67 साल बाद अपने पुराने मालिक के पास वापस जा सकती है Air India, जानिए कौन लगा सकता है बोली
Tata Group Air India आज की एयर इंडिया किसी समय टाटा एयरलाइन के नाम से जानी जाती थी। टाटा एयरलाइन ने 1932 में सेवाएं शुरू की थी। PC Pixabay
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार ने घाटे में चल रही एयर इंडिया की बिक्री के लिए बोली लगाने की तारीख को बढ़ाकर 31 अगस्त किया था। इसके बावजूद अभी तक कोई उम्मीदवार इसे खरीदने के लिए आगे नहीं आया है। एयर इंडिया (Air India) का घाटा बढ़कर 8,500 करोड़ रुपये से अधिक जा चुका है। यही कारण है कि कंपनियां बोली लगाने से कतरा रही हैं। हालांकि, बोली लगाने के संभावित उम्मीदवार के रूप में टाटा ग्रुप का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। अगर टाट ग्रुप एयर इंडिया के लिए बोली लगाता है, तो वह इकलौता योग्य उम्मीदवार बन सकता है और एयर इंडिया फिर से अपने पुराने मालिक के पास जा सकती है।
अकेले ही एयर इंडिया को खरीद सकता है टाटा समूह
देश का प्रतिष्ठित व्यापारिक घराना टाटा समूह (Tata Group) राष्ट्रीयकरण कार्यक्रम के अंतर्गत एयर इंडिया को सरकार को सौंपने के 67 साल बाद इस एयरलाइन को फिर से अपने पास वापस लाने की दिशा में विचार कर रहा है। टाटा ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, 'टाटा संस फिलहाल प्रस्ताव का मूल्यांकन कर रही है और उचित विचार-विमर्श के बाद ही सही समय पर बोली लगाएगी। साथ ही हम किसी आर्थिक साझेदार को शामिल करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं।' साफ है कि टाटा समूह अकेले ही एयर इंडिया को खरीदने पर विचार कर रहा है।
एयर इंडिया किसी समय थी टाटा एयरलाइन
महाराजा के नाम से मशहूर आज की एयर इंडिया किसी समय टाटा एयरलाइन के नाम से जानी जाती थी। टाटा एयरलाइन ने 1932 में सेवाएं शुरू की थी। देश के पहले लाइसेंसी पायलट जेआरडी टाटा ने स्वयं 15 अक्टूबर 1932 को कराची से मुंबई की फ्लाइट उड़ाई थी। इसके बाद साल 1946 में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया। फिर साल 1953 में राष्ट्रीयकरण कार्यक्रम के तहत सरकार ने एयर इंडिया को खरीद लिया था।
साल 2000 तक मुनाफे में थी एयरलाइन
साल 2000 तक तो एयर इंडिया मुनाफे में चलती रही। इसके बाद साल 2001 में इस एयरलाइन को 57 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। फिर साल 2007 में केंद्र सरकार ने एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय किया। इन दोनों कंपनियों के विलय के समय 770 करोड़ रुपये का संयुक्त घाटा था, जो बाद में बढ़कर के 7,200 करोड़ रुपये हो गया। एयर इंडिया ने अपने घाटे की भरपाई के लिए अपने तीन एयरबस 300 और एक बोइंग 747-300 को साल 2009 में बेच दिया था, लेकिन एयरलाइन का घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। मार्च, 2011 में एयरलाइन का कर्ज बढ़कर 42,600 करोड़ रुपये और परिचालन घाटा 22,000 करोड़ रुपये हो गया।
रही सही कसर कोरोना ने पूरी की
वित्त वर्ष 2018-19 में करीब 58 हजार करोड़ के कर्ज में दबी एयर इंडिया को 8,400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। एयर इंडिया को ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और विदेशी मुद्रा में घाटे के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ा। रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी। कोरोना वायरस महामारी के चलते सिर्फ एयर इंडिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की एयरलाइंस को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पहले से एयरलाइन बिजनेस में है टाटा समूह
टाटा समूह अगर एयर इंडिया को खरीदता है, तो उसे एक बना बनाया बाजार मिल जाएगा। एयर इंडिया के पास कई लाभकारी रूट हैं। यहां बता दें कि टाटा समूह पहले से ही एयरलाइन बिजनेस में है, इसलिए उसके लिए एयर इंडिया को खरीदना आसान हो सकता है। टाटा संस सिंगापुर एयरलाइंस के साथ 51-49 फीसद के जॉइंट वेंचर में विस्तारा एयरलाइंन का संचालन करती है। टाटा संस की एयर एशिया इंडिया में भी 51 फीसद हिस्सेदारी है। इसमें 49 फीसद हिस्सेदारी मलेशियाई उद्यमी की है। बाजार में चर्चा है कि टाटा समूह एयर इंडिया खरीद कर इसका एयर एशिया इंडिया में विलय कर सकता है।
नहीं बढ़ेगी बोली लगाने की तारीख
माना जा रहा है कि टाटा समूह 31 अगस्त तक एयर के लिए अकेले बोलीदाता के रूप में उभर सकता है। गौरतलब है कि सरकार बार-बार यह कह चुकी है कि बोली लगाने की तारीख को 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।