Union Budget 2019: हर बजट में होता है ऐसे शब्दों का इस्तेमाल, क्या आप इनका मतलब जानते हैं
निवेश की उल्टी प्रक्रिया को विनिवेश कहा जाता है। निवेश का मतलब किसी कारोबार, संस्था या परियोजना में रकम लगाना होता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हर वित्त वर्ष के दौरान जब वित्त मंत्री बजट भाषण सुनाते हैं तो वो बजट से जुड़े कुछ भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिनका मतलब आम लोगों को पता नहीं होता है। अगर आप भी बजट की शब्दावली से अपरिचित हैं या आपको उनके बारे में कम जानकारी है तो हमारी बजट सीरीज की यह खबर आपके काम की है। जानिए बजट से जुड़े कुछ अहम शब्दों के बारे में।
बजट अनुमान (Budget estimates): इस तरह के अनुमान में एक साल का राजकोषीय एवं राजस्व घाटा शामिल होता है। इसका मतलब यह होता है कि एक वित्त वर्ष के दौरान केंद्र सरकार ने कितना खर्चा किया और उसे कर राजस्व के जरिए कितनी आमदनी हुई।
गैर योजनागत व्यय (Non-Plan Expenditure): ऐसे सार्वजनिक खर्च जो कि विकास कार्यों की श्रेणी से अलग आते हैं उन्हें गैर योजनागत व्यय की श्रेणी में गिना जाता है। जैसे - रक्षा व्यय, पेंशन, महंगाई भत्ता, बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि आदि पर किया गया खर्च।
विनिवेश (Disinvestment): निवेश की उल्टी प्रक्रिया को विनिवेश कहा जाता है। निवेश का मतलब किसी कारोबार, संस्था या परियोजना में रकम लगाना होता है। इसी के उलट विनिवेश का मतलब होता है उसी रकम को वापस निकालना। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के जरिए सार्वजनिक सेक्टर की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचती है।
योजनागत व्यय: सरकारी बजट के मोटे तौर पर दो भाग होते हैं- आय और व्यय। इसके बाद व्यय को भी दो हिस्सों में, योजनागत व्यय और गैर योजनागत व्यय में बांटा जाता है। योजनागत व्यय का अनुमान विभिन्न मंत्रालय और योजना आयोग मिलकर बनाते हैं, जिसमें मोटे तौर पर वह सभी खर्चें आते हैं जो विभिन्न विभागों की चलाई जा रही योजनाओं पर किए जाते हैं।
सार्वजनिक ऋण (Public Debt): देश की सरकार आम जनता और वित्तीय संस्थाओं से जो कर्ज लेती है उसे सार्वजनिक ऋण या पब्लिक डेब्ट कह जाता है। इसे सरकारी ऋण या राष्ट्रीय कर्ज भी कहा जाता है। किसी भी वक्त सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा देश की वित्तीय स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देता है।
ट्रेजरी बिल (T Bill): कर्ज लेने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें बॉन्ड्स जारी करती हैं। एक साल से कम परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड्स या सर्टिफिकेट को टी-बिल्स या ट्रेजरी बिल कहते हैं। भारत में केन्द्र सरकार ही टी-बिल्स जारी करती है। राज्य सरकारें केवल बॉन्ड्स जारी करती हैं।
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