Inflation: जुलाई की खुदरा महंगाई दर में मिल सकती है राहत, कच्चे तेल और खाद्य आइटम के दाम में नरमी से मिलेगी मदद
Retail Inflation क्रूूड आयल और खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी से जुलाई की खुदरा महंगाई दर 6.5 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद जताई जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जुलाई की खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर में राहत मिलने का अनुमान है। मुख्य रूप से कच्चे तेल (Crude Oil) और खाद्य तेल (Edible Oil) के दाम में नरमी के रुख से यह संभावना जाहिर की जा रही है। इस साल जून में खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसद थी। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक जुलाई माह की खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसद तक आ सकती है। पिछले छह महीनों से खुदरा महंगाई दर छह फीसद से ऊपर के स्तर पर कायम है जो सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। RBI ने खुदरा महंगाई की अधिकतम दर छह फीसद तय कर रखा है। इस स्तर से अधिक महंगाई विकास में बाधक साबित हो सकती है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।
एचडीएफसी की वरिष्ठ अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता के मुताबिक खाद्य पदार्थों के दाम में नरमी के रुख से इस साल जुलाई में खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसद तक रह सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न कमोडिटीज के दाम में कमी और खासकर कच्चे तेल के साथ खाद्य तेल के दाम में नरमी से खुदरा महंगाई दर में कमी के आसार हैं। इस सप्ताह के अंत में जुलाई की खुदरा महंगाई दर जारी की जाएगी।
ब्रेंट क्रूड की कीमत सोमवार को 94 डॉलर प्रति बैरल के पास रही। पिछले एक माह में ब्रेंट क्रूड के दाम में 9.52 फीसद की कमी आई है। दूसरी तरफ भारत में खाद्य तेल की खुदरा कीमत में 15 रुपए प्रति किलोग्राम तक कमी आई है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के मुताबिक गत जून में दिल्ली में सोया खाद्य तेल की कीमत 181 रुपए प्रति किलोग्राम थी जो जुलाई मध्य तक 166 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गई। इस अवधि में पाम तेल की खुदरा कीमत दिल्ली में 162 रुपए से घटकर 149 रुपए पर आ गई। हालांकि सरसों तेल की कीमत 184 रुपए प्रति किलोग्राम के साथ जुलाई में भी जून के स्तर पर कायम रही।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक इस साल जुलाई में फूड प्राइस इंडेक्स (FPI) 140.9 रहा जो इस साल जून के मुकाबले 8.6 फीसद कम है। वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों के दाम कम होने से भारत में उसका असर दिख रहा है। भारत में सोयाबीन और कॉटन के उत्पादन में बढ़ोतरी के अनुमान से ऑयल केक के दाम में नरमी की संभावना है। पशुओं के चारे में नरमी से दूध, अंडा और मांस के खुदरा दाम में कमी आ सकती है।