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राज्य चाहें तो पीएम किसान सम्मान निधि योजना जैसी स्कीम लागू कर सकेंगे

गोयल ने कहा कि किसानों को छह हजार रुपये सालाना की राशि उपलब्ध कराकर हम कोई एहसान नहीं कर रहे हैं, बल्कि किसान हम पर जो उपकार करता है हम उसका सम्मान कर रहे हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 11:26 AM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 11:48 AM (IST)
राज्य चाहें तो पीएम किसान सम्मान निधि योजना जैसी स्कीम लागू कर सकेंगे
राज्य चाहें तो पीएम किसान सम्मान निधि योजना जैसी स्कीम लागू कर सकेंगे

अंतरिम बजट के पीछे राजनीतिक सोच क्या है? इसका चुनाव पर क्या असर होगा?

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देखिए, हमारे पीएम नरेंद्र मोदी पहले दिन से यह स्पष्ट करते रहे हैं कि हमारी हर नीति और हर कदम देश की गरीब जनता, किसानों और बड़े वर्ग के हितों को ध्यान में रख कर उठाया जाएगा। यह अंतरिम बजट भी उसी सोच का नतीजा है। यह देश की अर्थव्यवस्था के आकार को दोगुना करने का विचार देता है लेकिन 125 करोड़ की आबादी वाले देश की जनता का पेट भरने वाले किसानों को आगे बढ़कर सम्मान करता है। मध्यम वर्ग के एक बड़े हिस्से को बचत करने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि वे ज्यादा खर्च कर सकें। देश में श्रमिकों के एक बड़े वर्ग को समाजिक सुरक्षा देता है। हमने पहले साल से हर व्यक्ति को घर, हर घर को बिजली, हर गांव को साफ-स्वच्छ करने और हर गरीब को एलपीजी सिलेंडर देने का काम किया है। यह उसी का अगला चरण है। हम चुनाव को ध्यान रखकर काम नहीं करते। हर साल और हर दिन सरकार के लिए जनता की समस्याओं को दूर करने का दिन है। हमें पूरा विश्वास है कि भारत की जनता पीएम नरेंद्र मोदी की नीयत, नीतियों और उनके प्रयासों को आशीर्वाद भी देगी और समर्थन भी देगी।

आपकी पीएम किसान योजना की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। यह कब लागू होगी, क्या राज्य भी इसमें हिस्सा बढ़ा सकेंगे?

किसानों को छह हजार रुपये सालाना की राशि उपलब्ध कराकर हम कोई एहसान नहीं कर रहे हैं, बल्कि किसान हम पर जो उपकार करता है हम उसका सम्मान कर रहे हैं। हमारी सोच यह है कि यह योजना भारतीय किसानों को साल में तीन फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करे। यह कृषि क्षेत्र में गरीबी को दूर करने में बहुत उपयोगी होगा। इसके दायरे में आने वाले हर किसान को एक समान राशि मिलेगी जिससे छोटी जोत के किसानों को ज्यादा फायदा होगा। इसलिए हम उन्हें तीन बार यह राशि देंगे ताकि इस राशि से वह बिजली बिल दे सकें या उन्हें खेती की लागत में कुछ सहूलियत मिल सके। योजना पहली दिसंबर, 2018 के आधार से लागू हो चुकी है। इसकी पहली किस्त इसी सीजन में दे दी जाएगी। जहां तक राज्यों की भूमिका की बात है तो इस पर अभी सोचा नहीं गया है। हां, अगर राज्य चाहें तो इस तरह की स्कीम अपने यहां लागू कर सकते हैं। इससे किसानों को और फायदा होगा, उनका सम्मान और बढ़ेगा। आगे इसमें जरूरत के मुताबिक हम बहुत कुछ कर सकते हैं। हमारा मानना है कि पिछले कुछ वर्षो मे हमने जिस तरह से न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना किया है या उनके लिए उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करवाई है, उसमें पीएम किसान योजना को मिला दें तो किसानों की लगभग सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

आपने बजट में सीजीएसटी संग्रह का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के मुकाबले काफी ज्यादा रखा है जबकि इस साल भी लक्ष्य से एक लाख करोड़ रुपये कम हासिल हो रही है, कैसे हासिल करेंगे आगामी लक्ष्य?

यह सच है कि जीएसटी से राजस्व संग्रह उम्मीद से कम रहा है। लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि यह शुरुआती दौर है। पिछले कुछ महीनों का ट्रेंड आप देखेंगे तो पाएंगे कि राजस्व संग्रह लगातार बढ़ रहा है। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी पहले से ज्यादा सशक्त है जो कारोबार में इजाफा कराएगा। हमें उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में खपत की रफ्तार अब तेज होगी। औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार तेजी से हो रहा है। पिछले साल उम्मीद से कम संग्रह होने का एक कारण बड़ी संख्या में दी गई छूट भी था। अब ई-वे बिल का प्रयोग तेजी से बढ़ने के संकेत हैं। इन सभी से हमें उम्मीद है कुल जीएसटी संग्रह में केंद्रीय जीएसटी का संग्रह सात लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा सकेंगे।

असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए तीन हजार रुपये पेंशन देने की स्कीम कब से लागू होगी?

यह स्कीम 15 फरवरी, 2019 से लागू होगी। इसे एलआइसी की पेंशन फंड के जरिए लागू की जाएगी। इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसद होगी। राज्य सरकारें चाहें तो वह भी इसमें हिस्सा देकर श्रमिक वर्ग के हितों को सुरक्षित करने में अपनी भूमिका निभा सकती है। यह आगे चलकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को समाजिक सुरक्षा देने वाली एक बड़ी स्कीम के तौर पर उभरेगी। 60 साल की आयु के बाद 3,000 रुपये प्रति महीने का पेंशन उन लोगों के लिए बहुत बड़ा आधार होगा जिनकी कोई सुनिश्चित आय अभी नहीं है।

कांग्रेस ने कहा है कि सरकार को अंतरिम बजट में इस तरह की घोषणा करने का अधिकार नहीं है, आप क्या जवाब देंगे?

इसका जवाब मैं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की तरफ से वर्ष 2014-15 के अंतरिम बजट में कही गई बात से देता हूं। चिदंबरम जी ने कहा था, ‘मैं परंपरा का निर्वाहण करते हुए अपनी तरफ से कोई नया टैक्स प्रस्ताव नहीं कर रहा हूं। लेकिन अर्थव्यवस्था के समक्ष ऐसी स्थिति है जिनके समाधान के लिए हम आम बजट का इंतजार नहीं कर सकते।’ इसके बाद उन्होंने एसयूवी, महंगी कारों व कुछ अन्य वाहनों पर टैक्स की दरें घटा दी थीं। अब उसकी तुलना इस अंतरिम बजट में की गई घोषणा से कीजिए। हमने देश के किसानों, गरीब श्रमिकों और निम्न मध्यम वर्ग को राहत देने की घोषणा की है। मैं आम जनता पर फैसला छोड़ता हूं कि अंतरिम बजट में महंगी कारें चलाने वालों को राहत मिलनी चाहिए या गरीब किसानों को।

कुछ लोग मानते हैं कि आपकी सरकार ने रोजगार के लिए कुछ नहीं किया है..

देखिए पिछले पांच वर्षो में भारत की आर्थिक विकास दर जितनी रही है उतनी संयुक्त तौर पर विकास दर पहले की किसी भी सरकार के कार्यकाल में नहीं रही है। क्या यह बात कोई स्वीकार कर सकता है कि जो भारत दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था भारत बन गया है, वहां रोजगार नहीं हैं? हां, रोजगार के रास्ते बदल गए हैं। आज का युवा वर्ग दूसरे तरह का रोजगार करना चाहता है और सरकार की योजना भी उसी तरह के रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की है। एक उदारहण के तौर पर मोदी सरकार की आयुष्मान योजना से एक लाख हेल्थ सेंटर देश में खुलेंगे। बड़ी संख्या में वेलनेस सेंटर खुलेंगे। इससे कितने रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 10 करोड़ शौचालयों के निर्माण में क्या करोड़ों रोजगार के अवसर पैदा नहीं किए होंगे? मुद्रा लोन लेने वाले 15 करोड़ में आधे से ज्यादा महिलाएं है। क्या वह रोजगार नहीं है।


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