान के मुताबिक़, देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में क़रीब 50 हज़ार विदेशी छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। बजट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यह संख्या बढ़ाई जा सके। वहीं ब्रिटेन और अमेरिका में पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों की तादाद कहीं अधिक है। 2017 में सिर्फ़ अमेरिका में लगभग 2.50 लाख विद्यार्थियों ने नामांकन करवाया था।