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RBI की इस गाइडलाइन से और सेफ हुए आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड, जानिए सरकार का क्या है प्लान

बड़ी संख्या में ग्राहक अपनी इंश्योरेंस पेमेंट किसी सेवा के रिन्यूवल ओटीटी प्लेटफॉर्म की सेवा के रिन्यूवल की सेवा को ऑटोमेटिक मोड में रखते हैं। नई गाइडलाइन के बाद अब ग्राहकों को हर बार पेमेंट के लिए बैंक से आए ओटीपी को अप्रूव करना होगा।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 08:06 AM (IST)
सरकार ने बनाई है ऑनलाइन पेमेंट को लेकर नई गाइडलाइंस

नई दिल्ली, विवेक तिवारी। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या थर्ड पार्टी ऐप से रिकरिंग पेमेंट या शिड्यूल पेमेंट करने पर आपका बैंक आजकल आपसे आपकी अनुमति मांग रहा होगा। दरअसल आरबीआई की रिकरिंग पेमेंट को लेकर लागू की गई नई गाइडलाइन के तहत बैंकों ने ये व्यवस्था की है। इस नई गाइडलाइन के पीछे आरबीआई और बैंकिंग एक्सपर्ट्स की एक बड़ी सोची- समझी रणनीति है। इसके आर्थिक, रणनीतिक और दीर्घकालिक प्रभाव होंगे।

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ये पड़ेगा असर

बड़ी संख्या में ग्राहक अपनी इंश्योरेंस पेमेंट, किसी सेवा के रिन्यूवल, ओटीटी प्लेटफॉर्म की सेवा के रिन्यूवल की सेवा को ऑटोमेटिक मोड में रखते हैं। नई गाइडलाइन के बाद अब ग्राहकों को हर बार पेमेंट के लिए बैंक से आए ओटीपी को अप्रूव करना होगा।

साइबर क्राइम से बच सकेंगे, ये भी होगा फायदा

बैंकर और अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा कहते हैं कि आरबीआई की ओर से रिकरिंग पेमेंट को लेकर जारी की गई नई गाइडलाइंस का ग्राहकों को बड़ा फायदा मिलेगा। इसके तहत ग्राहकों कई सारे फ्रॉड की संभावनाओं से बच जाएंगे। 5000 रुपये से बड़े हर पेमेंट के लिए बैंक के लिए ग्राहक की अनुमति लेना जरूरी होगा। हालांकि इस नई गाइडलाइन के चलते ग्राहकों को हर बार बार ओटीपी कन्फर्म करना होगा। व्यापारियों के संगठन कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि रिकरिंग पेमेंट पर आरबीआई की नई गाइडलाइन एक बेहतरीन कदम है। इस कदम से आम लोगों का डिजिटल पेमेंट पर भरोसा बढ़ेगा। फ्रॉड की संभावना काफी कम हो जाएगी। बहुत से छोटे व्यापारी और आम लोग डिजिटल पेमेंट करने से सिर्फ इस लिए बचते हैं कहीं उनके साथ फ्रॉड न हो जाए।

इन पेमेंट्स पर चाहिए होगा आपका अप्रूवल

रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि रिकरिंग पेमेंट गाइडलाइन सभी तरह के कार्ड पेमेंट, यानी डेबिट क्रेडिट कार्ड, वॉलेट जैसे प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट (जैसे कि पेटीएम आदि) यूपीआई पेमेंट पर लागू होगा। अगर आपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड, वॉलेट से किसी डीटीएच बिल, यूटिलिटी बिल, फोन रिचार्ज, ओटीटी फीस आदि के लिए मैंडेट दे रखा है तो भी ये नियम लागू होगा।

इन बातों का रखें ध्यान

आरबीआई का कहना है कि ये नियम रिकरिंग ट्रांजेक्शन के लिए है यानी हर महीने कार्ड से जाने वाली पेमेंट पर। किसी एकमुश्त होने वाले पेमेंट पर नहीं। मान लीजिए आपने नेटफ्लिक्स के लिए सब्सक्रिप्शन ले रखा है और उसके हर महीने पेमेंट के लिए अपने क्रेडिट कार्ड की डिटेल दे रखी है. इससे आपका हर महीने का चार्ज कट जाता है। तो यह चार्ज उसी तरह से कटेगा, बस होगा यह कि आपको पहले ही एक मैसेज आ जाएगा, कि अगले महीने की फीस चुकानी है या नहीं।

ये है बड़ी वजह

मार्केट को डायवर्सिफाई करना: आरबीआई रिकरिंग पेमेंट मार्केट को डायवर्सिफाई करना चाहता है। कई बड़ी कंपनियां अपने सब्सक्रिप्शन मॉडल को इस तरह बनाती हैं जिससे लोग उस पर लोग निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में गुणवत्ता बनाने के लिए मार्केट को डायवर्सिफाई करना आवश्यक है।

मेक इन इंडिया को बढ़ावा: इस गाइडलाइन के तहत सरकार मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा देना चाहती है। विदेशी कंपनियों के पास तमाम विकल्प या बड़े ऑफर होते हैं जिससे ग्राहक को लंबे समय तक बांध लेते हैं। सब्सक्रिप्शन की सुविधा के तहत भी हर बार ग्राहक से पूछे जाने पर अगर कोई छोटी भारतीय कंपनी बेहतर सुविधा देती है तो लोग उस पर स्विच कर सकेंगे। इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।

साइबर क्राइम रुकेगा: डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और और थर्ड पार्टी ऐप के जरिए होने वाले साइबर फ्रॉड पर इससे रोक लगेगी। इस तरह से फ्रॉड की संख्या फिलहाल काफी अधिक है। इससे ग्राहकों को काफी राहत मिलेगी।

ऐसे बन जाएगा डिजिटल पेमेंट सेफ

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के चीफ जनरल मैनेजर योगेश दयाल मानते हैं कि RBI की ओर से रिकरिंग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए ई-मैंडेट्स की व्यवस्था को लागू करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। ये फिलहाल सभी तरह के कार्ड, वॉलेट और सभी तरह के यूपीआई पर पूरी तरह से लागू हैं। इस गाइडलाइन का मुख्य उद्देश्य डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और सुरक्षित बनाना है। इस व्यवस्था से ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी। आरबीआई ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए बैंकों को पर्याप्त समय दिया है।

इन्हें हो रही मुश्किल

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन विश्वास पटेल कहते हैं कि आरबीआई काफी समय से इस व्यवस्था को लाने की बात कह रहा था, बड़े बैंक को इस नई गाइडलाइन के लिए तो तैयार थे पर कुछ छोटे बैंकों ने इसके लिए तैयारी नहीं की, डेडलाइन निकल जाने के बाद कुछ छोटे बैंकों को इस व्यवस्था को लागू करने में मुश्किल हो रही है।

डिजिटल पेमेंट को लेकर वाल्टर और नीलेकणी समिति की ये थी राय

वाल्टर कमेटी और नीलकेणी समिति ने क्रमश: 2016 और 2019 में आरबीआई को डिजिटल पेमेंट को लेकर सिफारिशें दी थी। जिसमें डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के विकल्पों के बारे में बताया गया। इसे आरबीआई ने कई बिंदुओं पर लागू किया गया था।

दुनिया भर में कैशलेश पेमेंट को लेकर ऐसी है स्थिति

बीते एक दशक में भारत समेत दुनिया में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा है। कामकाज के लिए लोग इसे पेमेंट का सबसे बेहतर माध्यम मानने लगे हैं। ग्लोबल वेब इंडेक्स की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरिया में लोग कैशलेस पेमेंट को सबसे अधिक प्राथमिकता देते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरिया में सर्वे में 77 फीसद लोगों ने माना कि वह कैशलेस पेमेंट को अधिक प्राथमिकता देते हैं। वहीं अमेरिका में 32 फीसद लोगों ने कहा कि वह कैश से ट्रांजेक्शन को पसंद करते हैं। कुछ विकसित देशों में अभी भी कैश के द्वारा कामकाज को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इस सर्वे में शामिल 46 देशों में फिलीपींस और मिस्र के लोग सबसे कम कैशलेस पेमेंट को प्राथमिकता देते हैं। इन देशों में 33 फीसद लोगों ने कैशलेस पेमेंट को पहली पसंद माना जबकि मोरक्को में 34 फीसद ने इसे अपनी प्राथमिकता बताया।

भारत में ऐसी है लोगों की राय

दक्षिण कोरिया के बाद स्वीडन और रुस में सबसे अधिक क्रमश: 74 और 72 फीसद लोगों ने कैशलेस पेमेंट को अपनी पहली पसंद बताया। चीन में 67 फीसद लोगों ने इसे अपनी प्राथमिकता बताया तो भारत में 52 प्रतिशत लोगों ने माना कि कैशलेस पेमेंट ही बेहतर विकल्प है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और इंडोनेशिया दोनों सबसे तेजी से उभरते हुए ऑनलाइन बाजार है। आबादी में एशियाई देशों में कार्ड में बीते पांच सालों में बड़ी तरक्की हुई है। चीन, भारत और इंडोनेशिया में क्रमश: इसमें 69.3 प्रतिशत, 136.3 प्रतिशत और 56.7 प्रतिशत की ग्रोथ देखने में आई है।

अभी भी इसलिए कैश को पसंद करते हैं लोग

कुछ विकसित देशों में कैश को प्राथमिकता बताने वाली बात का विश्लेषण करने के बाद कई तथ्य सामने आए। कैश को पसंद करने का सबसे बड़ा कारण इन देशों में बैक अकाउंट और कार्ड का न होना है। फिलीपींस के सेंट्रल बैंक के अनुसार 2019 तक वहां पर 29 फीसद वयस्क का ही बैंक अकाउंट था।

"आरबीआई की रिकरिंग पेमेंट गाइडलाइन का एचडीएफसी बैंक पूरी तरह से पालन कर रहा है। साथ ही हम अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए उन मर्चेंट्स की लिस्ट के बारे में भी लगातार बता रहे हैं जिन्होंने इस गाइडलाइन का पालन करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, हम अपने ग्राहकों को पेमेंट करने के दूसरे विकल्पों के बारे में भी बता रहे हैं जिन्हें वे चुन सकते हैं। इनमें एचडीएफसी बैंक डेबिट या क्रेडिट कार्ड से मर्चेंट वेबसाइट/ऐप पर भुगतान करने के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड पर ऑटो पे या स्मार्टपे को नेट बैंकिंग के जरिए सेट करने या एकमुश्त भुगतान करने के लिए पेज़ैप का उपयोग करने से लेकर, बीमा, बिजली, ब्रॉडबैंड आदि का पेमेंट करना शामिल है।"

पराग राव

एचडीएफसी बैंक - ग्रुप हेड - पेमेंट, कंज्यूमर फाइनेंस, डिजिटल बैंकिंग एंड आईटी


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