टैक्स-जीडीपी रेश्यों में अगले दो वित्त वर्षों के भीतर होगा 30 बेसिस प्वाइंट का इजाफा
अगले दो वित्त वर्षों के भीतर टैक्स-जीडीपी अनुपात के बढ़ने का अनुमान है
नई दिल्ली (जेएनएन)। जीएसटी और नोटबंदी के प्रभाव के चलते टैक्स-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2018-19 और वित्त वर्ष 2019-20 में 30 बेसिस प्वाइंट (प्रत्येक) बढ़ेगा। लोकसभा में गुरुवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा में मीडियम टर्म एक्सपेंडीचर फ्रेमवर्क के अंतर्गत यह बात कही गई है।
इस रिपोर्ट में कहा गया, “जैसे-जैसे वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 की ओर हम आगे बढ़ेंगे, जीएसटी लागू होने के बाद बढ़ा टैक्स आधार और नोटबंदी के बाद बढ़ी निगरानी सुनिश्चित करेगी कि इन दोनों वित्त वर्षों में (प्रत्येक में) कर जीडीपी का अनुपात 30 बीपीएस बढ़ जाएगा।” टैक्स-जीडीपी अनुपात 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद का 11.6% और 2019 -20 में सकल घरेलू उत्पाद का 11.9% फीसद होने का अनुमान है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि, चालू वित्त वर्ष में टैक्स-जीडीपी अनुपात में 2016-17 की तुलना में कोई वृद्धि देखने की उम्मीद नहीं है और यह 11.3 फीसद पर रह सकता है।
सरकार ने छमाही आर्थिक समीक्षा पेश की
गुरुवार को केंद्र सरकार ने संसद में छमाही आर्थिक समीक्षा पेश की है। इस समीक्षा में कहा गया है कि सरकार ने 2,000 करोड़ रुपए के 10 नमामि गंगे प्रोजक्ट को मंजूरी दी है। वहीं वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 1.99 लाख करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया गया है।
इस छमाही आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2019 के लिए फूड सब्सिडी 1.75 लाख करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020 में फूड सब्सिडी के 2 लाख करोड़ होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 के लिए जहां एक ओर फर्टिलाइजर सब्सिडी के 70,000 करोड़ रुपए के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है, वहीं वित्त वर्ष 2020 में भी यह आंकड़ा इतना ही रह सकता है। अगर रेवेन्यू एक्सपेंडीचर की बात करें तो वित्त वर्ष 2019 में यह 1.99 लाख करोड़ रुपए रह सकता है जबकि वित्त वर्ष 2020 के लिए रेवेन्यू एक्सपेंडीचर 22.06 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया है।