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भारत सरकार और Cairn Energy के बीच टैक्स विवाद गहराया, कंपनी ने Air India की संपत्ति जब्त करने के लिए शुरू की कानूनी प्रक्रिया

सूत्रों ने बताया कि केयर्न ने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिला अदालत में 14 मई को एक याचिका दायर कर एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने की इजाजत मांगी है। भारत सरकार ने भी मामले में अपना पक्ष रखने के लिए अदालत में अधिवक्ताओं के एक दल को नियुक्त किया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:17 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 05:11 PM (IST)
भारत सरकार और Cairn Energy के बीच टैक्स विवाद गहराया, कंपनी ने Air India की संपत्ति जब्त करने के लिए शुरू की कानूनी प्रक्रिया
Tax Dispute Between Government of India and Cairn Energy P C : Pixabay

नई दिल्ली, पीटीआइ। ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी (Cairn Energy) ने अमेरिका की एक अदालत में मुकदमा दायर किया है। इस मुकदमे में अगर कंपनी का पक्ष स्वीकार कर लिया जाता है तो उसे एयर इंडिया (Air India) की विदेश स्थित संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार मिल सकता है। इनमें कंपनी के विमान समेत अन्य संपत्तियां शामिल हैं।

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एक अंतरराष्ट्रीय विवाद निपटान न्यायाधिकरण ने केयर्न एनर्जी और भारत सरकार के टैक्स विवाद मामले में कंपनी के पक्ष को सही ठहराया था। न्यायााधिकरण ने भारत सरकार को निर्देश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को कुल 1.72 अरब डॉलर (वर्तमान भाव पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक) लौटा दे। हालांकि, सरकार ने इस फैसले को अपने संप्रभु अधिकारों में दखल मानते हुए इसके खिलाफ अपील की है।

इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े तीन सूत्रों ने बताया कि केयर्न ने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिला अदालत में 14 मई को एक याचिका दायर कर एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने की इजाजत मांगी है। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए अदालत में अधिवक्ताओं के एक दल को नियुक्त किया है।

केयर्न का तर्क है कि एयर इंडिया पूरी तरह से भारत सरकार की कंपनी है और उसे कानूनी रूप से भारत की संपत्ति कहना गलत नहीं है। एक तरफ केयर्न का कहना है कि वह अपने शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठा रही है, क्योंकि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय विवाद निपटान न्यायाधिकरण के फैसले पर अमल नहीं कर रही है।

वहीं, भारत सरकार का कहना है कि उसे इस तरह के किसी भी गैरकानूनी फैसले के खिलाफ अपने हितों की रक्षा का अधिकार है। सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार या उसकी किसी भी सरकारी कंपनी को अभी इस बारे में कोई नोटिस नहीं मिला है।


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