Budget 2021 : जानें इस साल बजट में क्या मिला MSME सेक्टर को और पिछले साल क्या मिला था
निर्मला सीतारमण ने 2020 के बजट में घोषणा की थी कि इंडस्ट्री कॉमर्स के विस्तार के लिए 27300 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इससे इस सेक्टर को नई ताकत मिली। वहीं एमएसएमई को देरी से होने वाले पेमेंट रोकने के लिए ऐप बेस्ड इनवॉयस बनाने की बात हुई।
नई दिल्ली, जेएनएन। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आज दूसरा बजट पेश किया जा चुका है। कोरोना के दौर में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सेक्टर बड़ी राहत की उम्मीद लगाए बैठा था। जानते हैं कि इस साल एमएसएमई को क्या मिला और पिछले साल क्या मिला था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में कहा, 'सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई के लिए नई व्यवस्थाएं की जाएंगी। एमएसएमई को विकसित करने के लिए 15700 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वित्त मंत्री ने आगे कहा, एमएसएमई में 'एआई और मशीन लर्निंग पर जोर दिया जाएगा। साथ ही छोटी कंपनियों के लिए पेडअप कैपिटल सीमा बढ़ाई जाएगी। '
अब जानते हैं कि पेड-अप कैपिटल है क्या। पेड-अप शेयर कैपिटल वह राशि है जिसके लिए शेयरधारकों को शेयर जारी किए जाते हैं और भुगतान शेयरधारकों द्वारा किया जाता है। यह राशि वास्तविक फंड है जो कंपनी शेयरों से प्राप्त करती है। यह राशि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश के रूप में उठाई जाती है।
एमएसएमई से ही आएंगी नौकरियां
केंद्र सरकार अगले कुछ वर्ष में एमएसएमई सेक्टर में 5 करोड़ नौकरियां पैदा करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि केंद्र सरकार केवल एमएसएमई सेक्टर से ही 5 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार का लक्ष्य आर्थिक विकास में एमएसएमई योगदान को मौजूदा 30 फीसद से बढ़ा कर 40 प्रतिशत पर पहुंचाना है। वहीं एमएसएमई की निर्यात में भागीदारी भी 48 प्रतिशत से बढ़ा कर 60 प्रतिशत तक पहुंचानी है।
एमएसएमई में बजट 2020 की घोषणाएं और लाभ
निर्मला सीतारमण ने 2020 के बजट में घोषणा की थी कि इंडस्ट्री, कॉमर्स के विस्तार के लिए 27300 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इससे इस सेक्टर को नई ताकत मिली। वहीं एमएसएमई को देरी से होने वाले पेमेंट रोकने के लिए ऐप बेस्ड इनवॉयस बनाने की बात हुई। सरकार एक 'निर्विक' ( निर्यात ऋण विकास योजना) योजना ले आई। इसके तहत निवेशकों को लोन देने की बात कही गई। साथ ही इस योजना में 90 फीसदी तक इंश्योरेंस दिया गया। घोषणा की गई कि लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को आसान ऋण उपलब्ध कराने के लिए गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी कानून में जरूरी संशोधन किया जाएगा, रिजर्व बैंक से एमएसएमई ऋण पुनर्गठन समयसीमा बढ़ाने का आग्रह किया गया।
-भारत को मोबाइल हब बनाने की बात।
-मेडिकल उपकरणों के लिए भी नई स्कीम लाई गई।
-हर जिले को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित करने की बात.
-कहा गया कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में ज्यादा काम करेगी।
-मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफेक्चर को बढ़ावा दिया जाएगा।
-निवेशकों को फायदा पहुंचाने के लिए 'निवेश क्लियरेंस सेल' बनाया।
-नई लॉजिस्टिक नीति का अनावरण किया, जो भारत के विशाल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के क्षेत्र को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी।