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राज्यों द्वारा अनलॉक किये जाने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों में दिख रहे सुधार के संकेत: सर्वे

फिक्की ने कहा कि कोरोना वायरस के नये मामलों की संख्या कम होने और अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन प्रतिबंधों ढील दिये जाने के साथ उम्मीद है कि आने वाले महीनों में कारोबार व आर्थिक गतिविधियां एक बार फिर सामान्य हो जाएंगी।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 06:58 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 07:07 AM (IST)
राज्यों द्वारा अनलॉक किये जाने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों में दिख रहे सुधार के संकेत: सर्वे
Economic Activity ( P C : Flickr )

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में आयी कमी के साथ ही राज्यों द्वारा लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है। इससे आर्थिक गतिविधि में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। इसके चलते कंपनियों को अगले 6 से 12 महीने में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। एक सर्वे में यह बात सामने आयी है। फिक्की (Ficci) और ध्रुवा एडवाइजर्स (Dhruva Advisors) द्वारा कराए गए सर्वे में हिस्सा लेने वाली 212 कंपनियों में से करीब 60 फीसद कंपनियों ने कहा कि राज्य स्तर पर लगाए गए लॉकडाउन से उनके कारोबार पर काफी असर पड़ा है।

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सर्वे के अनुसार, देश के अलग-अलग हिस्सों में लगे लॉकडाउन प्रतिबंध और महामारी की दूसरी लहर की व्यापकता के कारण उपभोक्ताओं की भावना पर असर पड़ा और इससे कंपनियों ने मांग में कमी का सामना किया। सर्वे में कहा गया कि इस बार शहरी इलाकों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी मांग पर असर पड़ा।

सर्वे में कहा गया, "कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण लगाए गए लॉकडाउन का व्यापारिक इकाइयों पर असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। हालांकि, अब उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है। अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील मिलने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों में सुधार के तत्काल संकेत मिल रहे हैं।"

फिक्की ने कहा कि कोरोना वायरस के नये मामलों की संख्या कम होने और अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन प्रतिबंधों ढील दिये जाने के साथ उम्मीद है कि आने वाले महीनों में कारोबार व आर्थिक गतिविधियां एक बार फिर सामान्य हो जाएंगी।

फिक्की ने बताया कि अगर देश को कोरोना वायरस महामारी को हराना है, तो टीकाकरण की रफ्तार बढ़ानी होगी व कोविड-19 की आने वाली लहरों से निपटने के लिए पांच उपाय करने होंगे। इनमें छोटे शहरों व ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना, आवश्यक दवाओं का पर्याप्त भंडार रखना, नवनिर्मित अस्थायी प्रतिष्ठानों को जारी रखना, जांच क्षमता से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और सरकार के वित्तपोषण के साथ वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक राष्ट्रीय प्रतिष्ठान की स्थापना करना शामिल है।


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