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व्यापारियों के संगठन CAIT ने किया चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान, 500 से अधिक वस्तुओं की सूची की जारी

India China Business News CAIT ने पहले चरण में 3000 से अधिक उत्पादों का चयन किया है जो भारत में भी बनती हैं लेकिन कम कीमत के लालच में china से इन वस्तुओं को आयात किया जाता है

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 11:24 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 07:20 AM (IST)
व्यापारियों के संगठन CAIT ने किया चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान, 500 से अधिक वस्तुओं की सूची की जारी

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन की सैन्य आक्रामकता की निंदा करते हुए, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया है। कैट ने करीब 500 आयातित वस्तुओं की सूची भी तैयार की है।  सीएआईटी ने कहा कि उसका उद्देश्य दिसंबर 2021 तक चीनी तैयार माल के आयात को 13 बिलियन डॉलर या लगभग 1 लाख करोड़ रुपये कम करना है। सोमवार को लद्दाख में गलवान घाटी के पास भारत-चीन के बीच हुए टकराव के बाद कैट ने यह कदम उठाया है।

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कैट द्वारा तैयार की गई इस सूची में रोज़मर्रा में काम आने वाली वस्तुएं जैसे- खिलौने, फर्निशिंग फैब्रिक, टेक्सटाइल, बिल्डर हार्डवेयर, फुटवियर, गारमेंट, किचन का सामान, लगेज, हैंड बैग,खाद्यान,घड़ियाँ, जैम एंड ज्वेलरी, वस्त्र, स्टेशनरी, कागज़, घरेलू वस्तुएं,फर्नीचर,लाइटिंग, हेल्थ प्रोडक्ट्स,पैकेजिंग प्रोडक्ट,ऑटो पार्ट्स, कॉस्मेटिक्स, गिफ्ट आइटम, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन अपैरल, यार्न, फेंगशुई आइटम्स, दिवाली एवं होली का सामान, चश्में,टेपेस्ट्री मैटेरियल आदि शामिल हैं।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस अभियान के बारे में कहा, 'चीन से भारत का आयात लगभग 5.25 लाख करोड़ अर्थात 70 बिलियन डॉलर सालाना है। कैट ने प्रारंभिक चरण में 3,000 से अधिक उत्पादों का चयन किया है, जो भारत में भी बनती हैं, लेकिन कम कीमत के लालच में चीन से इन वस्तुओं को आयात किया जा रहा है। इन चीनी वस्तुओं के स्थान पर भारत में निर्मित वस्तुओं का प्रयोग काफी सहजता से किया जा सकता है।'

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उन्होंने आगे कहा, 'जिन उत्पादों में तकनीक महत्व है, अभी उनको बहिष्कार में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि जब तक इस प्रकार की तकनीक का विकल्प भारत में विकसित नहीं हो जाता या भारत के किसी मित्र देश द्वारा वह उत्पाद निर्मित नहीं होता, तब तक उस प्रकार की तकनीक वाली वस्तुओं के उपयोग के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।'

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