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रोजगार के अवसर बढ़ाने पर होगा बजट में खास जोर, एमएसएमई और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों को मिल सकती हैं सुविधाएं

budget expectation परंतु वियतनाम व बांग्लादेश में सस्ते उत्पादन ने टेक्सटाइल निर्यात के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 09:07 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 09:36 PM (IST)
रोजगार के अवसर बढ़ाने पर होगा बजट में खास जोर, एमएसएमई और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों को मिल सकती हैं सुविधाएं
रोजगार के अवसर बढ़ाने पर होगा बजट में खास जोर, एमएसएमई और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों को मिल सकती हैं सुविधाएं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी बजट में सरकार का जोर आर्थिक सुस्ती दूर करने के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर रहेगा। इसके लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कृषि और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के साथ सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र के लिए विशिष्ट उपायों का ऐलान कर सकती हैं। आर्थिक सुस्ती के परिणामस्वरूप रोजगार की स्थिति और बिगड़ गई है। स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप, मेक इन इंडिया जैसे मिशनों ने कुछ हद तक रोजगार सृजन का काम किया है। लेकिन आर्थिक सुस्ती ने इन मिशनों के प्रभाव को सीमित कर दिया है। जबकि स्वरूप में बदलाव ने मनरेगा जैसी रोजगारमूलक स्कीम को संपत्ति सर्जक स्कीम बना दिया है। इसमें सुधार के लिए बजट में मनरेगा को लेकर कुछ ऐलान संभव हैं। इसके अलावा कृषि और कृषि से जुड़े उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए विशिष्ट उपायों की घोषणा भी की जा सकती है।

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पिछले पांच वर्षो में ग्रामीण मजदूरी की दर में 0.6 फीसद की औसत वृद्धि हुई है। ग्रामीण आमदनी में बढ़ोतरी से गांवों में औद्योगिक सामानों की खपत भी बढ़ेगी। जिससे घटती मांग का संकट दूर होगा और अर्थव्यस्था की हालत सुधरेगी। भारत नेट और मोबाइल नेटवर्क के विस्तार से डिजिटल ढांचे तथा पोस्ट पेमेंट बैंक ढांचे से वित्तीय गतिविधियों के विस्तार के परिणामस्वरूप गांवों में रोजगार के नए अवसर सृजित होने की संभावना है। बजट में इन योजनाओं में तेजी लाने के कुछ नए उपाय घोषित किए जा सकते हैं।शहरी क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार का फोकस सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों तथा सेवा क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में जान फूंकने पर होगा। इसके लिए इस क्षेत्र को आसान कर्ज के साथ करों में और राहत की घोषणाएं हो सकती है।

रिटेल क्षेत्र में विदेशी निवेश तथा ई-कामर्स वाले ऑनलाइन बिक्री चैनलों के कारण परंपरागत देशी किराना दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे उबरने के लिए देश के सवा करोड़ देशी किराना स्टोर बजट से राहत की उम्मीद कर रहे हैं। इन्हें डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने तथा ऑनलाइन कंपनियों के साथ साझेदारी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कोई बड़ी स्कीम ला सकती है। इससे शहरी युवाओं को रोजगार का नया और बड़ा प्लेटफार्म मिलने की आशा है। टेक्सटाइल तथा जेम्स व ज्वैलरी सेक्टर भी रोजगार के बड़े माध्यम हैं। इसमें अकेले टेक्सटाइल सेक्टर 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। परंतु वियतनाम व बांग्लादेश में सस्ते उत्पादन ने टेक्सटाइल निर्यात के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। इस मुश्किल से बचाने के लिए सरकार टेक्सटाइल उत्पादकों को ड्यूटी में छूट दे सकती है।

भारत के जीडीपी में जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर की 7 फीसद हिस्सेदारी है। जबकि मर्चेडाइज एक्सपोर्ट में इस क्षेत्र का 15 फीसद योगदान है। इसलिए सरकार इन क्षेत्रों की मदद के लिए सोने पर आयात शुल्क घटाने के साथ-साथ नई स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का ऐलान भी कर सकती है। पढ़े-लिखे व दक्ष लोगों के साथ-साथ अकुशल और अ‌र्द्धकुशल लोगों को रोजगार देने में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सरकार बजट के जरिए सड़कों, रेलवे लाइनों, छोटे हवाई अड्डों तथा बंदरगाहों के निर्माण में तेजी लाने का प्रयास भी करेगी। इसके लिए भारतमाला, सागरमाला परियोजनाओं का बजट बढ़ाने के साथ-साथ पूंजीगत सामानों के उत्पादन और आयात को आसान बनाने के उपक्रम होंगे। विद्युतीकरण और सिगनल प्रणाली के आधुनिकीकरण के लिए रेलवे का बजट बढ़ना तय माना जा रहा है। रोजगार बढ़ाने के लिए श्रम कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया जारी है।


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