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New Gratuity Rule 2020: नौकरी में पांच साल पूरे किए बिना भी मिल सकती है ग्रेच्युटी, सरकार 1 से तीन साल के विकल्प पर कर रही विचार

New Gratuity Rule 2020 कंपनियों में नौकरी के कार्यकाल तेजी से कम हो रहे हैं ऐसे में सरकार ग्रेच्युटी के लिए पांच साल के कार्य मानदंड में ढील देने पर विचार कर रही है। सरकार पांच साल के समय को घटाकर एक से तीन साल के बीच कर सकती है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 01:19 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 01:32 PM (IST)
New Gratuity Rule 2020: नौकरी में पांच साल पूरे किए बिना भी मिल सकती है ग्रेच्युटी, सरकार 1 से तीन साल के विकल्प पर कर रही विचार
gratuity even without completing five years in a job

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार कथित तौर पर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की ओर से ग्रेच्युटी भुगतान प्राप्त करने के लिए एक प्रमुख पात्रता आवश्यकता को कम करने पर विचार कर रही है। मौजूदा समय में नियमों के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी किसी कंपनी में पांच साल तक की सेवा देता है तो उसे ग्रेच्युटी मिलती है। ग्रेच्युटी राशि आम तौर पर हर साल के मूल वेतन के 15 दिनों के बराबर होती है। 

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मिंट की एक खबर के मुताबिक, निजी क्षेत्र की कंपनियों में नौकरी के कार्यकाल तेजी से कम हो रहे हैं, ऐसे में सरकार ग्रेच्युटी के लिए पांच साल के कार्य मानदंड में ढील देने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार पांच साल के समय को घटाकर एक से तीन साल के बीच कर सकती है। 

निजी क्षेत्र में काम करने वालों को आमतौर पर दो वजहों से ग्रेच्युटी की रकम नहीं मिल पाती है, जिनमें जॉब को लेकर अनिश्चितता और कॉन्ट्रैक्ट पर जॉब शामिल हैं। 

मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रम बाजार विशेषज्ञों ने बताया है कि 5 साल की सीमा अप्रचलित है और यह श्रमिकों के हित में नहीं है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र की कंपनियां इस मानदंड का उपयोग लागत को कम करने के लिए कर रही हैं ताकि कर्मचारी पांच साल से अधिक न रह सकें। 

ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि कई कंपनियां अपनी लागत को कम करने के लिए ग्रेच्युटी के योग्य बनने से पहले ही श्रमिकों को निकाल रही हैं।  रिपोर्ट के अनुसार अब दो विकल्प विचाराधीन हैं, या तो कुछ क्षेत्रों के लिए आनुपातिक परिवर्तन, या सभी क्षेत्रों के लिए समय को कम करना। दूसरे विकल्प पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

संसदीय स्थायी समिति भी चाहती है कि 5 साल की अवधि में कटौती की जाए और इसे आगामी सामाजिक सुरक्षा कोड का हिस्सा बनाया जाए।


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