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कोयला आयात रोकने पर सरकार के बीच आपस में मतभेद, रुपये को संभालना मुश्किल

कुछ उत्पादों के आयात पर रोक लगाकर रुपये की गिरावट थामने पर सरकार दो टूक फैसला नहीं कर पा रही है।

By NiteshEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 11:45 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 11:45 AM (IST)
कोयला आयात रोकने पर सरकार के बीच आपस में मतभेद, रुपये को संभालना मुश्किल
कोयला आयात रोकने पर सरकार के बीच आपस में मतभेद, रुपये को संभालना मुश्किल

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कुछ उत्पादों के आयात पर रोक लगाकर रुपये की गिरावट थामने पर सरकार दो टूक फैसला नहीं कर पा रही है। कोयला, स्टील, लौह अयस्क, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों समेत कुछ अन्य उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने के सुझावों पर आतंरिक तौर पर ही सहमति बनाना मुश्किल हो रहा है। खास तौर पर कोयला आयात पर लगाम लगाने को समर्थन नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि दो हफ्ते पहले की घोषणा पर सरकार अभी तक उपाय तय नहीं कर पायी है, जिन्हें डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट रोकने को अहम माना जा रहा था।

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सरकार व आरबीआइ के बीच यह चर्चा हुई थी कि कुछ गैर जरूरी उत्पादों के आयात पर रोक लगाकर डॉलर का प्रवाह रोका जाए। इससे रुपये को रोकने में मदद मिलने की संभावना है। सरकार की योजना कोयला आयात पर भी लगाम लगाने की थी। घरेलू स्तर पर कोयला उत्पादन में खास वृद्धि नही होने की वजह से चालू वित्त वर्ष के पहले कुछ महीनों में आयात तेजी से बढ़ा है। अप्रैल से जून के आंकड़े बताते हैं कि कोयला आयात 12 फीसद बढ़कर तकरीबन आठ करोड़ टन हो गया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी महंगा होने के बावजूद कोयले के बढ़ते आयात को रोकने के लिए सरकार के सुझाव पर कोयला मंत्रलय तैयार नहीं है। इसकी बड़ी वजह कोयला के घरेलू उत्पादन की स्थिति उत्साहजनक नहीं होना है। पिछले वर्ष कोल इंडिया ने 60 करोड़ टन उत्पादन के लक्ष्य के मुकाबले 56 करोड़ टन का उत्पादन किया। चालू साल में भी कई हिस्सों में भारी बारिश की वजह से औसत से ज्यादा दिनों तक कोयला खदानों में उत्पादन प्रभावित हुआ। कई बिजली संयंत्रों के पास भी कोयले की दिक्कत हो रही है। इनमें से कुछ कोयला आयात करने की भी सोच रही हैं। ऐसे में कोयला आयात पर अंकुश लगाना उचित नहीं होगा।

वर्ष 2017-18 में भारत ने 20 अरब डॉलर मूल्य का कोयला आयात किया था जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष के दौरान लगभग 15 अरब डॉलर का कोयला आयात किया गया था। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला भी महंगा हो रहा है, डॉलर भी महंगा हो रहा है और आयात की मात्र भी बढ़ रही है। ऐसे में इसका आयात बिल काफी बढ़ने की आशंका है।

कोयला के साथ ही सरकार के भीतर स्टील, सोना, कुछ कृषि उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के आयात को भी ज्यादा शुल्क लगाकर हतोत्साहित करने पर चर्चा हो रही है। इन सभी के आयात पर काफी ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च होती है और इनका आयात घटने से रुपये को स्थिर रखने में मदद मिलने की उम्मीद है। लेकिन स्टील पर आयात शुल्क लगाने के मसौदे पर कुछ दूसरे मंत्रलयों ने आपत्ति जतायी है।

सरकार के भीतर एक वर्ग इस मत का पक्षधर है कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात में थोड़े बहुत आयात को नियंत्रित करने से रुपये व डॉलर के तालमेल पर बहुत असर नहीं पड़ेगा। उल्टा कुछ देश इसे ट्रेड वार के तौर पर देख सकते हैं। जैसे अमेरिका जिससे भारत काफी कोयला आयात करने लगा है। साथ ही रुपये की मौजूदा स्थिति को देखते हुए छोटे कदमों से बहुत राहत मिलने के आसार नहीं है। 


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