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SC ने Telecom companies को लगाई जोरदार फटकार, Airtel और Vodafone Idea को 17 मार्च तक करना होगा AGR के बकाया का भुगतान

कोर्ट ने कहा कि AGR के बकाया का भुगतान नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश को नहीं मानने पर क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 11:32 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 10:05 AM (IST)
SC ने Telecom companies को लगाई जोरदार फटकार, Airtel और Vodafone Idea को 17 मार्च तक करना होगा AGR के बकाया का भुगतान

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को शुक्रवार को जोरदार फटकार लगाई है। कोर्ट ने कंपनियों से कहा कि उन्होंने सरकार को 'एक पैसा' नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को एजीआर से जुड़े बकाया को लेकर टेलिकॉम ऑपरेटर्स की याचिका पर सुनवाई करनी थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया। इस दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टेलिकॉम कंपनियों को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि AGR के बकाया का भुगतान नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश को नहीं मानने पर क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।

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टेलिकॉ़म कंपनियों ने एजीआर के बकाया भुगताने के लिए और समय मागने हेतु सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट को शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करनी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया और टेलिकॉम कंपनियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की बात कही।

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों वाली बेंच ने आज ऑपरेटर्स को 17 मार्च तक बकाया का भुगतान जरूर कर देने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर्स व शीर्ष अधिकारियों और दूरसंचार विभाग को आदेश दिया है कि वे 17 मार्च को कोर्ट में उपस्थित रहें, जब मामले को दोबारा सुना जाएगा। 

सुप्रीम कोर्ट को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज सहित टेलिकॉम कंपनियों की ताजा याचिका पर सुनवाई करनी थी। इन कंपनियों ने दूरसंचार विभाग में बकाया 1.47 लाख करोड़ रुपये के एजीआर से जुड़े के भुगतान के लिए नई तारीख की मांग की थी।

इससे पहले 16 जनवरी को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने टेलिकॉम कंपनियों की रिव्यू पिटीशन को रद्द किया था। इसमें टेलिकॉम कंपनियों ने कोर्ट के पहले के उस आदेश को रिव्यू करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने 23 जनवरी तक 1.47 करोड़ के वैधानिक बकाये के भुगतान का आदेश दिया था। 


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