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बजट 2018 पर इंडस्ट्री रिएक्शन, रियल्टी, इन्फ्रा और लॉजिस्टिक के लिए कैसा रहा बजट

एसयूएफआई के निकुंज तुरखिया ने कहा कि वित्त मंत्री की ओर से एनपीए से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने एवं एमएसएमई सेक्टर के स्ट्रेस्ड अकाउंट में सुधार एक सराहनीय कदम है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 02 Feb 2018 04:22 PM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2018 08:01 AM (IST)
बजट 2018 पर इंडस्ट्री रिएक्शन, रियल्टी, इन्फ्रा और लॉजिस्टिक के लिए कैसा रहा बजट
बजट 2018 पर इंडस्ट्री रिएक्शन, रियल्टी, इन्फ्रा और लॉजिस्टिक के लिए कैसा रहा बजट

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू कर दिए जाने के बाद देश के तीन प्रमुख सेक्टर्स को आम बजट 2018 से काफी उम्मीदें थीं। इन सेक्टर्स के नाम रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक है। हम अपनी इस खबर के जरिए एक्सपर्ट के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि इन सेक्टर्स ने आम बजट पर कैसी प्रतिक्रिया दी। गौरतलब है कि 1 फरवरी 2018 को वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने चौथे पूर्णकालिक आम बजट में कृषि क्षेत्र को काफी सारी सौगातें दीं, लेकिन टैक्सपेयर्स को किसी भी तरह का राहत नहीं मिली।

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बजट पर क्या कहना है लॉजिस्टिक सेक्टर का: ग्लोबल ओशियन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर ब्रजेश लोहिया ने बताया, “बजट 2018-19 की रुपरेखा तैयार करने के दौरान सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रमुख क्षेत्रों में से एक रखा, जो कि लॉजिस्टिक सेक्टर (रसद क्षेत्र) के लिए अच्छा संकेत है। यह देश में इस उद्योग को बढ़ावा देगा और हमें विकास के अगले स्तर तक ले जाने में मदद करेगा।” उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर लॉजिस्टिक सेक्टर (रसद उद्योग) के लिए एक लाइफ लाइन है और ग्रामीण बुनियादी ढांचे, सड़कों, रेलवे, राजमार्गों के विकास, कृषि पर ध्यान देने से लॉजिस्टिक सेक्टर के विकास में मदद मिलेगी और यह ज्यादा बिजनेस को आकर्षित कर पाएगा।

लोहिया ने कहा कि उन्हें जानकर खुशी हुई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी जो कि अभी भी एक बड़ी समस्या है, उसका इस साल के बजट में खास ख्याल रखा गया है। कृषि आधारिर इंफ्रास्ट्रक्चर (ऑपरेशन ग्रीन) के विकास के लिए इस बार के बजट में 500 करोड़ का प्रावधान रखा गया है, जो कि लॉजिस्टिक सेक्टर को बूस्ट देगा और कोल्ड चेन के साथ साथ अन्य मुश्किल बुनियादी सुविधाओं के विकास में मदद करेगा। इसके साथ ही साल 2018-19 में 9000 किलोमीटर के नेशनल हाईवे का पूरा होना लॉजिस्टिक इंडस्ट्री को बढ़ाने में मददगार होगा।  इसके अलावा 2.04 ट्रिलियन के खर्च के साथ स्मार्ट सिटी परियोजना का मतलब बुनियादी ढांचे का विकास है। जो कि लॉजिस्टिक सेक्टर (रसद उद्योग) के लिए और अधिक व्यापार लाने में मदद करेगा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कैसा रहा बजट: स्टील यूजर फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट (एसयूएफआई) निकुंज तुरखिया ने बताया कि साल 2018 का बजट किसानों के फायदे वाला, कृषि के फायदे वाला, गरीबों के फायदे वाला और एमएसएमई सेक्टर के हित वाला था। भारत एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है, यह बजट और कृषि क्षेत्र के लिए उठाए गए कदम वास्तव में कृषि क्षेत्र को बूस्ट देने का काम करेंगे। वहीं अगर लोकलुभावन बजट की बात करें तो इसमें नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम गरीब और हाशिए वाले सामाजिक तबकों के लिए किफायती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम है।

वित्त मंत्री की ओर से एनपीए से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने एवं एमएसएमई सेक्टर के स्ट्रेस्ड अकाउंट में सुधार एक सराहनीय कदम है। इसके अलावा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में 14.34 लाख करोड़ रुपये का खर्च वास्तव में इस्पात क्षेत्र में आत्मविश्वास को बढ़ावा देगा और उपभोग चक्र की शुरुआत करेगा। इसके अलावा, 250 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए 25 फीसद का कार्पोरेट टैक्स एक स्वागत योग्य कदम है और वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 फीसद रखा है जो प्रशंसनीय है। निकुंज तुरखिया ने कहा कि हालांकि अभी भी मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है, जो कि सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता है।

बजट 2018 पर रियल एस्टेट ने दी क्या प्रतिक्रिया: लोटस ग्रीन इंडिया के डायरेक्टर और सीईओ रोहित किशोर ने बताया कि बजट में बजट कृषि, शिक्षा और ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर जोर देने जैसे कि ग्रामीणों के लिए सड़क निर्माण और नौकरी सृजन पर केंद्रित रहा। हालांकि अन्य पहलू सकारात्मक मालूम पड़ते हैं। हम आशा करते हैं कि इससे इकोनॉमी में त्वरित विकास आएगा जिससे अचल संपत्ति क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है। बुनियादी ढांचे की प्रमुख घोषणाओं के अप्रत्यक्ष लाभ हैं लेकिन इसमें अचल संपत्ति को कोई सीधा लाभ होता नहीं दिख रहा है। हालांकि बजट रियल एस्टेट को फायदा पहुंचाने वाला है इसके संबंध में निम्नलिखित तर्क हैं...

  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स अब से 10 फीसद के कैपिटल गेन टैक्स (पूंजी लाभ) के अधीन हैं। यह अचल संपत्ति में निवेश को पहले से ज्यादा आकर्षक बनाएगा।
  • बुनियादी ढांचे पर जोर देना जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों, कृषि, शहरी कनेक्टिविटी विशेषकर महानगरों आदि शामिल हैं, में सार्वजनिक निवेश रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अपार संभावनाएं पैदा करेगा।

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