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उपभोक्ता कानून में जेल व जुर्माना से उद्योग जगत को चिंता

कानून के लागू होने से पहले नियमावली बनाने में अभी डेढ़ से दो महीने का समय और लग सकता है।

By NiteshEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 07:59 PM (IST)
उपभोक्ता कानून में जेल व जुर्माना से उद्योग जगत को चिंता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 के कुछ नये व सख्त प्रावधानों को लेकर उद्योग जगत ने चिंता जताई। संसद के दोनों सदनों से पारित इस नये कानून की नियमावली बनाने को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री राम विलास पासवान ने बुधवार को यहां उद्योग जगत समेत सभी पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया। चर्चा के दौरान उद्योग जगत की ओर से 12 साल की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने पर अफसोस जताया।

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बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री पासवान ने बताया कि उद्योग संगठनों ने कई महत्त्‍‌वपूर्ण सुझाव दिये। इसमें की जाने वाली शिकायतों में पारदर्शिता होने की बात प्रमुख है। उन्होंने शिकायतों के निपटारे में मध्यस्थता के प्रावधान की जमकर प्रशंसा भी की। ई-कामर्स पर नियंत्रण रखने के लिए जो प्रावधान किये गये हैं, उन पर भी लंबी चर्चा हुई। उपभोक्ता संरक्षण कानून में भ्रामक प्रचार जैसे मुद्दे पर कंपनियों की नकेल कसने और ब्रांड अंबेस्डर बनने वाली हस्तियों को सावधान किया गया है।

बैठक में देश के सभी शीर्ष उद्योग संगठनों के साथ बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। केंद्रीय मंत्री पासवान के साथ उपभोक्ता मंत्रालय के आला अफसरों ने भी भाग लिया। चर्चा के दौरान उद्योग क्षेत्र के लोगों ने सरकार को भरोसा दिया कि उनकी ओर से सेल्फ रेगुलेटरी मेकनिज्म अख्तियार किये जाएंगे। कानून के प्रावधानों को सही तरीके से लागू करने वाले नियमों को बनाने में वे सरकार के साथ रहेंगे। पासवान ने बताया कि उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने आश्वस्त किया कि उनकी ओर से वैश्विक स्तर पर प्रयोग में लाये जा रहे बेहतर प्रावधानों को लागू करने के प्रयास किये जाएंगे।

हालांकि उन्होंने जोर देकर सरकार से कहा कि शिकायतों में पारदर्शिता कायम करने की जरूरत है। साथ में शिकायत करने वाले उपभोक्ता को भी डिजिटल प्लेटफार्म पर समय से जानकारी दी जानी चाहिए।गठित किये जाने वाले उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण में जांच के साथ जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। दंड के प्रावधानों पर औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने चिंता जताई। कानून के लागू होने से पहले नियमावली बनाने में अभी डेढ़ से दो महीने का समय और लग सकता है।


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