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घरेलू शेयर बाजार में 667 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचा FPI होल्डिंग का मूल्य: मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट

सितंबर 2021 को समाप्त तीन महीनों में घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की होल्डिंग का मूल्य 667 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया जो पिछली तिमाही से 13 फीसद अधिक है। सितंबर 2020 तक भारतीय शेयर में FPI निवेश का मूल्य 398 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

By Abhishek PoddarEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 02:11 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 02:11 PM (IST)
सितंबर 2021 में घरेलू शेयर बाजार में FPI की होल्डिंग का मूल्य 667 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया

नई दिल्ली, पीटीआइ। मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2021 को समाप्त तीन महीनों में घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की होल्डिंग का मूल्य 667 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया, जो पिछली तिमाही से 13 फीसद अधिक है। यह काफी हद तक तिमाही के बाद के हिस्से में FPI से शुद्ध प्रवाह के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजारों के मजबूत प्रदर्शन के कारण हुआ है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि, "सितंबर 2021 को समाप्त तिमाही के अंत में, भारतीय शेयर में FPI निवेश का मूल्य तेजी से बढ़कर लगभग 13 फीसद की वृद्धि के साथ 667 बिलियन अमरीकी डालर हो गया, जो पिछली तिमाही में दर्ज 592 बिलियन अमरीकी डालर से काफी अधिक था। सितंबर 2020 तक, भारतीय शेयर में FPI निवेश का मूल्य 398 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

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समीक्षाधीन तिमाही के दौरान भारतीय शेयर बाजार पूंजीकरण में FPI का योगदान जून तिमाही के 19.1 फीसद से बेहद ही मामूली रूप से घटकर 19 फीसद का रह गया था। ऑफशोर म्यूचुअल फंड अन्य बड़े FPI, जैसे ऑफशोर बीमा कंपनियों, हेज फंड और सॉवरेन वेल्थ फंड के अलावा, कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का एक महत्वपूर्ण घटक है। सितंबर 2021 को समाप्त तिमाही के लिए, FPI में 563 मिलियन अमरीकी डालर का शुद्ध प्रवाह देखा गया था। हालांकि, यह जून में समाप्त तिमाही के दौरान देखे गए 678 मिलियन अमरीकी डालर के शुद्ध प्रवाह से कम था। जबकि विदेशी निवेशक जुलाई में 1.51 बिलियन अमरीकी डालर के शुद्ध विक्रेता थे। साथ ही वे अगस्त में लगभग 284.02 मिलियन अमरीकी डॉलर और सितंबर में 1.79 बिलियन अमरीकी डॉलर के शुद्ध खरीदार थे।

जैसे-जैसे तिमाही आगे बढ़ी, FPI ने सतर्क रुख से भारतीय शेयर बाजार के प्रति अधिक आत्मविश्वास से भरे निवेश दृष्टिकोण की ओर रुख किया। घरेलू और वैश्विक दोनों कारकों ने भारतीय शेयर बाजारों में इस तरह के प्रवाह की दिशा तय करने में सहायता प्रदान की। महामारी की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था और कॉर्पोरेट आय में सुधार के अधिक मजबूत और स्थिर संकेतों की प्रतीक्षा में, विदेशी निवेशकों ने भी साइडलाइन रहना शुरू कर दिया था। भारतीय शेयर बाजार लंबी अवधि के दृष्टिकोण से एक आकर्षक निवेश प्रस्ताव पेश करते हैं, FPI ने धीरे-धीरे तिमाही की प्रगति के रूप में वहां निवेश करना शुरू कर दिया था।


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