ट्रक वालों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल शुरू
ट्रांसपोर्टर डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की भी मांग कर रहे हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। डीजल की बढ़ी कीमतों के विरोध में ट्रक संचालक दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल की अगुआई कर रहे संगठन एआइएमटीसी ने कहा कि पहले दिन हड़ताल से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ट्रांसपोर्टर डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने और टोल नीति में बदलाव की मांग भी कर रहे हैं।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) की कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा, ‘हमारे दो दिन के चक्काजाम से देशभर में वस्तुओं की आपूर्ति रुकी है। हालांकि हमने आवश्यक वस्तुओं को हड़ताल से बाहर रखा है। दो दिन की यह हड़ताल सांकेतिक है। अगर सरकार उनकी शिकायतें दूर करने में सफल नहीं हुई तो दिवाली के बाद अनिश्चितकालीन चक्काजाम भी किया जा सकता है।’
एआइएमटीसी के अंतर्गत 93 लाख ट्रक मालिक आते हैं। एआइएमटीसी ने चक्काजाम में अन्य संगठनों से सहयोग मिलने का भी दावा किया है।1रविवार को देशभर में हड़ताल का व्यापक असर देखा गया। सड़कों से ज्यादातर ट्रक नदारद रहे। सिंह ने कहा कि पहले दिन 70 से 80 फीसद तक ट्रक हड़ताल पर रहे। दूसरे दिन यह हड़ताल और व्यापक होगी। ट्रांसपोर्ट सेक्टर की परेशानियों को लेकर सरकार का रवैया आश्चर्यजनक है। यदि सरकार का रवैया नहीं बदला तो चालक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। सरकार को डीजल पर टैक्स को तर्कसंगत करते हुए कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरूप करना चाहिए। साथ ही देश में कीमतों में एकरूपता के लिए डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना चाहिए। कीमतों की समीक्षा तिमाही आधार पर होनी चाहिए।’
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने हड़ताल को असफल बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली व अन्य शहरों में वस्तुओं की आपूर्ति सामान्य रही।
12 अक्टूबर की आधी रात से 24 घंटे के लिए बंद रहेंगे पेट्रोल पंप
देशभर में तमाम पेट्रोल पंप 12 अक्टूबर की आधी रात से यानी 13 अक्टूबर से 24 घंटे के लिए बंद रहेंगे। उनके संगठन यूनाइटेड पेट्रोलियम फ्रंट (यूपीएफ) ने इस बात की घोषणा की। यह कदम पेट्रोलियम डीलरों की मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से उठाया जाएगा। यूपीएफ ने कहा कि अगर सरकार का रवैया नहीं बदला तो 27 अक्टूबर से पेट्रोलियम डीलर अनिश्चितकालीन बंदी पर जाएंगे। यूपीएफ के मुताबिक पिछले साल चार नवंबर को बनी सहमति के बावजूद तेल मार्केटिंग कंपनियां डीलरों की दिक्कतों को हल करने की इच्छुक नहीं दिख रही हैं।