रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी से लेकर महंगाई तक ये हैं RBI क्रेडिट पॉलिसी की 10 बड़ी बातें
आरबीआई के इस कदम के बारे में अर्थशास्त्रियों ने भी यह अनुमान भी लगाया गया था कि आरबीआई नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाए रखेगा।
नई दिल्ली: गुरुवार को आरबीआई ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, हालांकि रिवर्स रेपो रेट में इजाफा किया गया है। आरबीआई के इस कदम के बारे में अर्थशास्त्रियों ने भी यह अनुमान भी लगाया गया था कि आरबीआई नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाए रखेगा। अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको आरबीआई क्रेडिट पॉलिसी से जुड़ी 10 बड़ी बातें बता रहे हैं।
रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं:
आरबीआई ने इस समीक्षा बैठक में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है। मौजूदा समय में रेपो रेट 6.25 फीसद है। रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।
रिवर्स रेपो रेट में इजाफा:
आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को इस समीक्षा के दौरान परिवर्तित किया है रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसद से 6 फीसद कर दिया गया है। यह वह दर होती है जिसपर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।
सीआरआर में नहीं किया गया बदलाव:
आरबीआई ने सीआरआर की दर को भी यथावत रखा है। सीआरआर को 4 फीसद पर बरकरार रखा गया है। देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है। इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है।
एमएसएफ रेट को घटाया:
आरबीआई ने एमएसएफ रेट में कटौती की है। इसे घटाकर 6.5 फीसद कर दिया गया है। आरबीआई ने पहली बार वित्त वर्ष 2011-12 में सालाना मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में एमएसएफ का जिक्र किया था। यह कॉन्सेप्ट 9 मई 2011 को लागू हुआ। इसमें सभी शेड्यूल कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं। बैंकों को यह सुविधा शनिवार को छोड़कर सभी वर्किंग डे में मिलती है।
जीवीए के बारे में अनुमान:
आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2018 के लिए जीवीए ग्रोथ में 7.4 फीसद की तेजी का अनुमान लगाया है। आपको बता दें कि जीडीपी को वैल्यू की टर्म में जीवीए कहा जाता है।
महंगाई काबू में रहने का अनुमान:
वित्त वर्ष 2017 की चौथाई तिमाही में खुदरा महंगाई दर के 5 फीसद के नीचे रहने का अनुमान है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2018 की पहली छमाही में महंगाई दर के औसतन 4.5 फीसद और दूसरी छमाही में 5 फीसद रहने का अनुमान है।
बैंक सीधे कर पाएंगे निवेश:
रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों को सीधे REITs और InvITs में निवेश करने की मंजूरी दी जा सकती है। इससे जुड़ी गाइडलाइन्स मई अंत तक जारी की जाएंगी। इस खबर के बाद बैंकिंग और रियल्टी शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। पॉलिसी से पहले 150 अंक से ज्यादा की गिरावट के साथ कारोबार करने वाला बैंक निफ्टी इस खबर के बाद हरे निशान में लौट आया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर रियल्टी इंडेक्स 1.5 फीसद से ज्यादा उछल गया।
तरलता को कम करने का प्रयास:
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सरकार का प्रमुख ध्यान सिस्टम में मौजूद तरलता को कम करने पर है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले के बाद तरलता में इजाफा हुआ जिसे आरबीआई को एब्जार्ब्ड करना पड़ा।
सरकारी घाटे पर आरबीआई:
आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा, “सरकार का घाटा जो अंतरराष्ट्रीय तुलना में अधिक है, मुद्रास्फीति के रास्ते के लिए एक और खतरा बन गई है, जिसके किसानों की कर्ज माफी से और बड़ा होने की संभावना है।”
एमपीसी में सहमति से हुआ फैसला:
मौद्रिक पॉलिसी कमेटी के सभी 6 सदस्यों ने पॉलिसी डिसीजन में मतदान किया। एमपीसी ने नतीजों से पहले मैक्रो एन्वाइरन्मन्ट का विस्तृत मूल्यांकन किया।
क्या बोले बैंकर्स
अरुंधती भट्टाचार्या, चेयरमैन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
आरबीआई पॉलिसी में रेपो रेट में परिवर्तन न किए जाने का फैसला अनुमानित था। आरबीआई ने आरईआईटीएस (REITS) में निवेश करने के लिए बैंकों को अनुमति देने जैसे कई उपायों की घोषणा की। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए उपाय वित्तीय प्रणाली में सुधार करने में काफी लंबा रास्ता तय करेंगे।
चंदा कोचर, एमडी एंड सीईओ आईसीआईसीआई बैंक
तरलता प्रबंधन पर आरबीआई की स्पष्ट अभिव्यक्ति का स्वागत है। उन्होंने कहा कि अस्थाई तरलता के मद्देनजर ऑपरेटिंग रेट की शुचिता को लागू करके यह बाजारों में स्थिरता सुनिश्चित करेगा। एलएएफ कॉरिडोर के संकुचन के माध्यम से मनी मार्केट की दरों को एक सख्त बैंड में लॉन्च किया जाएगा। आरबीआई की ओर से मुद्रास्फीति के लक्ष्य पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने से भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास को मजबूत और पूंजी प्रवाह का समर्थन जारी रखा जा सकेगा।
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