जिंदल आइटीएफ ने 2,000 करोड़ की मध्यस्थता जीती
एनटीपीसी ने 2011 में इनलैंड वाटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आइडब्ल्यूएआइ) और जिंदल आइटीएफ के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया था।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एनटीपीसी के फरक्का थर्मल पावर प्लांट तक कोयले की ढुलाई से जुड़े एक विवाद में एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने जिंदल आइटीएफ लिमिटेड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक दिए जाने का निर्देश दिया। यह फैसला जस्टिस विक्रमजीत सेन (सेवानिवृत्त), जस्टिस बीपी सिंह (सेवानिवृत्त) और जस्टिस अनिल कुमार (सेवानिवृत्त) की पीठ ने दिया।
एनटीपीसी ने 2011 में इनलैंड वाटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आइडब्ल्यूएआइ) और जिंदल आइटीएफ के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया था। इसके तहत इनलैंड वाटरवेज के जरिये पश्चिम बंगाल के फरक्का में स्थित 2,100 मेगावाट के पावर प्लांट तक कोयले की आपूर्ति की जानी थी। एनटीपीसी ने जिंदल आइटीएफ को आश्वासन दिया था कि हर साल कम से कम 30 लाख टन कोयले की ढुलाई होगी। साथ ही यदि एनटीपीसी इसमें असफल होती है, तो वह 30 लाख टन कोयले के 90 फीसद का ढुलाई शुल्क जिंदल आइटीएफ को देगी।
दोनों पक्षों के तर्को और संबंधित सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि कोयले की ढुलाई से जुड़ी देरी के लिए एनटीपीसी अधिक जिम्मेदार है। न्यायाधिकरण ने एनटीपीसी के दावे को भी अयोग्य बताते हुए उसे खारिज कर दिया। इस मामले में जिंदल आइटीएफ का पक्ष एडवोकेट मनोज के सिंह और उसकी टीम ने रखा।