अमेरिका को दवा निर्यात नहीं कर पाएगी रैनबैक्सी
देश की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज को अमेरिका में तगड़ा झटका लगा है। अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने कंपनी के मोहाली प्लांट से उत्पादित दवाओं के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। दवाओं की गुणवत्ता में कमी को देखते हुए अमेरिकी नियामक ने यह कदम उठाया है। इससे पहले देवास और पोंटा साि
मुंबई। देश की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज को अमेरिका में तगड़ा झटका लगा है। अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने कंपनी के मोहाली प्लांट से उत्पादित दवाओं के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। दवाओं की गुणवत्ता में कमी को देखते हुए अमेरिकी नियामक ने यह कदम उठाया है। इससे पहले देवास और पोंटा साहिब प्लांटों की दवाओं पर एफडीए ने पाबंदी लगाई थी। इन्हीं तीनों प्लांटों की दवाओं की अमेरिका में बिक्री को एफडीए ने मंजूरी दे रखी थी। इसके साथ ही अमेरिका को भारत से दवा निर्यात करने का रैनबैक्सी का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है।
कंपनी की कुल बिक्री का 40 फीसद हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है। निर्यात पर बंदिश लगने से अब इसकी कमाई घटने की आशंका है। इस झटके से कंपनी के शेयर सोमवार को धाराशायी हो गए। बीएसई में रैनबैक्सी का शेयर 30.27 फीसद टूटकर 318.85 रुपये पर आ गया है। इससे निवेशकों को एक ही दिन में 5,855 करोड़ रुपये गंवाने पड़े।
इससे पहले एफडीए ने मोहाली प्लांट के बारे में शुक्रवार को अलर्ट जारी किया था। अलर्ट में कंपनी की निर्माण गुणवत्ता पर आपत्तियां जताई गई हैं। अमेरिकी जांचकर्ताओं ने कंपनी की दवाओं की गुणवत्ता को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। इस बारे में रैनबैक्सी के प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक एफडीए से हमें किसी तरह की सूचना नहीं मिली है। इस बारे उससे जानकारी लेने का प्रयास कर रहे हैं। कंपनी की जापानी प्रमोटर दाईची सांक्यो और नई दिल्ली के एफडीए ऑफिस ने भी इस बारे में अभी कुछ बताने से इन्कार कर दिया। रैनबैक्सी की वेबसाइट के अनुसार मोहाली प्लांट में टैबलेट का उत्पादन होता है।
सूत्रों के मुताबिक, इस पाबंदी के बाद अमेरिकी बाजार में बिक्री के लिए रैनबैक्सी को अपनी अमेरिकी सब्सिडियरी ओम लेबोरेट्रीज इंक पर निर्भर रहना पड़ेगा। इस साल मई में ही अमेरिका ने रैनबैक्सी को भारत स्थित अपने दो प्लांटों में मिलावटी दवाओं के निर्माण और वितरण करने का दोषी पाया था। इसे लेकर कंपनी पर 50 करोड़ डॉलर का जुर्माना भी लगा था। इससे पहले एफडीए ने 2008 में रैनबैक्सी के मध्य प्रदेश के देवास और हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब प्लांट में उत्पादित 30 जेनेरिक दवाओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध निर्माण नियमों के उल्लंघन के लिए लगाया गया था।