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टैक्सपेयर्स को Income Tax रिटर्न में नहीं देनी होगी बड़ी राशि की लेनदेन की जानकारी, जानें पूरा ब्योरा

आयकर अधिनियम के मुताबिक केवल तृतीय पक्ष को आयकर विभाग को अधिक मूल्य की लेनदेन की जानकारी देनी होती है। (PC ANI)

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 05:46 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 05:46 PM (IST)
टैक्सपेयर्स को Income Tax रिटर्न में नहीं देनी होगी बड़ी राशि की लेनदेन की जानकारी, जानें पूरा ब्योरा
टैक्सपेयर्स को Income Tax रिटर्न में नहीं देनी होगी बड़ी राशि की लेनदेन की जानकारी, जानें पूरा ब्योरा

नई दिल्ली, पीटीआइ। आयकरदाताओं को अपने इनकम टैक्स रिटर्न में अधिक राशि की लेनदेन की जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। एक अधिकारी ने कहा कि 'आयकर रिटर्न फॉर्म में संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है।' उन्होंने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर यह बात कही। मीडिया में चल रही खबरों में कहा गया था कि एक साल में  होटल को किए गए 20,000 रुपये से अधिक के भुगतान, 50,000 रुपये से अधिक के लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान, हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के रूप में 20 हजार रुपये से अधिक के पेमेंट और एक लाख रुपये से अधिक के दान और स्कूल/ कॉलेज की फीस के पेमेंट को 'रिपोर्टेबल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन' में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। 

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स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT) के तहत रिपोर्टिंग में किसी भी तरह के विस्तार किए जाने का मतलब होता कि वित्तीय संस्थाओं को इस तरह की लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देने की जरूरत होती। 

आयकर अधिनियम के मुताबिक केवल तृतीय पक्ष को आयकर विभाग को अधिक मूल्य की लेनदेन की जानकारी देनी होती है। इस तरह की जानकारी का इस्तेमाल ऐसे लोगों को चिह्नित करने के लिए किया जाता है जो देय कर का भुगतान नहीं करते हैं। 

इस संदर्भ में आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ''आयकर रिटर्न फॉर्म में संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है। करदाताओं को अपने रिटर्न में उच्च मूल्य की लेनदेन की जानकारी देने की जरूरत नहीं होती है।''

वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आयकर अधिनियम में उच्च मूल्य वाली लेनदेन के लिए पैन या आधार नंबर कोट करने एवं तृतीय पक्ष द्वारा रिपोर्ट दिए जाने का प्रावधान पहले से है। 

एक सूत्र ने कहा, ''यह तथ्य सबके सामने है कि भारत में कर देने वाली की तादाद बहुत कम है और जिन लोगों को वास्तव में टैक्स देना चाहिए, वे भी कर का भुगतान नहीं कर रहे हैं।''

उसने कहा कि आयकर विभाग स्वैच्छिक रूप से अनुपालन करने वालों पर बहुत अधिक भरोसा कर रहा है और इस तरह SFT के जरिए तृतीय पक्ष से प्राप्त व्यय का आंकड़ा टैक्स से बचने वालों को पकड़ने का सबसे प्रभावी नॉन-इंट्र्यूसिव तरीका है। 


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